शाहपुरा@(किशन वैष्णव)प्रसिद्ध रंगकर्मी एवं अधिवक्ता दीपक पारीक इन दिनों अपनी एकल प्रस्तुति हिंदुस्तानी मदारी के माध्यम से शिक्षा, संस्कृति और राष्ट्रभाव की अनोखी मिसाल प्रस्तुत कर रहे हैं। स्वामी विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूल शाहपुरा में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर किया गया उनका मंचन दर्शकों के हृदय को गहराई से छू गया। दीपक पारीक ने अपनी प्रभावशाली अभिनय शैली के जरिए वंदे मातरम् मंत्र के इतिहास, इसकी रचना की पृष्ठभूमि, स्वतंत्रता संग्राम में निभाई भूमिका और वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता को अत्यंत सहज और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। उनकी प्रस्तुति ने न केवल विद्यार्थियों में देशभक्ति का भाव जागृत किया, बल्कि बड़े-बुजुर्गों के मन में भी स्वतंत्रता संघर्ष की स्मृतियों को जीवंत कर दिया।
प्राचार्य ईश्वर लाल मीणा ने बताया कि दीपक पारीक ने कार्यक्रम में वंदे मातरम् के लेखन कालखंड, उद्देश्य और राष्ट्र के प्रति इसके संदेश को सरल भाषा में समझाते हुए यह स्पष्ट किया कि यह केवल एक गीत नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता और आत्मसम्मान का प्रेरक मंत्र है। मीडिया प्रभारी डॉ. परमेश्वर प्रसाद कुमावत ने बताया कि “हिंदुस्तानी मदारी” में कलाकार ने भारतीय इतिहास, जनमानस और स्वतंत्रता आंदोलन की भावनाओं को जिस संवेदनशीलता से अभिनय में पिरोया, उसने हर आयु वर्ग के दर्शकों में गहरा प्रभाव छोड़ा। संगीत, संवाद और अभिनय के संगम ने प्रस्तुति को और अधिक जीवंत बनाया।
दीपक पारीक केवल रंगकर्मी ही नहीं, बल्कि एक संवेदनशील अधिवक्ता भी हैं, जिनका कानून और समाज से जुड़ाव उनके अभिनय को और अधिक अर्थपूर्ण बनाता है। वे मानते हैं कि कला और अभिव्यक्ति समाज में जागरूकता लाने का सबसे प्रभावी माध्यम है। इसी सोच के चलते वे ग्रामीण क्षेत्रों, विद्यालयों और सामाजिक संस्थानों में नशा मुक्ति, शिक्षा, संस्कृति और नैतिक मूल्यों पर आधारित प्रस्तुतियाँ देकर युवाओं को सकारात्मक दिशा प्रदान कर रहे हैं। संचिना कला संस्थान के अध्यक्ष रामप्रसाद पारीक ने कहा कि बच्चों में जन्मजात प्रतिभाएँ छिपी होती हैं, आवश्यकता केवल उन्हें सही मंच और मार्गदर्शन देने की होती है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. परमेश्वर प्रसाद कुमावत ने किया। विद्यालय परिवार के सभी शिक्षक इस अवसर पर उपस्थित रहे।


