राष्ट्रीय प्रेस दिवस व पत्रकारिता
30 मई को क्यों मनाया जाता है ‘राष्ट्रीय प्रेस दिवस’ ?
जाने- कहाँ से हुई हिंदी के पहले अखबार की शुरुआत ?
पत्रकारिता लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ
मदन मोहन भास्कर
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ’पत्रकारिता’ को माना जाता है क्योंकि सभी लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी है। हिंदी भाषा और पत्रकारिता के गौरवमयी इतिहास को स्मरण कराने वाला हिंदी पत्रकारिता दिवस 30 मई को मनाया जाता है ।भारत में प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 में भारतीयों को दिए गए’ अभिव्यक्ति की आजादी’ के मूल अधिकार से सुनिश्चित होती है। पत्रकारिता शब्द अंग्रेजी के ‘जर्नलिज्म’ का हिन्दी रूपान्तर है। शब्दार्थ की दृष्टि से देखा जाये तो ‘जर्नलिज्म’ शब्द ‘जर्नल’ से निर्मित है और इसका आशय है दैनिक । अर्थात जिसमें दैनिक कार्यों व सरकारी बैठकों का विवरण हो। आज जर्नल शब्द मैगजीन का द्योतक हो चला है। यानी, दैनिक, दैनिक समाचार-पत्र या दूसरे प्रकाशन, कोई सर्वाधिक प्रकाशन जिसमें किसी विशिष्ट क्षेत्र के समाचार हो। पत्रकारिता देशज व पवित्र शब्द है, पत्रकारिता ने देश की स्वतंत्रता, सामाजिक न्याय व उत्थान में अप्रतिम भूमिका निभाई है किन्तु आज मीडिया के नाम पर पत्रकारिता को भी अपशब्द, अपमान व उपेक्षा का शिकार होना पड़ रहा है जबकि इसका मीडिया से सीधे कोई लेना देना नहीं है। पत्रकारिता लोकतन्त्र का अविभाज्य अंग है। प्रतिपल परिवर्तित होनेवाले जीवन और जगत का दर्शन पत्रकारिता द्वारा ही सम्भव है। परिस्थितियों के अध्ययन, चिन्तन मनन और आत्माभिव्यक्ति की प्रवृत्ति और दूसरों का कल्याण अर्थात् लोकमंगल की भावना ने ही पत्रकारिता को जन्म दिया। ज्ञान और विचारों को समीक्षात्मक टिप्पणियों के साथ शब्द, ध्वनि तथा चित्रों के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाना ही पत्रकारिता है। प्रथम प्रेस आयोग ने भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा एवं पत्रकारिता में उच्च आदर्श कायम करने के उद्देश्य से एक ‘प्रेस परिषद’ 4 जुलाई 1966 को भारत में Press Council की स्थापना की गई जिसने 16 नंवबर 1966 से अपना विधिवत कार्य शुरू किया। तब से लेकर आज तक हर साल 16 नवंबर को ‘राष्ट्रीय प्रेस दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष 55वां राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया गया।
हिंदी पत्रकारिता दिवस का महत्व
हिंदी पत्रकारिता दिवस महज एक वार्षिक आयोजन न होकर, गैर-अंग्रेजी भाषी दर्शकों को शिक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध पत्रकारों के उल्लेखनीय योगदान का प्रतीक है। यह लोगों को सूचना तक पहुंच प्रदान करने और सूचित राय को बढ़ावा देने में सहायक रहा है।
इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों जैसे सेमिनार, चर्चा और पुरस्कार समारोह का आयोजन किया जाता है, जिसमें हिंदी पत्रकारों और हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला जाता है।
पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य स्वतन्त्रता प्राप्ति
पत्रकारिता के इतिहास पर नजर डाले तो स्वतन्त्रता के पूर्व पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य स्वतन्त्रता प्राप्ति का लक्ष्य था। स्वतन्त्रता के लिए चले आंदोलन और स्वाधीनता संग्राम में पत्रकारिता ने अहम
और सार्थक भूमिका निभाई। उस दौर में पत्रकारिता ने पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोने के साथ-साथ पूरे समाज को स्वाधीनता की प्राप्ति के लक्ष्य से जोड़े रखा है। मनुष्य स्वभाव से ही जिज्ञासु होता है। उसे वह सब जानना अच्छा लगता है जो सार्वजनिक नहीं हो अथवा जिसे छिपाने की कोशिश की जा रही हो। मनुष्य यदि पत्रकार हो तो उसकी यही कोशिश रहती है कि वह ऐसी गूढ़ बातें या सच उजागर करे जो रहस्य की गहराइयों में कैद हो। सच की तह तक जाकर उसे सतह पर लाने या उजागर करने को ही पत्रकारिता कहते हैं। भारत में प्रकाशित होने वाला पहला हिंदी भाषा का अखबार, उदंत मार्तंड (द राइजिंग सन), 30 मई 1826 को शुरू हुआ। इस दिन को ‘हिंदी पत्रकारिता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इसने हिंदी भाषा में पत्रकारिता की शुरुआत को चिह्नित किया था। वर्तमान में हिन्दी पत्रकारिता ने अंग्रेजी पत्रकारिता के दबदबे को खत्म कर दिया है। पहले देश-विदेश में अंग्रेजी पत्रकारिता का दबदबा था लेकिन आज हिन्दी भाषा का झण्डा चहुँदिश लहरा रहा है। 30 मई को ‘हिन्दी पत्रकारिता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
‘राष्ट्रीय प्रेस दिवस’ आखिर क्यों मनाया जाता है ?
‘राष्ट्रीय प्रेस दिवस’ का मूल उद्देश्य ‘प्रेस की आजादी’ के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना है। साथ ही ये दिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने और उसका सम्मान करने की प्रतिबद्धता की बात करता है। प्रेस की आजादी के महत्व के लिए दुनिया को आगाह करने वाला ये दिन बताता है कि लोकतंत्र के मूल्यों की सुरक्षा और उसे बहाल करने में मीडिया अहम भूमिका निभाता है। इस कारण सरकारों को पत्रकारों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी चाहिए लेकिन वर्तमान समय में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित ना होने के कारण आए दिन पत्रकारों पर हमले व हत्त्या की खबरे अखबार की सुर्खियों में देखने को मिलती है। जो सभ्य समाज के लिए शर्म की बात है। पत्रकारों के अधिकार और सम्मान को बनाए रखने के लिए भारतीय प्रेस परिषद द्वारा राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है। आज का दिन जब भारतीय प्रेस परिषद ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक नैतिक प्रहरी के रूप में कार्य करना शुरू किया था। प्रेस इस शक्तिशाली माध्यम से अपेक्षित उच्च मानकों को बनाए रखता है। भारतीय प्रेस परिषद का गठन पहली बार 4 जुलाई 1966 को एक स्वायत्त, वैधानिक, अर्ध-न्यायिक निकाय के रूप में किया गया था, जिसके अध्यक्ष श्री न्यायमूर्ति जे आर मुधोलकर थे, जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे। 1966 में भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना को सम्मानित करने और स्वीकार करने के लिए हर साल 16 नवंबर को मनाया जाता है।
कहाँ से हुई हिंदी के पहले अखबार की शुरुआत ?
30 मई 1826 को ‘उदन्त मार्तण्ड’ नाम से हिंदी की पहला अखबार छपा था, जो साप्ताहिक था। यह मंगलवार ये अखबार छपता था और लोगों तक पहुंचता था। उदन्त मार्तण्ड का अर्थ है समाचार सूर्य। पंडित जुगल किशोर शुक्ल इस साप्ताहिक अखबार के संपादक व प्रकाशक थे। कानपुर के रहने वाले जुगल किशोर पेशे से वकील थे। ये अखबार पहली बार कलकत्ता में प्रकाशित हुआ था।
‘पत्रकारिता ‘ लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ
पत्रकारिता को लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ भी कहा जाता है। पत्रकारिता ने लोकतन्त्र में यह महत्त्वपूर्ण स्थान अपने आप नहीं प्राप्त किया है बल्कि सामाजिक सरोकारों के प्रति पत्रकारिता के दायित्वों के महत्व को देखते हुए समाज ने ही दर्जा दिया है। कोई भी लोकतन्त्र तभी सशक्त है जब पत्रकारिता सामाजिक सरोकारों के प्रति अपनी सार्थक भूमिका निभाती रहे। सार्थक पत्रकारिता का उद्देश्य ही यह होना चाहिए कि वह प्रशासन और समाज के बीच एक महत्त्वपूर्ण कड़ी की भूमिका अपनाये।
हिंदी पत्रकारिता दिवस कैसे मनाते हैं?
आज के दिन विभिन्न मीडिया संस्थानों, शिक्षण संस्थान और सामाजिक संगठनों में समारोह और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यकर्मों का उद्देश्य हिंदी पत्रकारिता के महत्त्व, इतिहास और योगदान पर चर्चा करना है। इस महत्वपूर्ण दिवस के दौरान कई समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में हिंदी पत्रकारिता पर विशेष लेख प्रकाशित किया जाता है जिसमें पत्रकारिता के विकास, चुनौतियों और भविष्य पर प्रकाश डाला जाता है।इसके अलावा सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्म में लोग हिंदी पत्रकारिता पर अपने विचार, अनुभव साझा करते हैं। इस क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले पत्रकारों को पुरस्कार और सम्मान प्रदान किया जाता है।