दिलखुश मीणा
सावर (अजमेर)@स्मार्ट हलचल|मनुष्य के जन्म लेते ही उसके जीवन में अनगिनत अदृश्य संबंधों, संघर्षों और कर्म-बंधन की डोरियाँ गुँथ जाती हैं। वह संसार की तमाम भौतिक अभिलाषाओं—धन, वैभव, संपत्ति, रत्नाभूषण, और परिवार की सम्पन्नता—का स्वप्न सँजोता है। परंतु इन समस्त सुखों के मध्य संतान-सुख एक ऐसा दिव्य प्रसाद है, जो हर मानव-जीवन को सहज प्राप्त नहीं होता।
कई दंपत्ति वर्षों-वर्ष चिकित्सालयों के गलियारों की धूल फाँकते हैं। दवाइयों और परीक्षणों की अंतहीन परिधियों में उनका श्रम, उनकी कमाई, और कई बार तो उनका आत्मविश्वास तक क्षीण पड़ जाता है… पर गोद की रिक्तता बनी रहती है।
जब आशा की अन्तिम शलाका भी बुझने लगे, उसी क्षण राजस्थान के अजमेर जनपद के सावर उपखंड क्षेत्र की आमली पंचायत के शांत-सरल ग्राम मेहरूखुर्द में स्थित भैरव धाम—लाल धागे सरकार एक दिव्य आलोक की भाँति अवतरित होता है।
जहाँ माटी में माँ का आशीष रचा-बसा है
मेहरूखुर्द का यह धाम केवल ईंट-पत्थरों का स्थापत्य नहीं, बल्कि उन मातृ-हृदयों की मौन करुण-प्रार्थनाओं का पावन केंद्र है, जिन्होंने आधुनिक विज्ञान और चिकित्सकीय प्रबंधों के सभी द्वार खटखटाकर थक चुकी थीं।
यहाँ की पवित्र धूल, यहाँ की वायु, और यहाँ की लाल धागे सरकार की कृपा-संस्करण से असंख्य सूनी बाहों में मातृत्व का अमृत प्रवाहित हुआ है।
श्रद्धालु जब बाबा भैरव और पूज्य गुरुदेव लाल धागे सरकार के समक्ष प्रणाम कर मनोकामना बाँधते हैं, तो वह संकल्प अनायास ही सिद्धि का पथ पा लेता है। अनेक परिवार अपने नवजातों को गोद में लिए जब वापस लौटते हैं, तो उनकी आँखों में कृतज्ञता, आश्चर्य और विश्वास का संगम झलकता है।
देश-विदेश की आस्था का संगम-स्थल
यह धाम आज राजस्थान की सीमाओं से बहुत आगे तक श्रद्धा की पहचान बना है।
मध्यप्रदेश, गुजरात, बिहार, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, पश्चिम बंगाल, तथा विदेशों में बसे भारतीय परिवार भी यहाँ आते हैं—अपनी अधूरी गोदों की पीड़ा लेकर।
और लौटते समय उनके आँचल में होती है—एक नवजीवन की मधुर धुन, एक नन्ही मुस्कान, एक समर्पित मनोकामना की पूर्ति।
सेवा का संसार, भक्ति की भूमि
लाल धागे सरकार धाम को विशिष्ट बनाती है इसकी अद्भुत सेवा-परंपरा।
निःशुल्क भोजनशाला का संचालन
श्रद्धालुओं के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और व्यवस्थित आवास
असहाय व ज़रूरतमंदों के लिए सतत सहयोग
धार्मिक-सांस्कृतिक अनुष्ठानों की सात्त्विक धारा
यह धाम सनातन संस्कृति के चार दिव्य सूत्र—भक्ति, करुणा, सेवा और लोककल्याण—को एक सूत्र में बाँधकर जीवित उदाहरण बनकर खड़ा है।
आस्था का चमत्कार, विश्वास का प्रमाण
मेहरूखुर्द का यह पावन भैरव धाम आज भी उसी दृढ़ स्वर में कहता प्रतीत होता है—
“जहाँ श्रद्धा निर्मल हो, वहाँ चमत्कार स्वाभाविक हो जाते हैं।”
लाल धागे सरकार की कृपा-संध्या में आज असंख्य परिवारों की सूनी गोदें किलकारियों से भर चुकी हैं।
यह धाम उन टूटे हुए परिवारों के लिए आशा का वह दीपक है, जो बुझते-बुझते भी नए जीवन की उजास पा गया।
मेहरूखुर्द का दिव्य लाल धागे सरकार धाम—
विश्वास का वह अक्षय स्रोत है, जहाँ अधूरी कथाएँ पूर्ण हो जाती हैं और जीवन अपने खोए अध्याय पुनः लिख पाता है।


