कल्पवृक्ष समान है मंगल कलश — गुरूदेव बोले, यह आत्मशुद्धि और जीवन उत्थान का प्रतीक
मृत्यु शाश्वत है, उसका स्मरण ही आत्मजागृति का मार्ग — आचार्य प्रज्ञासागर जी
— जो मृत्यु को देख ले वही वैरागी, जो न देख सके वही अनुरागी
— प्रज्ञा अनुपम चातुर्मास के आशीर्वाद के मंगल कलश स्थापित,गुंजा ‘जय गुरूदेव’ उद्घोष
कोटा।स्मार्ट हलचल|तपोभूमि प्रणेता एवं व्याख्यान वाचस्पति आचार्य श्री 108 प्रज्ञासागर जी महामुनिराज ससंघ के सान्निध्य में सोमवार को महावीर नगर विस्तार योजना में आशीर्वाद मंगल कलश की स्थापना रमेशचंद, नवीन कुमार, अनिल कुमार जैन (दौराया परिवार,रानपुर) के यहां की गई। कार्यक्रम में भक्तामर पाठ के साथ पंचपरमेष्ठि मंत्र, नवकार मंत्र और विशेष मंगलाचरण के बीच 48 दीपों व 48 अर्घ्यों का अर्पण किया गया। गुरूदेव ने कहा कि “आशीर्वाद मंगल कलश केवल धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि यह कल्पवृक्ष के समान है — जो आत्मपवित्रता और जीवन उत्थान का फल देता है।”गुरू आस्था चेयरमैन यतिश जैन खेडावाला ने बताया कि कलश स्थापना की विधि श्रद्धा और पवित्रता के साथ सम्पन्न हुई, जिससे वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ।
समय सबके लिए समान, अंतर उपयोग का
इससे पूर्व आचार्य श्री प्रज्ञासागर जी महाराज ने प्रवचन में रयणसार की 53वीं गाथा का विवेचन करते हुए कहा कि सम्यक दृष्टि और मिथ्या दृष्टि दोनों को समान 24 घंटे मिलते हैं। सूर्य का उदय और अस्त सबके लिए समान है, किंतु अंतर इस बात में है कि कौन अपने समय का उपयोग किस दिशा में करता है।
उन्होंने कहा — “सम्यक दृष्टि वाला व्यक्ति संसार में रहकर भी आत्मज्ञान और मोक्ष के मार्ग पर चलता है, जबकि मिथ्या दृष्टि वाला व्यक्ति आकांक्षा, कलह और दुर्भावना में समय व्यतीत करता है।”
गुरूदेव ने आगे कहा कि मृत्यु हर क्षण समीप आ रही है। जो इसे देख लेता है वही वैरागी बन जाता है, और जो नहीं देख पाता वही अनुरागी रह जाता है। उन्होंने कहा, “मनुष्य कितनों की मृत्यु देखता है, पर जीवन की सच्चाई नहीं समझता। मृत्यु शाश्वत है, और उसे जानना ही वैराग्य का प्रथम सोपान है।”
मंदिर समिति अध्यक्ष पवन ठौला एवं महामंत्री पारस लुंग्या ने बताया कि गुरूदेव के पादपक्षालन एवं कलश स्थापना का सौभाग्य रमेशचंद, नवीन कुमार, अनिल कुमार जैन मस्त दौराया परिवार को प्राप्त हुआ। दीप प्रज्ज्वलन एवं शास्त्र भेंट का सौभाग्य नरेन्द्र, मुकेश, प्रदीप खटोड परिवार द्वारा संपन्न हुआ।
भव्य शोभायात्रा और श्रद्धा का उत्सव
सोमवार, 10 नवम्बर को सुबह 10 बजे श्री दिगम्बर जैन मंदिर, महावीर नगर विस्तार योजना से बैंड-बाजों के साथ कलश यात्रा निकाली गई। आचार्य श्री ससंघ के सान्निध्य में सैकड़ों श्रावक नाचते-गाते, जयघोष करते हुए आगे बढ़े। मार्ग में अनेक स्थानों पर गुरूदेव का पदपक्षालन और पूजन-अर्चन किया गया।
आचार्यश्री का मंगल प्रवेश
11 नवंबर को महावीर विस्तार योजना दिगंबर जैन मंदिर से प्रातः 7:30 बजे मंगल विहार करके आचार्यश्री का आरके पुरम स्थित श्री 1008 मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन मंदिर (त्रिकाल चौबीसी) में भव्य मंगल प्रवेश होगा।12 नवंबर को मंदिर परिसर में प्रातः 8 बजे आचार्यश्री के कर-कमलों एवं ससंघ सान्निध्य में सिंहद्वार के भव्य शिलान्यास का कार्यक्रम आयोजित है।17 नवंबर को मंडाना में गुरुदेव प्रज्ञासागर जी के सान्निध्य में गुरुधाम तीर्थ का भव्य शिलान्यास एवं गुरुदेव का पिच्छी परिवर्तन कार्यक्रम संपन्न होगा।इस अवसर पर सकल समाज अध्यक्ष प्रकाश बज, संरक्षक विमल जैन (नांता), विनोद टोरडी, कार्याध्यक्ष जेके जैन, मनोज जैसवाल, अनिल ठोरा, गुरु आस्था परिवार चैयरेमेन नवीन जैन दौराया,अर्पित सर्राफ, शैलेंद्र जैन, विनय शाह,पवन ठौला, पारस लुंग्या, कपिल आगम,मुकेश कोटिया, ओमप्रकाश जैन, अनुराग टोंग्या, निर्मल सेठी, मुकेश खटोंड, राहुल ऐरन सहित सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहेंगे।


