काछोला 17 जुलाई-स्मार्ट हलचल|पैगम्बरे इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके 72 जंगे साथियों की शहादत की याद में बाबू भाई सलमा बाई के द्वारा 150 किलो हलीम पकाकर तकसीम किया और इसे सगे, सम्बन्धियो,रिश्तदारों,दोस्तो,परिजनों,में तकसीम किया गया।
जानकारों के अनुसार अकीदतमंदों ने बताया कि कर्बला की जंग में हजरत इमाम हुसैन की फौज का खाना खत्म हो गया था तब उन्होंने आखिरी भोजन के रूप में हलीम खाया था जो कि बचे हुए सभी तरह के अनाज और दालों को मिलाकर बना था। तब से मोहर्रम के दिन इसे बनाया जाता है और फिर फातिहा लगाई जाती है।इस दौरान मौलाना मोहम्मद शाह आलम ने हजरत ईमाम हुसैन के नाम की फातिहा लगाकर हलीम को अकीदतमंदों को तकसीम किया।
हलीम बनाने का तरीका-हलीम बनाने की रेसिपी के बारे में सलमा बानू,बिलकिश बानू, संजीदा बानु, आदि ने बताया कि 150 किलो हलीम में 7 तरह के अनाज गेंहू,चावल,मक्का,ज्वार,बाजरा,तुअर दाल,उड़द दाल,चना दाल,लोबिया,मूंग दाल,लाल मसूर दाल,को भिगोकर रखते है।और उनमें आवश्यकतानुसार मसाले हल्दी,धनिया,लाल मिर्च, गरम मसाला,प्याज,लहसुन,अदरक, का पेस्ट और नमक मिलाकर सभी दाल, मसालों को घोंट ले और गाढ़ी खिचड़ी जैसा बना लेते है।
इस अवसर पर मौलाना मोहम्मद शाह आलम,,बाबू मेवाती,जाकिर मंसुरी,फिरोज मेवाती,अब्बास अली,साहिल,गफ्फार कुरेशी,कालु कुरेशी,आदिल कुरेशी,आसिफ मंसुरी, महबूब कायमखानी,रफ़ीक़ मंसुरी,जावेद मंसुरी,समीर,आतिफ,
सलमा बानू,खैरुन बानू,बिकलिश बानू, संजीदा बानू, फातिमा बानू,फरीदा,रूकसाना,नीलोफर सहित आदि अकीदतमंद मौजूद थे।


