बजरंग आचार्य
सादुलपुर/स्मार्ट हलचल|आदि जैन तीर्थंकर ऋषभ देव सामाजिक व्यवस्था के संस्थापक के थे और उन्होंने ही समाजवाद की व्यवस्था को स्थापित किया था। उक्त विचार आचार्य महाश्रमण की शिष्या साध्वी सूर्य यशा ने बुधवार को मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए। महाराणा प्रताप चौक सेठिया भवन में अक्षय तृतीया पर धर्म समारोह के साथ वर्षीतप अभिनंदन कार्यक्रम भी हुआ। वयोवृद्ध साध्वी शासनश्री विद्यावती के सान्निध्य में हुए धर्मायोजन में 19 वर्षों से वर्षीतप कर रही राजगढ़ की श्राविका रतनी देवी बैंगाणी का अध्यात्म अभिनंदन किया गया। जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा सहित युवक परिषद, महिला मंडल कन्या मंडल और अणुव्रत समिति की ओर से तपस्विनी बहन को सम्मानित किया गया। अपने उद्बोधन में साध्वी विद्यावती ने वर्षीतप तथा तपस्या के आध्यात्मिक तथा चिकित्सकीय महत्व को रेखांकित किया। युवा साध्वी प्रशस्त प्रभा ने तीर्थंकर आदिनाथ के जीवन दर्शन सहित उनके 400 दिवस के लंबे उपवास के पारणे का विवरण दिया। श्याम जैन ने राजगढ़ बैद परिवार की बेटी शायर बेगवानी तथा दिल्ली प्रवासी स्नेह लता श्यामसुखा और विशाखापत्तनम की सरोज देवी मुसरफ के वर्षीतप के बारे में बताया। समारोह साध्वी समूह के मंगलाचरण से शुरू समारोह में तेरापंथ सभा के अध्यक्ष अमरचंद कोठारी, मंत्री विनोद कोचर सहित सुशील भगत सरावगी, बालिका कनिष्का, भावना व आरती, अभिषेक एवं प्रमोद सरावगी तथा तेरापंथ महिला मंडल की सदस्याओं ने भी विचार व्यक्त किए। इन वक्ताओं ने तप गितिकाओं की भी प्रस्तुति दी। सहयोगी साध्वी सूर्य यशा के वैराग्य संयम जीवन के 41 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में अध्यात्म अभिवंदना प्रस्तुत की गई। साध्वी ने अपने 41 साल के सफल वैराग्य संयम जीवन के लिए आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ एवं आचार्य महाश्रमण के प्रति श्रद्धा भावना ज्ञापित की। समारोह का संचालन महिला मंडल कोषाध्यक्ष शर्मिला बोथरा ने किया। कार्यक्रम में तेरापंथ सभा के अलावा अन्य तेरापंथी संस्थाओं ने तपस्विनी रतनी देवी का को प्रशस्ति पत्र आध्यात्मिक प्रतीक चिन्ह आदि भेंट किया। तप अनुमोदना कार्यक्रम में अध्यक्ष कोठारी सहित प्रमोद दुगड़, संदीप घोड़ावत किशन लाल धाडेवा, ऊषा दूगड़, हनुमान सुराणा, गजराज बैंगाणी, राजेन्द्र व अशोक श्यामसुखा आदि ने भागीदारी निभाई। इस मौके पर रतनी देवी ने साध्वी समूह से आगामी साल के 20वें साल के प्रत्याख्यान संकल्प लिया।