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बढ़ते ही जा रहे है देश भर में सड़क हादसे, कैसे हो रोकथाम ?road accidents prevention

road accidents prevention

महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर जिले में समृद्धि एक्सप्रेसवे पर रविवार सुबह बड़ा सड़क हादसा हो गया। एक तेज रफ्तार मिनी बस एक कंटेनर से टकरा गई, जिसमें कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई और 23 अन्य घायल हो गए।पुलिस ने बताया, प्राइवेट बस में 35 यात्री सवार थे। यह दुर्घटना मुंबई से लगभग 350 किलोमीटर दूर स्थित एक्सप्रेसवे के वैजापुर इलाके में रात 12.30 बजे हुई।बस ड्राइवर ने कंट्रोल खो दिया जिसके चलते बस पीछे की ओर से कंटेनर से टकरा गई। पुलिस के मुताबिक, हादसे में मारे गए 12 लोगों में से पांच पुरुष, छह महिलाएं और एक नाबालिग लड़की शामिल है।
समृद्धि एक्सप्रेसवे पर यह पिछले तीन महीनों में दूसरा बड़ा रोड एक्सीडेंट है। इसी साल जुलाई में नागपुर से पुणे जा रही बस खंभे से टकराकर डिवाइडर पर चढ़ गई और पलट गई थी जिससे उसमें आग लग गई। बस में 33 लोग सवार थे, जिसमें 25 की जलने से मौके पर मौत हो गई। इनमें 3 बच्चे भी शामिल थे।बुलढाणा एसपी सुनील कड़ासेन ने बताया था, टायर फटने के बाद हादसा हुआ था और बस में आग लग गई। बाद में बस के डीजल टैंक ने आग पकड़ ली, जिससे आग फैल गई। बस में करीब 33 यात्री सफर कर रहे थे। ज्यादातर की मौत जलने से हुई।
महाराष्ट्र के ही धुले में 4 जुलाई को मुंबई-आगरा हाईवे पर ब्रेक फेल होने की वजह से एक कंटेनर होटल में जा घुसा था। हादसे में 38 लोग कंटेनर की चपेट में आ गए थे। इनमें 10 की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि 28 लोग घायल थे। दुर्घटना शिरपुर तालुका के पलासनेर गांव में दोपहर करीब 12 बजे हुई। घटना का एक CCTV फुटेज भी सामने आया था, जिसमें देखा जा सकता है कि तेज रफ्तार कंटेनर अपने आगे चल रही एक कार को रौंदता हुआ सड़क किनारे एक होटल में जा घुसता है।

बीतें दिनों बेंगलुरू-पुणे हाईवे पर पुणे के नवले ब्रिज पर एक बड़ा सड़क हादसा घटित हो गया। इस हादसे का कारण ऑयल टैंकर का ब्रेक फेल होना बताया जा रहा है। इस अनियंत्रित ट्रक के चलते सड़क पर 48 गाड़ियाँ भी आपस में टकरा गयी। इनमें से 22 कारें सहित एक ऑटोरिक्शा भी शामिल था। हालाँकि, हादसे में कोई जनहानि की खबर प्राप्त नहीं हुई है। कुछ महीनें पहले, नामी व्यवसायी सायरस मिस्त्री का भी एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था। वे अहमदाबाद से मुंबई लौट रहे थे और मुंबई से 100 किमी पहले उनकी कार डिवाइडर से टकरा गई थी।
आइये आकंड़ों के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं कि भारत में सड़क हादसों की स्थिति कितनी गंभीर है। हाल ही में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार, वर्ष 2022 में कुल 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं। इनमें 1,68,491 लोगों की जान चली गई। जबकि 4,43,366 लोग घायल हो गए थे। मंत्रालय की तरफ से ‘भारत में सड़क दुर्घटनाएं-2022’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट के अनुसार, हर एक घंटे में 53 सड़क हादसे हुए और हर एक घंटे में 19 लोगों ने सड़क हादसों में जान गंवाई। इनमें सीट बेल्ट और हेलमेट का इस्तेमाल न करने वालों का ऊंचा अनुपात है।

रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2022 में कुल 4,61,312 सड़क हादसे हुए, जिनमें से 1,51,997 यानी 32.9 प्रतिशत हादसे एक्सप्रेसवे एवं राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) पर हुए। वहीं 1,06,682 यानी 23.1 प्रतिशत हादसे राज्य राजमार्गों जबकि 2,02,633 यानी 43.9 प्रतिशत हादसे अन्य सड़कों पर हुए। रिपोर्ट में कहा गया कि सालाना आधार पर सड़क हादसों की संख्या में 11.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई और उनसे होने वाली मृत्यु की दर 9.4 प्रतिशत बढ़ी। हादसों में घायल होने वाले लोगों की संख्या में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।रिपोर्ट कहती है कि सड़क हादसों में जान गंवाने वाले लोगों में एक बड़ी संख्या सुरक्षात्मक साधनों का इस्तेमाल न करने वालों की रही। सीट बेल्ट न पहनने की वजह से 16,715 लोगों की इन हादसों में मौत हो गई जिनमें से 8,384 लोग ड्राइवर थे जबकि बाकी 8,331 लोग वाहन में बैठे यात्री थे।इसके अलावा 50,029 दोपहिया सवार भी हेलमेट न पहनने की वजह से इन हादसों में अपनी जान गंवा बैठे।

रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में लगातार चौथे साल घातक सड़क दुर्घटना का सबसे अधिक युवा शिकार हुए। इसमें कहा गया, ‘2022 में 18 से 45 वर्ष के आयु वर्ग के 66.5 लोग हादसों का शिकार हुए। सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौत में 18-60 वर्ष के कामकाजी आयु वर्ग के लोगों की संख्या 83.4 प्रतिशत थी। ’भले ही केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 2024 तक देश में दुर्घटनाओं और उनसे होने वाली मौत की संख्या को आधा करने का लक्ष्य रखा है पर यह आंकड़ा कम होने का नाम ही नहीं लेता है ।

बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश में में सबसे ज्‍यादा लोगों ने जान गंवाई है . रिपोर्ट के मुताबिक, ‘साल 2022 में सड़क हादसों में कुल 1,68,491 लोगों की मौत हो गई। इनमें से 61,038 यानी 36.2 प्रतिशत लोगों की जान राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुए हादसों, 41,012 यानी 24.3 प्रतिशत की मौत राज्य राजमार्गों पर और 66,441 यानी 39.4 प्रतिशत लोगों की जान अन्य सड़क हादसों में गई।’वहीं राज्यों में तमिलनाडु में 2022 में राष्ट्रीय राजमार्गों पर सबसे अधिक 64,105 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जबकि सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वालों की संख्या उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 22,595 रही।

 

ये हालत देखते हुए सड़क हादसों को रोकने के लिए सरकार को एक नीति बनानी होगी। जागरूकता अभियान चलाने होगें। सरकार को यातयात नियमों से संबधित शिविरों का आयोजन करना चाहिए। आज करोड़ों के हिसाब से वाहन पंजीकृत हैं, मगर सही ढंग से वाहन चलाने वालो की संख्या कम है। क्योंकि आधे से ज्यादा लोगों को यातयात के नियमों का ज्ञान तक नहीं होता।

पुलिस प्रशासन चालान काटकर अपना कर्तव्य निभा रही है, मगर चालान इसका हल नहीं है। इसका स्थाई समाधान ढूंढना होगा। बिना हैलमैट के नाबालिग से लेकर अधेड़ उम्र के लोग वाहनों को काफी तेज रफ्तार में चलाते हैं और दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं। जानबूझकर व नशे की हालत में दुर्घटना करने वाले चालकों के लाईसैंस रद्द करने चाहिए। ज्यादातर हादसे में नाबालिग चालक ही मारे जाते हैं।

प्रशासन की लापरवाही के कारण भी इसमें साफ झलकते हैं। आज ज्यादातर युवा व लोग शराब पीकर व अन्य प्रकार का नशा करके वाहन चलाते है, नतीजन खुद ही मौत को दावत देते हैं। भले ही पुलिस यंत्रों के माध्यम से शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर शिकंजा कस रही है, मगर फिर भी लोग नियमों का उल्लघन करने से बाज नहीं आ रहे हैं। राज्यों की सरकारों द्वारा पुलिस को दी गई हाईवे पैट्रोलिंग की गाड़ियां भी यातायात को कम करने में नाकाम साबित हो रही हैं।

बढ़ती सड़क दुर्घटनाओें के और भी अनेक कारण हैं। सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि 80 प्रतिशत हादसे मानवीय लापरवाही के कारण होते हैं। लापरवाह लोग सीट बैल्ट तक नहीं लगाते और तेज रफतार में वाहन चलाते हैं। देश में सड़क हादसों में स्कूली बच्चों के मारे जाने के हादसे भी समय- समय पर होते रहते हैं। लापरवाह चालको को सजा देनी चाहिए ताकि मासूम बेमोत न मारे जा सकें। अक्सर देखा गया है कि वाहन चालकों के पास प्राथमिक चिकित्सा बाक्स तक नहीं होता है।

ओवरलोडिंग से भी ज्यादातर हादसे होते हैं। बेलगाम हो रहे यातायात पर लगाम लगाना सरकार व प्रशासन का कर्तव्य है। लोगों को भी इसमें सहयोग करना होगा तभी इस समस्या का स्थाई हल हो सकता है। यदि लोग सही तरीके से यातायात नियमों का पालन करते हैं तो सड़को पर हो रहे मौत के तांडव को रोका जा सकता है। लापरवाही के कारण देश में दुर्घटनाओं का कहर बरपता रहेगा।

मावन जीवन को बचाना होगा क्योंकि मानव जीवन दुर्लभ है। केंद्र सरकार को इस पर गौर करना होगा तथा देश में बढ रही सड़क दुर्घटनाओं पर रोक के लिए कारगर कदम उठाने होगें नहीं तो देश के प्रत्येक महानगरों व शहरों से लेकर गांवों तक हर रोज लाशें बिछती रहेंगी लोग मरते रहेंगें। सरकार को इन हादसों से सबक लेना चाहिए और व्यवस्था की खामियों को दूर करना चाहिए। सरकारों को अपना दायित्व निभाना चाहिए ताकि सड़क हादसों पर पूरी तरह रोक लग सके। यदि सरकारें ऐसे ही सोती रहेंगी तो देश की सड़कें मानव खून से लाल होती रहेंगी।
अशोक भाटिया,
वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक एवं टिप्पणीकार
पत्रकारिता में वसई गौरव अवार्ड – 2023 से सम्मानित,
वसई पूर्व – 401208 ( मुंबई )
फोन/ wats app 9221232130 E mail – [email protected]
(कृपया आलेख प्रकाशित होने के बाद समाचार पत्र की PDF मेरे वाट्स अप न . 9221232130 पर अवश्य भेजें )

बढ़ते ही जा रहे है देश भर में सड़क हादसे, कैसे हो रोकथाम ?
महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर जिले में समृद्धि एक्सप्रेसवे पर रविवार सुबह बड़ा सड़क हादसा हो गया। एक तेज रफ्तार मिनी बस एक कंटेनर से टकरा गई, जिसमें कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई और 23 अन्य घायल हो गए।पुलिस ने बताया, प्राइवेट बस में 35 यात्री सवार थे। यह दुर्घटना मुंबई से लगभग 350 किलोमीटर दूर स्थित एक्सप्रेसवे के वैजापुर इलाके में रात 12.30 बजे हुई।बस ड्राइवर ने कंट्रोल खो दिया जिसके चलते बस पीछे की ओर से कंटेनर से टकरा गई। पुलिस के मुताबिक, हादसे में मारे गए 12 लोगों में से पांच पुरुष, छह महिलाएं और एक नाबालिग लड़की शामिल है।
समृद्धि एक्सप्रेसवे पर यह पिछले तीन महीनों में दूसरा बड़ा रोड एक्सीडेंट है। इसी साल जुलाई में नागपुर से पुणे जा रही बस खंभे से टकराकर डिवाइडर पर चढ़ गई और पलट गई थी जिससे उसमें आग लग गई। बस में 33 लोग सवार थे, जिसमें 25 की जलने से मौके पर मौत हो गई। इनमें 3 बच्चे भी शामिल थे।बुलढाणा एसपी सुनील कड़ासेन ने बताया था, टायर फटने के बाद हादसा हुआ था और बस में आग लग गई। बाद में बस के डीजल टैंक ने आग पकड़ ली, जिससे आग फैल गई। बस में करीब 33 यात्री सफर कर रहे थे। ज्यादातर की मौत जलने से हुई।
महाराष्ट्र के ही धुले में 4 जुलाई को मुंबई-आगरा हाईवे पर ब्रेक फेल होने की वजह से एक कंटेनर होटल में जा घुसा था। हादसे में 38 लोग कंटेनर की चपेट में आ गए थे। इनमें 10 की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि 28 लोग घायल थे। दुर्घटना शिरपुर तालुका के पलासनेर गांव में दोपहर करीब 12 बजे हुई। घटना का एक CCTV फुटेज भी सामने आया था, जिसमें देखा जा सकता है कि तेज रफ्तार कंटेनर अपने आगे चल रही एक कार को रौंदता हुआ सड़क किनारे एक होटल में जा घुसता है।

बीतें दिनों बेंगलुरू-पुणे हाईवे पर पुणे के नवले ब्रिज पर एक बड़ा सड़क हादसा घटित हो गया। इस हादसे का कारण ऑयल टैंकर का ब्रेक फेल होना बताया जा रहा है। इस अनियंत्रित ट्रक के चलते सड़क पर 48 गाड़ियाँ भी आपस में टकरा गयी। इनमें से 22 कारें सहित एक ऑटोरिक्शा भी शामिल था। हालाँकि, हादसे में कोई जनहानि की खबर प्राप्त नहीं हुई है। कुछ महीनें पहले, नामी व्यवसायी सायरस मिस्त्री का भी एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था। वे अहमदाबाद से मुंबई लौट रहे थे और मुंबई से 100 किमी पहले उनकी कार डिवाइडर से टकरा गई थी।
आइये आकंड़ों के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं कि भारत में सड़क हादसों की स्थिति कितनी गंभीर है। हाल ही में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार, वर्ष 2022 में कुल 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं। इनमें 1,68,491 लोगों की जान चली गई। जबकि 4,43,366 लोग घायल हो गए थे। मंत्रालय की तरफ से ‘भारत में सड़क दुर्घटनाएं-2022’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट के अनुसार, हर एक घंटे में 53 सड़क हादसे हुए और हर एक घंटे में 19 लोगों ने सड़क हादसों में जान गंवाई। इनमें सीट बेल्ट और हेलमेट का इस्तेमाल न करने वालों का ऊंचा अनुपात है।

रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2022 में कुल 4,61,312 सड़क हादसे हुए, जिनमें से 1,51,997 यानी 32.9 प्रतिशत हादसे एक्सप्रेसवे एवं राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) पर हुए। वहीं 1,06,682 यानी 23.1 प्रतिशत हादसे राज्य राजमार्गों जबकि 2,02,633 यानी 43.9 प्रतिशत हादसे अन्य सड़कों पर हुए। रिपोर्ट में कहा गया कि सालाना आधार पर सड़क हादसों की संख्या में 11.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई और उनसे होने वाली मृत्यु की दर 9.4 प्रतिशत बढ़ी। हादसों में घायल होने वाले लोगों की संख्या में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।रिपोर्ट कहती है कि सड़क हादसों में जान गंवाने वाले लोगों में एक बड़ी संख्या सुरक्षात्मक साधनों का इस्तेमाल न करने वालों की रही। सीट बेल्ट न पहनने की वजह से 16,715 लोगों की इन हादसों में मौत हो गई जिनमें से 8,384 लोग ड्राइवर थे जबकि बाकी 8,331 लोग वाहन में बैठे यात्री थे।इसके अलावा 50,029 दोपहिया सवार भी हेलमेट न पहनने की वजह से इन हादसों में अपनी जान गंवा बैठे।

रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में लगातार चौथे साल घातक सड़क दुर्घटना का सबसे अधिक युवा शिकार हुए। इसमें कहा गया, ‘2022 में 18 से 45 वर्ष के आयु वर्ग के 66.5 लोग हादसों का शिकार हुए। सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौत में 18-60 वर्ष के कामकाजी आयु वर्ग के लोगों की संख्या 83.4 प्रतिशत थी। ’भले ही केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 2024 तक देश में दुर्घटनाओं और उनसे होने वाली मौत की संख्या को आधा करने का लक्ष्य रखा है पर यह आंकड़ा कम होने का नाम ही नहीं लेता है ।

बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश में में सबसे ज्‍यादा लोगों ने जान गंवाई है . रिपोर्ट के मुताबिक, ‘साल 2022 में सड़क हादसों में कुल 1,68,491 लोगों की मौत हो गई। इनमें से 61,038 यानी 36.2 प्रतिशत लोगों की जान राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुए हादसों, 41,012 यानी 24.3 प्रतिशत की मौत राज्य राजमार्गों पर और 66,441 यानी 39.4 प्रतिशत लोगों की जान अन्य सड़क हादसों में गई।’वहीं राज्यों में तमिलनाडु में 2022 में राष्ट्रीय राजमार्गों पर सबसे अधिक 64,105 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जबकि सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वालों की संख्या उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 22,595 रही।

 

ये हालत देखते हुए सड़क हादसों को रोकने के लिए सरकार को एक नीति बनानी होगी। जागरूकता अभियान चलाने होगें। सरकार को यातयात नियमों से संबधित शिविरों का आयोजन करना चाहिए। आज करोड़ों के हिसाब से वाहन पंजीकृत हैं, मगर सही ढंग से वाहन चलाने वालो की संख्या कम है। क्योंकि आधे से ज्यादा लोगों को यातयात के नियमों का ज्ञान तक नहीं होता।

पुलिस प्रशासन चालान काटकर अपना कर्तव्य निभा रही है, मगर चालान इसका हल नहीं है। इसका स्थाई समाधान ढूंढना होगा। बिना हैलमैट के नाबालिग से लेकर अधेड़ उम्र के लोग वाहनों को काफी तेज रफ्तार में चलाते हैं और दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं। जानबूझकर व नशे की हालत में दुर्घटना करने वाले चालकों के लाईसैंस रद्द करने चाहिए। ज्यादातर हादसे में नाबालिग चालक ही मारे जाते हैं।

प्रशासन की लापरवाही के कारण भी इसमें साफ झलकते हैं। आज ज्यादातर युवा व लोग शराब पीकर व अन्य प्रकार का नशा करके वाहन चलाते है, नतीजन खुद ही मौत को दावत देते हैं। भले ही पुलिस यंत्रों के माध्यम से शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर शिकंजा कस रही है, मगर फिर भी लोग नियमों का उल्लघन करने से बाज नहीं आ रहे हैं। राज्यों की सरकारों द्वारा पुलिस को दी गई हाईवे पैट्रोलिंग की गाड़ियां भी यातायात को कम करने में नाकाम साबित हो रही हैं।

बढ़ती सड़क दुर्घटनाओें के और भी अनेक कारण हैं। सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि 80 प्रतिशत हादसे मानवीय लापरवाही के कारण होते हैं। लापरवाह लोग सीट बैल्ट तक नहीं लगाते और तेज रफतार में वाहन चलाते हैं। देश में सड़क हादसों में स्कूली बच्चों के मारे जाने के हादसे भी समय- समय पर होते रहते हैं। लापरवाह चालको को सजा देनी चाहिए ताकि मासूम बेमोत न मारे जा सकें। अक्सर देखा गया है कि वाहन चालकों के पास प्राथमिक चिकित्सा बाक्स तक नहीं होता है।

ओवरलोडिंग से भी ज्यादातर हादसे होते हैं। बेलगाम हो रहे यातायात पर लगाम लगाना सरकार व प्रशासन का कर्तव्य है। लोगों को भी इसमें सहयोग करना होगा तभी इस समस्या का स्थाई हल हो सकता है। यदि लोग सही तरीके से यातायात नियमों का पालन करते हैं तो सड़को पर हो रहे मौत के तांडव को रोका जा सकता है। लापरवाही के कारण देश में दुर्घटनाओं का कहर बरपता रहेगा।

मावन जीवन को बचाना होगा क्योंकि मानव जीवन दुर्लभ है। केंद्र सरकार को इस पर गौर करना होगा तथा देश में बढ रही सड़क दुर्घटनाओं पर रोक के लिए कारगर कदम उठाने होगें नहीं तो देश के प्रत्येक महानगरों व शहरों से लेकर गांवों तक हर रोज लाशें बिछती रहेंगी लोग मरते रहेंगें। सरकार को इन हादसों से सबक लेना चाहिए और व्यवस्था की खामियों को दूर करना चाहिए। सरकारों को अपना दायित्व निभाना चाहिए ताकि सड़क हादसों पर पूरी तरह रोक लग सके। यदि सरकारें ऐसे ही सोती रहेंगी तो देश की सड़कें मानव खून से लाल होती रहेंगी।
अशोक भाटिया,
वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक एवं टिप्पणीकार
पत्रकारिता में वसई गौरव अवार्ड – 2023 से सम्मानित,
वसई पूर्व – 401208 ( मुंबई )
फोन/ wats app 9221232130 E mail – [email protected]
(कृपया आलेख प्रकाशित होने के बाद समाचार पत्र की PDF मेरे वाट्स अप न . 9221232130 पर अवश्य भेजें )

बढ़ते ही जा रहे है देश भर में सड़क हादसे, कैसे हो रोकथाम ?
महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर जिले में समृद्धि एक्सप्रेसवे पर रविवार सुबह बड़ा सड़क हादसा हो गया। एक तेज रफ्तार मिनी बस एक कंटेनर से टकरा गई, जिसमें कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई और 23 अन्य घायल हो गए।पुलिस ने बताया, प्राइवेट बस में 35 यात्री सवार थे। यह दुर्घटना मुंबई से लगभग 350 किलोमीटर दूर स्थित एक्सप्रेसवे के वैजापुर इलाके में रात 12.30 बजे हुई।बस ड्राइवर ने कंट्रोल खो दिया जिसके चलते बस पीछे की ओर से कंटेनर से टकरा गई। पुलिस के मुताबिक, हादसे में मारे गए 12 लोगों में से पांच पुरुष, छह महिलाएं और एक नाबालिग लड़की शामिल है।
समृद्धि एक्सप्रेसवे पर यह पिछले तीन महीनों में दूसरा बड़ा रोड एक्सीडेंट है। इसी साल जुलाई में नागपुर से पुणे जा रही बस खंभे से टकराकर डिवाइडर पर चढ़ गई और पलट गई थी जिससे उसमें आग लग गई। बस में 33 लोग सवार थे, जिसमें 25 की जलने से मौके पर मौत हो गई। इनमें 3 बच्चे भी शामिल थे।बुलढाणा एसपी सुनील कड़ासेन ने बताया था, टायर फटने के बाद हादसा हुआ था और बस में आग लग गई। बाद में बस के डीजल टैंक ने आग पकड़ ली, जिससे आग फैल गई। बस में करीब 33 यात्री सफर कर रहे थे। ज्यादातर की मौत जलने से हुई।
महाराष्ट्र के ही धुले में 4 जुलाई को मुंबई-आगरा हाईवे पर ब्रेक फेल होने की वजह से एक कंटेनर होटल में जा घुसा था। हादसे में 38 लोग कंटेनर की चपेट में आ गए थे। इनमें 10 की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि 28 लोग घायल थे। दुर्घटना शिरपुर तालुका के पलासनेर गांव में दोपहर करीब 12 बजे हुई। घटना का एक CCTV फुटेज भी सामने आया था, जिसमें देखा जा सकता है कि तेज रफ्तार कंटेनर अपने आगे चल रही एक कार को रौंदता हुआ सड़क किनारे एक होटल में जा घुसता है।

बीतें दिनों बेंगलुरू-पुणे हाईवे पर पुणे के नवले ब्रिज पर एक बड़ा सड़क हादसा घटित हो गया। इस हादसे का कारण ऑयल टैंकर का ब्रेक फेल होना बताया जा रहा है। इस अनियंत्रित ट्रक के चलते सड़क पर 48 गाड़ियाँ भी आपस में टकरा गयी। इनमें से 22 कारें सहित एक ऑटोरिक्शा भी शामिल था। हालाँकि, हादसे में कोई जनहानि की खबर प्राप्त नहीं हुई है। कुछ महीनें पहले, नामी व्यवसायी सायरस मिस्त्री का भी एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था। वे अहमदाबाद से मुंबई लौट रहे थे और मुंबई से 100 किमी पहले उनकी कार डिवाइडर से टकरा गई थी।
आइये आकंड़ों के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं कि भारत में सड़क हादसों की स्थिति कितनी गंभीर है। हाल ही में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार, वर्ष 2022 में कुल 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं। इनमें 1,68,491 लोगों की जान चली गई। जबकि 4,43,366 लोग घायल हो गए थे। मंत्रालय की तरफ से ‘भारत में सड़क दुर्घटनाएं-2022’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट के अनुसार, हर एक घंटे में 53 सड़क हादसे हुए और हर एक घंटे में 19 लोगों ने सड़क हादसों में जान गंवाई। इनमें सीट बेल्ट और हेलमेट का इस्तेमाल न करने वालों का ऊंचा अनुपात है।

रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2022 में कुल 4,61,312 सड़क हादसे हुए, जिनमें से 1,51,997 यानी 32.9 प्रतिशत हादसे एक्सप्रेसवे एवं राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) पर हुए। वहीं 1,06,682 यानी 23.1 प्रतिशत हादसे राज्य राजमार्गों जबकि 2,02,633 यानी 43.9 प्रतिशत हादसे अन्य सड़कों पर हुए। रिपोर्ट में कहा गया कि सालाना आधार पर सड़क हादसों की संख्या में 11.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई और उनसे होने वाली मृत्यु की दर 9.4 प्रतिशत बढ़ी। हादसों में घायल होने वाले लोगों की संख्या में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।रिपोर्ट कहती है कि सड़क हादसों में जान गंवाने वाले लोगों में एक बड़ी संख्या सुरक्षात्मक साधनों का इस्तेमाल न करने वालों की रही। सीट बेल्ट न पहनने की वजह से 16,715 लोगों की इन हादसों में मौत हो गई जिनमें से 8,384 लोग ड्राइवर थे जबकि बाकी 8,331 लोग वाहन में बैठे यात्री थे।इसके अलावा 50,029 दोपहिया सवार भी हेलमेट न पहनने की वजह से इन हादसों में अपनी जान गंवा बैठे।

रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में लगातार चौथे साल घातक सड़क दुर्घटना का सबसे अधिक युवा शिकार हुए। इसमें कहा गया, ‘2022 में 18 से 45 वर्ष के आयु वर्ग के 66.5 लोग हादसों का शिकार हुए। सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौत में 18-60 वर्ष के कामकाजी आयु वर्ग के लोगों की संख्या 83.4 प्रतिशत थी। ’भले ही केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 2024 तक देश में दुर्घटनाओं और उनसे होने वाली मौत की संख्या को आधा करने का लक्ष्य रखा है पर यह आंकड़ा कम होने का नाम ही नहीं लेता है ।

बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश में में सबसे ज्‍यादा लोगों ने जान गंवाई है . रिपोर्ट के मुताबिक, ‘साल 2022 में सड़क हादसों में कुल 1,68,491 लोगों की मौत हो गई। इनमें से 61,038 यानी 36.2 प्रतिशत लोगों की जान राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुए हादसों, 41,012 यानी 24.3 प्रतिशत की मौत राज्य राजमार्गों पर और 66,441 यानी 39.4 प्रतिशत लोगों की जान अन्य सड़क हादसों में गई।’वहीं राज्यों में तमिलनाडु में 2022 में राष्ट्रीय राजमार्गों पर सबसे अधिक 64,105 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जबकि सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वालों की संख्या उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 22,595 रही।

 

ये हालत देखते हुए सड़क हादसों को रोकने के लिए सरकार को एक नीति बनानी होगी। जागरूकता अभियान चलाने होगें। सरकार को यातयात नियमों से संबधित शिविरों का आयोजन करना चाहिए। आज करोड़ों के हिसाब से वाहन पंजीकृत हैं, मगर सही ढंग से वाहन चलाने वालो की संख्या कम है। क्योंकि आधे से ज्यादा लोगों को यातयात के नियमों का ज्ञान तक नहीं होता।

पुलिस प्रशासन चालान काटकर अपना कर्तव्य निभा रही है, मगर चालान इसका हल नहीं है। इसका स्थाई समाधान ढूंढना होगा। बिना हैलमैट के नाबालिग से लेकर अधेड़ उम्र के लोग वाहनों को काफी तेज रफ्तार में चलाते हैं और दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं। जानबूझकर व नशे की हालत में दुर्घटना करने वाले चालकों के लाईसैंस रद्द करने चाहिए। ज्यादातर हादसे में नाबालिग चालक ही मारे जाते हैं।

प्रशासन की लापरवाही के कारण भी इसमें साफ झलकते हैं। आज ज्यादातर युवा व लोग शराब पीकर व अन्य प्रकार का नशा करके वाहन चलाते है, नतीजन खुद ही मौत को दावत देते हैं। भले ही पुलिस यंत्रों के माध्यम से शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर शिकंजा कस रही है, मगर फिर भी लोग नियमों का उल्लघन करने से बाज नहीं आ रहे हैं। राज्यों की सरकारों द्वारा पुलिस को दी गई हाईवे पैट्रोलिंग की गाड़ियां भी यातायात को कम करने में नाकाम साबित हो रही हैं।

बढ़ती सड़क दुर्घटनाओें के और भी अनेक कारण हैं। सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि 80 प्रतिशत हादसे मानवीय लापरवाही के कारण होते हैं। लापरवाह लोग सीट बैल्ट तक नहीं लगाते और तेज रफतार में वाहन चलाते हैं। देश में सड़क हादसों में स्कूली बच्चों के मारे जाने के हादसे भी समय- समय पर होते रहते हैं। लापरवाह चालको को सजा देनी चाहिए ताकि मासूम बेमोत न मारे जा सकें। अक्सर देखा गया है कि वाहन चालकों के पास प्राथमिक चिकित्सा बाक्स तक नहीं होता है।

ओवरलोडिंग से भी ज्यादातर हादसे होते हैं। बेलगाम हो रहे यातायात पर लगाम लगाना सरकार व प्रशासन का कर्तव्य है। लोगों को भी इसमें सहयोग करना होगा तभी इस समस्या का स्थाई हल हो सकता है। यदि लोग सही तरीके से यातायात नियमों का पालन करते हैं तो सड़को पर हो रहे मौत के तांडव को रोका जा सकता है। लापरवाही के कारण देश में दुर्घटनाओं का कहर बरपता रहेगा।

मावन जीवन को बचाना होगा क्योंकि मानव जीवन दुर्लभ है। केंद्र सरकार को इस पर गौर करना होगा तथा देश में बढ रही सड़क दुर्घटनाओं पर रोक के लिए कारगर कदम उठाने होगें नहीं तो देश के प्रत्येक महानगरों व शहरों से लेकर गांवों तक हर रोज लाशें बिछती रहेंगी लोग मरते रहेंगें। सरकार को इन हादसों से सबक लेना चाहिए और व्यवस्था की खामियों को दूर करना चाहिए। सरकारों को अपना दायित्व निभाना चाहिए ताकि सड़क हादसों पर पूरी तरह रोक लग सके। यदि सरकारें ऐसे ही सोती रहेंगी तो देश की सड़कें मानव खून से लाल होती रहेंगी।
अशोक भाटिया,

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