बंगाल पर दहाड़,मणिपुर पर ख़ामोशी ?
तनवीर जाफ़री
स्मार्ट हलचल/लोकसभा के आम चुनावों का बिगुल बज चुका है। राजनेताओं ने चुनावी सभायें,रैलियां व रोड शो करने शुरू कर दिये हैं। साम्प्रदायिक व जातीय ध्रुवीकरण,लोभ-लालच,सुनहरे सपने दिखाने,धार्मिक भावनायें भड़काने, विपक्षी नेताओं को अपमानित करने उन्हें डराने धमकाने व ख़रीदने का दौर जारी है। सत्तारूढ़ दल जहां हर सूरत में स्वयं को सत्ता में बनाये रखना चाहता है वहीँ विपक्ष, सत्ता हासिल करने के लिये कोई भी अवसर गंवाना नहीं चाहता। केंद्रीय सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी की ओर से एक बार फिर चुनाव प्रचार की कमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभाल ली है। प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में चुनावी बिगुल फूंकने के बाद पिछले दिनों बंगाल राज्य का दौरा किया। उन्होंने यहां कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन, शिलान्यास व लोकार्पण किया। इसके बाद पीएम मोदी ने यहां जनसभा की और जैसी कि उम्मीद थी उन्होंने संदेशखाली हिंसा के मामले पर बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर जमकर निशाना साधा। मोदी ने यहां तक कहा कि ‘संदेशखाली की घटना पर ममता बनर्जी की सरकार को शर्म आनी चाहिए’। ख़बरों के अनुसार तृणमूल कांग्रेस के नेता शेख़ शाहजहां पर आरोप है कि उसने संदेशखाली में महिलाओं पर यौन अत्याचार किये और आदिवासियों की ज़मीनें हड़प लीं। यदि यह आरोप सही है तो निश्चित रूप से आरोपी किसी भी दल या समुदाय का क्यों न हो उसके विरुद्ध कठोर से कठोर कार्रवाई की जानी चाहिये और क़ानून के मुताबिक़ उसे सज़ा ज़रूर मिलनी चाहिये। फ़िलहाल आरोपी शेख़ शाहजहां को गिरफ़्तार भी किया जा चुका है और तृणमूल कांग्रेस से उसे छः वर्षों के लिये निष्कासित भी किया जा चुका है।
परन्तु अपने बंगाल दौरे पर प्रधानमंत्री संदेशखाली प्रकरण को भी साम्प्रदायिक रंग देने से बाज़ नहीं आये। चूँकि आरोपी का नाम शेख शाहजहां है इसलिए उन्होंने अपनी सार्वजनिक सभा में यह कहा कि कहा कि – ‘आज बंगाल की जनता यहां की मुख्यमंत्री दीदी से पूछ रही है कि क्या ‘कुछ लोगों का वोट’ आपके लिए संदेशखाली की पीड़ित महिलाओं से भी ज़्यादा अहम हो गया है ? ‘कुछ लोगों के वोट’ से उनका सीधा इशारा मुस्लिम मतों की तरफ़ था। उन्होंने संदेशखाली प्रकरण पर केवल बंगाल की तृणमूल कांग्रेस को ही नहीं घेरा बल्कि इसी बहाने I. N. D. I. A. पर भी यह कहते हुये निशाना साध दिया कि – ‘इंडी गठबंधन के बड़े-बड़े नेता संदेशखाली पर आंख, कान, मुंह सब बंद करके बैठे हैं?’ मोदी ने कांग्रेस और I. N. D. I. A गठबंधन को भ्रष्टाचारियों, परिवारवादियों और तुष्टीकरण करने वालों का साथ देने वाला तथा तृणमूल कांग्रेस को बंगाल में अपराध और भ्रष्टाचार का एक नया मॉडल पैदा करने वाला दल बताया। साथ ही उन्होंने राम मंदिर मुद्दे को भी यह कहकर भुनाने की कोशिश की कि ‘हम सभी का सौभाग्य है कि 5 सदियों के इंतज़ार के बाद प्रभु श्रीराम अपने भव्य मंदिर में विराजे हैं’।
भाजपा काफ़ी लम्बे समय से बंगाल में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण कर सत्ता पर क़ाबिज़ होने की कोशिश कर रही है। राज्यों में सुशासन की दुहाई देते हुये भाजपा ने ‘डबल इंजन की सरकार ‘ जैसा एक नया शगूफ़ा छोड़ा है। केवल भाजपा या उसके नेता ही नहीं बल्कि देश का मीडिया भी इस समय संदेशखाली प्रकरण को बढ़ा चढ़ाकर पेश करने इसे साम्प्रदायिक रंग देने व ममता बनर्जी को एक ‘विलेन’ के रूप में पेश करने में व्यस्त है। परन्तु बड़ा आश्चर्य है कि न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज तक मणिपुर की हिंसक घटनाओं पर कोई प्रतिक्रिया देते सुना गया न ही मुख्य धारा का मीडिया मणिपुर की घटनाओं को तवज्जोह दे रहा है। ग़ौर तलब है कि 3 मई 2023 यानी दस महीनों से ‘डबल इंजन’ की सरकार वाला राज्य मणिपुर सुलग रहा है। पूरा राज्य साम्प्रदायिक हिंसा की चपेट में है वहां गृह युद्ध जैसे हालात हैं। क्या मंत्री क्या अधिकारी क्या पुलिस ऑफ़िसर तो क्या सैन्याधिकारी क्या थाना तो क्या मंत्री निवास कुछ भी सुरक्षित नहीं। पुलिस थानों से हथियार तक लूटे जा चुके। इन्हीं हिंसक झड़पों के दौरान सैकड़ों चर्च और एक दर्जन से अधिक मंदिरों को भी तोड़ दिया गया। कई गांव के गांव आग के हवाले कर दिये गये। इसी डबल इंजन की सरकार वाले राज्य मणिपुर से दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और उनके साथ यौन उत्पीड़न करने की वीडियो ने पूरे देश को शर्मसार किया। प्राप्त सूचनाओं के अनुसार वहां प्रत्येक व्यक्ति शस्त्रधारी हो चुका है। मणिपुर हिंसा पर ख़ामोशी बरतने वाले प्रधानमंत्री ने मणिपुर की दो कुकी महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और उनके साथ यौन उत्पीड़न करने के घटना पर मानसून सत्र के पहले दिन मीडिया को संबोधित करते हुए केवल इतना कहा कि इस घटना ने “भारत को शर्मसार कर दिया है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। मणिपुर की बेटियों के साथ जो हुआ उसे कभी माफ़ नहीं किया जा सकता”। मणिपुर में इस समय लाखों लोग घर से बेघर हो चुके हैं सैकड़ों लोगों की जानें जा चुकी हैं। अनेक महिलाओं के साथ बलात्कार हुये हैं ।
परन्तु चूँकि मणिपुर में मामला बहुसंख्यक मैतेई और अल्पसंख्यक कुकी समुदाय के बीच का है। यहां जातीयता का संघर्ष है धर्म का नहीं। मणिपुर में भाजपा का शासन है और राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह स्वयं मैतेई समुदाय से हैं। मणिपुर की 60 विधानसभा सीटों में से 40 सीटों पर मैतेई समुदाय का दबदबा है क्योंकि उनकी जनसंख्या कुल आबादी की 53 प्रतिशत है। शेष कुकी या नागा जैसे समुदाय अल्पसंख्यक श्रेणी में आते हैं। परन्तु चूँकि यहां ‘शेख शाहजहां’ नामधारी कोई चरित्र सामने नहीं इसलिये न तो राज्य की भाजपा सरकार पर कोई इलज़ाम है न ही तुष्टीकरण के कोई आरोप न ही भ्रष्टाचार व परिवारवाद व अपराधीकरण की कोई शिकायत। गोया जिस मणिपुर की हिंसा की चर्चा पूरे विश्व में हुई,जिस मणिपुर की घटना से पूरी दुनिया में देश की बदनामी हुई वर्तमान सत्ता के लिये वह मणिपुर नहीं बल्कि बंगाल का संदेशखाली प्रकरण बड़ी चिंता का विषय है। जबकि हक़ीक़त यह है कि गत दस महीनों में शायद ही कोई दिन ऐसा बीता हो जिस दिन मणिपुर से हिंसा,हत्या,आगज़नी या बलात्कार की ख़बरें न आई हों। परन्तु प्रधानमंत्री से लेकर मीडिया तक और सत्ता के चाटुकार लेखक पत्रकार व समीक्षक सभी बंगाल के संदेशखाली मुद्दे पर तो ख़ूब दहाड़ रहे हैं परन्तु उन्हीं पर मणिपुर हिंसा को लेकर कुछ इस तरह की ख़ामोशी छाई हुई है मानो मणिपुर भारत का राज्य ही न हो ? राजनीति में दोहरे मापदण्ड अपनाने का इससे बड़ा दूसरा उदाहरण और क्या हो सकता है ?