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चाकसू का पवित्र जलाशय मनौहरा तालाब बना गंदे पानी का भण्डार। पशु-पक्षी भी नहीं पीते पानी।

चाकसू का पवित्र जलाशय मनौहरा तालाब बना गंदे पानी का भण्डार। पशु-पक्षी भी नहीं पीते पानी।

योगेश कुमार गुप्ता

स्मार्ट हलचल,चाकसू | एक समय था जब चाकसू कस्बे के पूर्वी एवं पश्चिमी छोर पर स्थित मनौहरा एवं गोलीराव तालाब पवित्र जलाशय माने जाते थे। इनके किनारे अच्छी संख्या में मन्दिरों की सेवा आचमन, स्नान ध्यान
इसी के पवित्र जल से होते थे। दोनों ही तालाबों के किनारे रामद्वारा, गुरुद्वारा एवं मस्जिदों में भी यही पानी काम में लिया जाता रहा है। समय गुजरने के साथ ही लोगों की आस्था एवं सेवाभाव में परिवर्तन हुआ। आबादी विस्तार के साथ ही दोनो जलाशय आबादी के विस्तार से घिर गए। नगरपालिका प्रशासन की घोर उपेक्षा एवं अनदेखी, जनप्रतिनिधियों की उदासीनता एवं जनता की निजी स्वार्थ भावनाओं के चलते यह पवित्र जलाशय वर्तमान में गंदे पानी के भण्डार बन कर रह गये है।
वर्तमान समय में गंदे पानी के नालों के साथ सिवरेज का पानी भी इन जलाशयों में जा रहा है। आसपास खड़े मकानों से गटर एवं नाली का पानी तक बिना किसी भी के भय के आ रहा है। लोगों को प्रशासन का डर नहीं है और न ही मानवता एवं समझदारी का।
किनारे स्थित प्राचीन मंदिर श्री गोपीनाथ भगवान प्रबंध समिति के अध्यक्ष दिनेश कुमार शर्मा, मंत्री रामप्रकाश शर्मा, गणेशपुरी धाम के पीठाधीश्वर महंत राजेंद्र पुरी महाराज, महात्मा ज्योतिबा फूले सेवा संस्थान के अध्यक्ष राधेश्याम सैनी व्यवस्थापक रामगोपाल सैनी, चम्पेश्वर महादेव मंदिर समिति के अध्यक्ष रामकिशोर स्वर्णकार, समाजसेवी राधेश्याम शर्मा, रामजीलाल शर्मा सहित अन्य लोगों कि मानना है कि बरसाती पानी के आवक मार्ग को हमेशा गंदगी एवं गंदे पानी मुक्त रखने के नगरपालिका प्रशासन को पहल करनी चाहिए। गंदे पाने के नालों की दिशा बदल कर तालाब के आवक मार्ग से दूर करना होगा। जानबूझ कर तालाब में गंदगी डालने वालों के खिलाफ नियमानुसार शख्स कार्यवाही होने चाहिए।
विधायक एवं चैयरमेन को दीर्घकालीन योजना बनाकर जलाशयों की पवित्रता को सुनिश्चित करना अति आवश्यक है।

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