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सड़कों के गड्ढों की दुर्दशा और जिम्मेदारों की अनदेखी व उदासीनता बन रही “सिरदर्द” शहर में गड्डे या गड्ढों में शहर, बरसात से बिगड़े सड़कों के हालात

राजेश जीनगर

भीलवाड़ा । ऐसा लगने लगा है की हमारा शहर अब अपने नाम से नहीं, सड़कों पर गड्डों से भी पहचाना जाने लगा है। शहर की पोश कॉलोनी से लेकर हर सड़क, हर चौराहा टूटा पड़ा है। बारिश ने इन जर्जर सड़कों की हालत और बिगाड़ कर रख दी है। पिछले कई समय से सोशल मीडिया पर गड्डों की तस्वीरें वायरल हैं, लेकिन शायद जिम्मेदारों तक नहीं पहुंच रही है। “स्मार्ट हलचल” समाचार पत्र की टीम ने शहर कई जगहों का निरीक्षण कर तस्वीरों के जरिए हकीकत सामने रखने का प्रयास किया है। जहां ये दिखाने की कोशिश की है की हमारा शहर गड्ढों में है या शहर में गड्डे है। जबकि हाल ही में प्रदेशभर के 240 नगरीय निकायों में भीलवाड़ा नगर निगम को 18वां स्थान मिला है। 3 लाख से 10 लाख आबादी वाली श्रेणी में प्रदेश के 9 नगर निकायों में तीसरा स्थान मिला। पिछले साल 15वां स्थान था। बताया जा रहा है कि 03 से 10 लाख की जनसंख्या वाले शहरों की श्रेणी में भीलवाड़ा ने अजमेर, कोटा, जोधपुर व अलवर जैसे शहरों को भी पीछे छोड़ दिया। वहीं जमीनी हकीकत ये तस्वीरें बयां कर रही है। जहां पोश कॉलोनी से लेकर प्रमुख चौराहों तक सड़कों पर चलना किसी जोखिम से कम नहीं है। जैसे हर मोड़ एक हादसे की दहलीज हो।

वाहन चालकों के लिए सिरदर्द बने गड्ढे

शहर की सड़को पर गड्ढों के चलते पोश कॉलोनियों से लेकर शहर के प्रमुख चौराहों तक वाहन चालकों का वाहन लेकर गुजरना दुभर हो चला है। वहीं बरसात के मौसम में इनमें पानी भर जाने से पता नहीं चलता की वह कितना गहरा है और यहां से निकलना कितना जोखिम भरा हो सकता है। जबकि दुपहिया वाहन चालकों के खड्डों के झटकों का असर सीधे कमर पर हो रहा है और बेक पैन की समस्या बढ़ रही है।

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