आसींद । जीवन को आनंद पूर्वक और खुशी के साथ जीये। हम चिंतन करे चिंता नही करे। समय मात्र का भी प्रमाद नही करे और आपस में उलझना छोड़ दे उक्त विचार आनंद भवन में आयोजित धर्मसभा में रितेश मुनि ने व्यक्त किए।
प्रभात मुनि ने धर्मसभा में कहा कि यह जीवन क्षण भंगुर है , इस जीवन का कोई भरोसा नहीं है इसको सभी जानते है फिर भी हमारे भीतर परमार्थ भरा हुआ है जानते हुए भी अनजान बने रहते है। जीवन में कुछ मिले या नही मिले मृत्यु तो निश्चित है हमारा जीवन पानी के बुलबुले की तरह है। हम अपनी मौत को भूलकर बैठे है इसलिए पाप के मार्ग पर चल रहे है।
साध्वी चंदनबाला ने कहा कि आज धर्मसभा में चतुर्विध संघ उपस्थित हुआ है। जीवन में सुख और दुख आते रहते है। संघर्ष ही जिंदगी है केवल दुख आते है तो व्यक्ति उदास हो जाता है और केवल सुख आते है तो व्यक्ति में अभिमान आ जाता है। सुख वृक्ष के पत्तों की तरह है जिंदगी औंस की बूंदों की तरह है। हम अधिक से अधिक जिनवाणी का श्रवण कर जीवन में उतारें और परमात्मा की भक्ति में लीन रहे। महासति आनंद प्रभा ने आसींद वासियों की धर्म के प्रति जो श्रद्धा है उसकी भूरि भूरि प्रशंसा की। धर्म सभा नियमित प्रातः 8.30 बजे से आनंद भवन में चलेगी जिसमे अधिक से अधिक आने का संत साध्वी ने श्रावक श्राविकाओं से आग्रह किया है।