सांभर फेस्टिवल 2025: पांच दिनों तक संस्कृति, कला और रोमांच का संगम
लकी सोनी की नजर से सांभर: झील, नमक और मेहनतकश मजदूरों की कहानी
भारत की नमक नगरी सांभर: जहां प्रकृति, इतिहास और संस्कृति का मेल है।
अजय सिंह (चिंटू)
जयपुर -स्मार्ट हलचल/जयपुर के सांभर झील में 24 से 28 जनवरी तक पांच दिवसीय भव्य सांभर फेस्टिवल का आयोजन किया जाएगा। फेस्टिवल की शुरुआत देवयानी सरोवर पर महाआरती से होगी। यह फेस्टिवल गुजरात के कच्छ फेस्टिवल की तर्ज पर आयोजित किया जा रहा है। इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, एडवेंचर गतिविधियां और टेंट सिटी जैसे आकर्षण शामिल होंगे, जो पर्यटकों को सालभर सांभर में ठहरने का अनुभव प्रदान करेंगे।
नमक उत्पादन और सांभर के मेहनती मजदूर
सांभर झील भारत का सबसे बड़ा खारे पानी का झील क्षेत्र है, जहां बड़े पैमाने पर नमक उत्पादन किया जाता है। झील के किनारे काम करते हुए मजदूरों की प्रतिबिंबित छवियां इस क्षेत्र के मेहनती जीवन को दर्शाती हैं। लकी सोनी द्वारा खींची गई तस्वीरें इस अनूठे संयोजन को जीवंत बनाती हैं।
सांभर झील: सृष्टि की अनुपम धरोहर और कला का प्रतीक
सांभर झील न केवल नमक उत्पादन का प्रमुख केंद्र है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरें भी इसे अद्वितीय बनाती हैं। झील के बीच स्थित दादूदयाल जी की छतरी और उनके छह वर्षों की तपस्या की गाथा इसे आध्यात्मिक दृष्टि से भी खास बनाती है। यहां के अद्भुत नजारों को कैमरे में कैद करना हर फोटोग्राफर का सपना होता है। इसी कड़ी में फोटोग्राफर लकी सोनी ने अपनी कला से सांभर झील की सुंदरता और यहां के मजदूरों की मेहनत को दर्शाती अनमोल तस्वीरें प्रस्तुत की हैं।
लकी सोनी और उनकी अनूठी फोटोग्राफी
लकी सोनी ने सांभर झील की प्राकृतिक सुंदरता और मेहनतकश मजदूरों की अनकही कहानियों को अपने कैमरे के जरिए बखूबी प्रस्तुत किया है। उनकी तस्वीरों में पानी की सतह पर मजदूरों के प्रतिबिंब, झील के अनमोल नजारे और सांभर की सांस्कृतिक विरासत जीवंत हो उठती है। उनकी फोटोग्राफी न केवल कला का प्रतीक है, बल्कि सांभर के महत्व को विश्व पटल पर प्रस्तुत करने का एक माध्यम भी है।