पुनित चपलोत
भीलवाड़ा । ग्राम सांगानेर कस्बा व आसपास के कई गांवों के ग्रामीणों ने सोमवार दोपहर करीब 2 बजे जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय पर प्रदर्शन कर जिला कलक्टर को ज्ञापन दिया है।जिसमें उन्होंने बताया कि सिंदरी के हनुमान जी एवं ढाबा देवनारायण जी की भूमि को अवैधानिक तरीके से कराई गई लीज को निरस्त करने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि यह भूमि सदियों से धार्मिक आस्था का केंद्र रही है, जिस पर प्रशासन ने बिना स्थल निरीक्षण किए लीज जारी कर दी।
ग्रामीणों ने ज्ञापन में बताया कि वर्तमान सांगानेर गांव का प्राचीन नाम सिंदरी था, जहां लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व सिंदरी हनुमान जी एवं ढाबा देवनारायण जी का क्षेत्र बसा हुआ था। आराजी नंबर 2019/1 व 2022 में स्थित इस भूमि पर कभी भी ग्रामवासियों ने अतिक्रमण नहीं किया। यहां पूर्व में यज्ञ हुए हैं तथा हनुमान जी की सराय, भोजनशाला, दरवाजा और चारों ओर पक्की दीवार आज भी मौजूद है।
ग्रामीणों का कहना है कि सांगानेर, सुवाणा, सालय, कीरखेड़ा, आकोला, श्रीनगर, गोकलपुरा, सिड़ियास, रीछड़ा, महुआकला, भडाणी खेड़ा, कालसांस, भैरूखेड़ा, गाड़री खेड़ा, छापरी, कालिया खेड़ा, तस्वारिया, पालड़ी सहित कई गांवों के लोगों की इस भूमि के प्रति गहरी धार्मिक आस्था है। उन्होंने बताया कि गौशाला की स्थापना कुछ वर्ष पूर्व हुई है, जबकि हनुमान जी व देवनारायण जी की जमीन पहले से ही देवस्थान के रूप में प्रचलित थी।
ज्ञापन में आरोप है कि रिकॉर्ड में ‘बिला नाम’ दर्ज होने का लाभ उठाकर गौशाला ट्रस्ट के व्यक्तियों ने लगभग 12 वर्ष पूर्व इस भूमि की लीज करवा ली। उस समय भी जमीन पर पक्की चारदीवारी, धर्मशालाएं व भोजनशाला मौजूद थीं, लेकिन प्रशासन ने मौके का निरीक्षण किए बिना लीज जारी कर दी। ग्रामीणों का कहना है कि अब ट्रस्ट द्वारा जमीन पर कब्जे के लिए अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है।
ग्रामीणों ने बताया कि ट्रस्ट के व्यक्तियों द्वारा पत्थरगढ़ी का आदेश पारित कराया गया था, जिसके विरुद्ध हनुमान जी व देवनारायण जी के पुजारियों तथा स्थानीय लोगों ने अतिरिक्त संभागीय आयुक्त, अजमेर में अपील दायर की। अपील पर सुनवाई के बाद अतिरिक्त संभागीय आयुक्त ने पत्थरगढ़ी आदेश को निरस्त कर दिया। फिलहाल भूमि की लीज को रद्द करवाने हेतु संभागीय आयुक्त के समक्ष अपील लंबित है, जिसकी प्रतिलिपि ज्ञापन के साथ संलग्न की गई है।


