एस्ट्रोटर्फ की जरूरत पर जोर, कोटा में हॉकी इंफ्रास्ट्रक्चर का मुद्दा उठा
हॉकी के जादूगर मेजय ध्यानंचद को मिले भारत रत्न — वी के जेटली
कोटा। स्मार्ट हलचल|ग्रासरूट स्तर पर हॉकी के विकास को समर्पित 29वें संग्राम सिंह मेमोरियल हॉकी कप–2025 का समापन बुधवार को बधिर बाल विकास केंद्र, झालावाड़ रोड, कोटा में उत्साहपूर्ण वातावरण में हुआ। अंडर-14 आयु वर्ग की हॉकी प्रतियोगिता के फाइनल मुकाबले में सोनीपत हॉकी अकादमी ने प्रभावशाली खेल का प्रदर्शन करते हुए यमुनानगर हॉकी एकेडमी को 7–4 के स्कोर से पराजित कर खिताब अपने नाम किया।
फाइनल मुकाबला बेहद रोमांचक रहा, जिसमें दोनों टीमों ने आक्रामक खेल दिखाया। निर्णायक क्षणों में सोनीपत हॉकी अकादमी के खिलाड़ियों ने बेहतर तालमेल और रणनीति का परिचय देते हुए बढ़त बनाई। विजेता टीम की ओर से मनीष ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सर्वाधिक पांच गोल दागे और जीत में अहम भूमिका निभाई।
खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करने के लिए ओलंपियन अशोक कुमार (मेजर ध्यानचंद के पुत्र), हॉकी ध्यानचंद अकादमी के अध्यक्ष वी.के. जेटली, आरटीओ कुलगुरु निमित्त चौधरी, ट्रस्टी ऋषभ त्रिपाठी एवं श्रद्धा त्रिपाठी, आयोजन सचिव भूपेन्द्र सिंह खींची, विजय पालीवाल तथा बी.एस. झाला मौजूद रहे। अतिथियों ने खिलाड़ियों से परिचय प्राप्त कर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। यह टूर्नामेंट त्रिपाठी आद्विक फाउंडेशन एवं मेजर ध्यानचंद अकादमी, कोटा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। प्रतियोगिता अध्यक्ष बलवीर सिंह सिसोदिया, संरक्षक राकेश जैन, विजय चौधरी एवं प्रेम भाटिया तथा सचिव बी.एस. खींची की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। कुलगुरु निमित्त चौधरी ने युवाओं से अधिक से अधिक खेलों से जुड़ने का आह्वान किया।
हॉकी ध्यानचंद अकादमी के अध्यक्ष वी.के. जेटली ने इस अवसर पर मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की मांग को दोहराया। उन्होंने बताया कि बुधवार को फाइनल और सेमीफाइनल सहित कुल चार मुकाबले खेले गए। ट्रस्टी ऋषभ त्रिपाठी एवं श्रद्धा त्रिपाठी ने जानकारी दी कि अंडर-14 वर्ग की इस प्रतियोगिता में देश के विभिन्न राज्यों से 12 टीमों के लगभग 120 युवा खिलाड़ियों ने भाग लिया। यह प्रतियोगिता विगत 29 वर्षों से निरंतर आयोजित की जा रही है।
इस अवसर पर ओलंपियन अशोक कुमार ने कहा कि वर्तमान समय में कोटा सहित प्रदेश के प्रमुख शहरों में एस्ट्रोटर्फ हॉकी ग्राउंड की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पहले की हॉकी नजाकत और तकनीक पर आधारित थी, जबकि आज की हॉकी कौशल के साथ-साथ ताकत की भी मांग करती है। यदि देश में हॉकी को समुचित संसाधन उपलब्ध कराए जाएं, तो भारत एक बार फिर गोल्ड मेडल और हॉकी वर्ल्ड कप जीत सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान में सीमित संख्या में टर्फ होने के कारण खिलाड़ियों को पर्याप्त अवसर नहीं मिल पा रहे हैं। कोटा में पूर्व में बड़े हॉकी टूर्नामेंट आयोजित होते रहे हैं, लेकिन खेल मैदानों की गुणवत्ता और बुनियादी सुविधाओं के अभाव में ऐसे आयोजन कम हो गए हैं। हॉकी के समग्र विकास के लिए कोटा में खेल मैदानों के उन्नयन और आधुनिक सुविधाओं के विस्तार की आवश्यकता है।


