आसींद । जो धर्म की रक्षा करता है धर्म उसकी भी रक्षा करता है। धर्म में श्रद्धा भाव होगा तो धर्म रक्षा करेगा। मानव का कर्तव्य बनता है कि वह नियमित प्रभु की प्रार्थना करे, प्रार्थना ऐसी को कि संसार में सभी सुखी रहे। जीवन में सरलता का होना बहुत जरूरी है। धर्म के प्रति मन में सदैव भावना, श्रद्धा, विश्वास, लगन और समर्पण होना चाहिए। उक्त विचार आनंद भवन में विराजित रितेश मुनि ने धर्मसभा में व्यक्त किए। धर्मसभा में प्रभात मुनि ने कहा कि धन से पहले धर्म जरूरी है। जिसने धर्म को पकड़ लिया है उसका जीवन सुखमय बन जाता है। जीवन में कैसा भी समय आवे , कैसी भी स्थिति हो हम धर्म को पकड़ कर रखेंगे तो धर्म भी हमे पकड़ कर रखेगा और हमने धर्म को छोड़ दिया तो हमारा सब कुछ छूट जाएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि जहा धर्म होता है वहा पर धन ठहरता है। धर्म में दान करने से भी धन का ठहराव होता है। हमने धर्म को जरूरी नहीं समझा है जिसके कारण ही आज हम भटक रहे है। श्रावक का धर्म है कि गांव में जब भी साधु संत का आगमन हो तो दर्शन जरूर करे। धर्म सभा में साध्वी आनंद प्रभा, साध्वी चंदन बाला भी उपस्थित थे । दोपहर में 2 बजे से 3 बजे तक प्रवचन हाल में नवकार महामंत्र का सामूहिक जाप कर तपाचार्य जयमाला म.सा.,साध्वी चंद्रप्रभा के जल्दी स्वस्थ होने की कामना की।