(राधेश्याम बांगड़ )
स्मार्ट हलचल।हनुमान मंदिर प्रांगण में चल रहा नरसी जी रा मायरा के दूसरे दिन दुर्गेश चतुर्वेदी ने कहा कि वही जीवन सार्थक है, जो नित्य सत्संग और साधना से जुड़ा हो। मानव जीवन को सफल बनाने का इससे बढ़कर और कोई उपाय नहीं है यह नरसी जी मेहता से सिखने को मिलता है । सत्संग की शक्ति इतनी महान है कि वह बुरे से बुरे व्यक्ति का भी कल्याण कर सकती है। लेकिन आज का मानव भौतिक चकाचौंध और स्वार्थों के जाल में इतना फंस गया है कि उसे आध्यात्मिक मार्ग पर चलना कठिन प्रतीत होता है। यही कारण है कि समाज में निराशा, अशांति और दुःख का विस्तार दिखाई देता है। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने भजनों पर नृत्य किया और हाथ उठाकर भगवान के जयकारे भी लगाए।
चतुर्वेदी ने कहा कि मानव जीवन पूर्वजन्म के पुण्यकर्मों से ही प्राप्त होता है। दुर्भाग्य से आज इंसान राग-द्वेष, ईष्यां और कटुता में इसे व्यर्थ कर रहा है। उन्होंने चेताया कि जीवन से पलायन करना सबसे बड़ी कायरता है, बल्कि हर विपदा को धैर्यपूर्वक झेलते हुए ईश्वर साधना में ईश्वर की साधना में लीन रहने को ही वास्तविक सफलता बताया