ओम जैन
स्मार्ट हलचल|शंभूपुरा।चित्तौड़गढ़ जिले का सावा कस्बा आईपीएल सट्टेबाजी का हब बना हुआ है, कस्बे में 2 बड़े ग्रुप सक्रिय है, जिनके तार कपासन ईनाणी सट्टा ग्रूप, जिला मुख्यालय, निम्बाहेड़ा ओर मुम्बई से जुड़े हुए है, बड़े लेवल पर यहाँ सट्टा बाजार पनपा हुआ है बाबजूद इसके पुलिस का अभी तक इन तक नही पहुँच पाना भी क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
बता दे कि जिले में पहले सट्टेबाजी के लिए निम्बाहेड़ा ही जाना जाता था जहाँ आज भी सट्टेबाजी उसी स्तर पर होती है लेकिन बीते कुछ समय से गांवो में सट्टेबाजी का बाजार इतना ज्यादा फैल गया कि इसने कई घर बर्बाद कर दिए और युवाओ का भविष्य भी बर्बादी के चुल्हे में झोंक दिया। प्रसासन को भी इसकी खबरे समय समय पर मिलती रहती है लेकिन कही ना कही बुकियों को मिले हुए राजनीतिक संरक्षण के चलते प्रसासन बड़ी मछलियों पर हाथ नही डाल पा रहा।
सावा बना सट्टेबाजी का हब
सावा क्षेत्र इस समय सट्टेबाजी का हब बना हुआ है, पुलिस से बिना किसी डर के बेरोकटोक मुख्य चोराये पर कई बुकियों द्वारा आईडी बांटकर बर्बादी का यह खेल खिलाया जा रहा लेकिन पुलिस अभी तक उन बुकियों के इर्दगिर्द भी नही पहुच पाई, यह सोचनीय विषय है।
अधिकांश खेल पुलिस चौकी के 200 मीटर के दायरे में
सबसे बड़ी ओर आश्चर्य की बात तो यह है कि सावा में जो सट्टा बाजार चल रहा है वो मुख्य चौराया पर दुकानों में बैठकर चलाया जा रहा, जहाँ से पुलिस चौकी कि दूरी 100 मीटर भी नही है, वही सावा चौकी के 200 मीटर के दायरे में रोज करोड़ो रुपये की सट्टेबाजी हो रही लेकिन पुलिस का उन बुकी तक नही पहुच पाना भी क्षेत्र में चर्चा के विषय के साथ ही कार्यवाही पर सवालिया निशान लगा रहा है।
2 ग्रुपो ने कर दिया गांव को बर्बाद
सावा में दो ग्रुप ऐसे है जो क्षेत्र के अधिकांश युवाओ को बर्बादी के रास्ते पर लेजा चुके है, यहाँ सेकड़ो घर और हजारों लोग बर्बादी की आग में अपना घर फूंक चुके है, बाबजूद इसके अभी तक जिम्मेदारों के कानों जु तक नही रेंगना एक सोचनीय विषय बना हुआ है।
आसपास के गांव भी चपेट में
सट्टेबाजी कि इस आंधी ने ना सिर्फ सावा को अपने आगोश में लिया है जबकि आसपास के गांव शंभूपुरा, पाटनिया फलासिया ओर गिलूंड को भी अपनी चपेट में ले रखा है।
राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ इसलिए पुलिस भी दूर
सट्टेबाजी को चारों तरफ से राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है, एक प्रशासक सहित जिला मुख्यालय के कुछ बड़े नेता जिन्होंने इन बुकी को संरक्षण दे रखा ही, सम्भवतः इसी वजह से पुलिस के हाथ अभी तक खाली है।