Homeभीलवाड़ासावन के महीने में नीलकंठ महादेव का रोजाना होता है अलग-अलग श्रृंगार

सावन के महीने में नीलकंठ महादेव का रोजाना होता है अलग-अलग श्रृंगार

रोहित सोनी

आसींद । आसींद के निकटवर्ती गांव बदनोर कस्बे में अक्षय सागर तालाब के पास शिव चौक में नीलकंठ महादेव का मंदिर स्थापित है। सावन माह में पूरे महीने कस्बे के श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना करते है। शिवलिंग के साथ-साथ माता पार्वती,नन्दी गणेश,कार्तिकेय सहित पूरी शिव पंचायत विराजमान होती है।नीलकंठ महादेव काले रंग का स्वयंभू शिवलिंग है। दूसरा सफेद रंग का गोरी महादेव जिसे नर्बदा ऊंकारेश्वर से 400 वर्ष पूर्व लेकर आये ओर स्थापित किये थे। दोनों शिवलिंग डेढ़-डेढ़ फिट लंबे है। राजा,महाराजो के जमाने मे बदनौर राजपरिवार पूजा अर्चना करते थे। इसमें 500 साल पूर्व का एक बरगद का विशालकाय पेड़ भी है लेकिन नवीन मन्दिर निर्माण होने पर भी पेड़ को काटा नही गया और निर्माण कर दिया गया। पेड़ की शाखाएं चारो ओर इतनी फेल गई मानो बरगद का पेड़ ही महादेव की छत हो। 845 ईस्वी में बदनापुर की स्थापना हुई थी बदना नामक शासक ने 845 ईस्वी में बदनापुर की स्थापना की थी जो बाद में बदनोर कहलाने लगा। वहीं 1439 ईसवी के एक शिलालेख से यह ज्ञात होता है कि इसे वर्धनपुर भी कहा जाता है। सावन के महीने में श्रद्धालु नीलकंठ महादेव के मंदिर पर तपस्या करते हैं वह रोजाना शाम को अलग-अलग श्रृंगार किया जाता है। स्थानीय महिला सपना शर्मा ने बताया की भगवान नीलकंठ महादेव मंदिर में शायकालीन 56 भोग का आयोजन होगा जिसमे कस्बे के सैकड़ो श्रद्धालु यहां दर्शन करने पहुंचेंगे। मंदिर में श्रृंगार के समय पुष्पाशंकर उपाध्याय,लादी देवी,शकुंतला देवी, सपना शर्मा,नेहा चौहान, गुनगुन चौहान,सोनू राठौड़,माया देवी आदि मौजूद रहे।

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