गहलोत सरकार के 9 जिले समाप्त किए. 41 जिले व 7 संभाग यथावत रहेंगे।
25 दिसंबर को हमने खबर की थी प्रकाशित,शाहपुरा जिला खत्म..जल्द कलेक्टर का पद होगा खाली…पर लगी मोहर
शाहपुरा@(किशन वैष्णव)शाहपुरा जिला खत्म होने के साथ ही यहां के बाशिंदों के अरमानों पर पानी फिर गया।शाहपुरा और यहां के क्रांतिकारियों तथा धार्मिक प्रसिद्धि के विकास के पंख लगे ही थे की मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की कैबिनेट बैठक में शनिवार को शाहपुरा जिला निरस्त कर दिया।जल्द ही प्रशासनिक फेरबदल हो जायेगा शाहपुरा जिला कलेक्टर का पद भी जल्द हटा दिया जाएगा। भजलाल सरकार ने गहलोत सरकार में बनाए गए 9 नए जिलों को निरस्त कर दिया है जिसमे दूदू,केकड़ी, शाहपुरा,नीमकाथाना, अनूपगढ़,गंगापुर सिटी,जोधपुर ग्रामीण,जयपुर ग्रामीण सहित सांचौर जिला शामिल हैं।सरकार ने तीनों संभाग को भी समाप्त किया है अब राजस्थान में 41 जिले और सात संभाग रहेंगे।
स्मार्ट हलचल की खबर पर लगी मोहर।
वही स्मार्ट हलचल ने 25 दिसंबर को ई पेपर में शाहपुरा जिला खत्म..जल्द कलेक्टर की पोस्ट खाली मुख्य हेडलाइन से खबर प्रकाशित की थी।जिसपर मोहर गई है और शनिवार को शाहपुरा जिले का विलय हो गया है।जिला पुलिस अधीक्षक को हटाते ही शाहपुरा वासियों को सक हो गया था की जिला जाने वाला है साथ ही मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के दौरे के समय जिले का जिक्र ना करना दूसरी बार जिला हटाने के विश्वास को पक्का किया।
शाहपुरा की पवित्र क्रांतिकारियों की भूमि का विकास कैसे होगा विकास।
शाहपुरा की जनता ने चहुओर विकास के सपने देखे थे धार्मिक धरा पर पेनोरमे के निर्माण के साथ अनेक प्रकार के दर्शन स्थल,क्रांतिकारियों के बलिदान की भूमि जो देश के लिए आजादी की लड़ाई में अग्रणी थे उनके शाहपुरा के विकास की आस बंधी हुई टूट गई।साथ ही व्यपारियो और किसानों को जिला बनने से मिलने वाले फायदे,तथा जिले में जिला कलेक्टर व अन्य प्रशासनिक अधिकारीयो के बैठने से अनेक प्रकार के किसानों सहित क्षेत्रवासियो की समस्याओं के समाधान अब भीलवाड़ा होगा शाहपुरा को भीलवाड़ा में यथावत रखा गया केबिनेट की बैठक में पंवार कमेटी की रिपोर्ट पर यह फैसला लिया गया।राजस्थान में नए जिलों को खत्म के निर्णय ने क्षेत्र के विकास के सपनों को धूमिल कर दिया है। एक समय के उत्साह से भरी हुई जनता आज गहरे अंधकार और निराशा में डूबी हुई है।17 मार्च 2023 को जब शाहपुरा को जिला घोषित किया गया,तो पूरे शहर में जश्न मनाया गया। लोगों ने मिठाइयां बांटी,सड़कों पर उत्साह का माहौल था। सबको लगा कि अब शाहपुरा विकास के नए आयाम छुएगा। लेकिन अब, जब जिलों को खत्म करने की संभावनाएं बढ़ रही हैं,वह सपना आज टूट गया है।नए साल की खुशियां इस मायूसी के आगे फीकी पड़ गई हैं और लोगों के चेहरे पर उदासी छा गई है। जो उम्मीदें कभी चमक रही थीं, वे अब धुंधली होती जा रही हैं।