शाहपुरा । शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर शाहपुरा नगर पालिका क्षेत्र के नौ मित्रों का समूह पिछले 25 वर्षों से धनोप शक्तिपीठ में पहुंचने वाले भक्तों की निस्वार्थ सेवा कर रहा है। अष्टमी के दिन आयोजित होने वाला यह भंडारा अब आस्था और सेवा का प्रतीक बन चुका है। माता रानी के चरणों में समर्पित यह परंपरा हर साल हजारों श्रद्धालुओं को एक साथ जोड़ती है और सामाजिक समरसता का संदेश देती है।
अटूट सेवा का संकल्प
समूह ने बिना किसी स्वार्थ और भेदभाव के भक्तों की सेवा को ही अपना धर्म माना है। इस सेवा में शाहपुरा के कृष्ण गोपाल मूंदड़ा, शंकरलाल अग्रवाल, रमेश चेचाणी, यशपाल पाटनी, सुरेंद्र मेहता, राजेंद्र चैधरी, भगवान पोरवाल और सूर्यप्रकाश शारदा शामिल हैं। ये सभी मित्र पिछले ढाई दशकों से धनोप पहुंचने वाले प्रत्येक भक्त का स्वागत करते हैं और उन्हें प्रसादी ग्रहण करने का विनम्र अनुरोध करते हैं।
समूह के सदस्य कृष्ण गोपाल मूंदड़ा और अशोक चैधरी बताते हैं कि यह सेवा उनके लिए केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं बल्कि माता रानी का आशीर्वाद है। उनका मानना है कि जब वे भक्तों को प्रसादी देते हैं, तो ऐसा लगता है मानो स्वयं देवी का दर्शन कर रहे हों।
हजारों भक्त लेते हैं प्रसादी का लाभ
नवरात्रि अष्टमी पर धनोप शक्तिपीठ में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। दिनभर चलने वाले इस भंडारे में हर आने वाले को समान भाव से भोजन कराया जाता है। इसमें जात-पात, ऊँच-नीच या छुआछूत का कोई भेदभाव नहीं रखा जाता। सभी भक्त एक ही पंक्ति में प्रसादी ग्रहण करते हैं। यही इस भंडारे की सबसे बड़ी विशेषता है, जिसने इसे पिछले 25 वर्षों से अटूट बनाए रखा है।
आस्था का प्रमुख केंद्र धनोप
धनोप शक्तिपीठ मेवाड़ क्षेत्र में आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है। नवरात्रि के दौरान यहां विशेष आयोजन होते हैं और देवी मां के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। अष्टमी का दिन यहां विशेष महत्व रखता है, और इसी दिन नौ मित्रों द्वारा आयोजित यह भंडारा भक्तों के लिए आस्था के साथ-साथ सेवा का भी अनुभव कराता है।
समाज के लिए प्रेरणा
इस भंडारे की खासियत यह है कि इसे पूरी निष्ठा और निस्वार्थ भाव से संचालित किया जाता है। आयोजन का उद्देश्य केवल माता रानी की कृपा को सब पर बनाए रखना और आने वाले भक्तों को सुविधा प्रदान करना है। इस सेवा भावना से प्रेरित होकर क्षेत्र के कई लोग समाजसेवा में जुटने का संकल्प भी लेते हैं। शाहपुरा के इन नौ मित्रों का यह 25 वर्षों से अटूट भंडारा न केवल धार्मिक आस्था को मजबूती देता है, बल्कि यह समाज में समानता, भाईचारा और सेवा भाव का भी अनूठा उदाहरण है। धनोप शक्तिपीठ में हर साल अष्टमी पर लगने वाला यह भंडारा भक्तों के लिए केवल प्रसादी नहीं, बल्कि माता रानी की कृपा और नौ मित्रों की समर्पण भावना का प्रतीक है।


