राजनैतिक शून्यता के चलते जिले को अनावश्यक बताकर वापस हटाने को एक नकारात्मक पहल बताया
शाहपुरा@(किशन वैष्णव)नवगठित शाहपुरा जिले का दर्जा 17 माह में ही केंद्रीय कैबिनेट बैठक में हटाने के निर्णय के बाद जिला निरस्त कर दिया गया।सोमवार को जिला बचाओ संघर्ष समिति और कांग्रेस पदाधिकारियों ने जिला निरस्त करने के निर्णय का विरोध प्रदर्शन किया तथा मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और स्थानीय विधायक लालाराम बैरवा का एसडीएम कार्यालय के बाहर पुतला दहन किया।नारेबाजी कर राज्यपाल के नाम एसडीएम साक्षीपुरी को ज्ञापन सौंपा।वही शनिवार को जिला निरस्त की घोषणा के बाद रविवार को व्यापार मंडल ने अपने प्रतिष्ठान दोपहर तक बंद कर स्वैच्छिक बंद का समर्थन किया।प्रदेश में नवगठित शाहपुरा जिले को स्वरचित मापदण्डों पर खरा नहीं उतरने पर शाहपुरा जिले को वापस हटाया जाना पूर्णतया असंवैधानिक और जनविरोधी निर्णय है बताया गया तथा ज्ञापन में बताया की शाहपुरा ज़िले की अहमियत, आवश्यकता और पूर्व की सरकार द्वारा तय किए गए मापदण्डों को देखने से यह प्रतीत होता है कि शाहपुरा ज़िले बनने और रहने की सभी योग्यताओं और मापदण्डों को पूरा करता हैं।दिए गए ज्ञापन में यह भी बताया की नये जिलो का गठन प्रगति की रफ्तार दोगुनी करने के लिए और आमजन को सहज और सुलभ प्रशासनिक सुविधाओं के साथ न्याय मुहैया करवाने तथा सरकारी योजनाओं का लाभ अंतिम योग्य लाभार्थी को चिन्हित कर दिलवाने के उद्देश्य से किया था।शाहपुरा जिले को राजनैतिक शून्यता के चलते अनावश्यक बताते हुए वापस हटाना एक नकारात्मक पहल हैं। भीलवाड़ा जिले से टूटकर नवगठित ज़िला बना शाहपुरा आजादी के बाद से आज तक विकास के दृष्टिकोण से काफी पिछड़ गया हैं। इतिहास के पन्नो को पलटने पर यह ज्ञात होता है कि संपूर्ण भारत में शाहपुरा ही एकमात्र ऐसी स्वतंत्र रियासत थी जिसने आजादी से एक दिन पूर्व ही स्वतंत्र होने के साथ ही सरदार पटेल के आव्हान पर बिना किसी शर्त के अखंड भारत में अपने विलय की घोषणा कर दी थी। धर्म, तप और बलिदान के साथ इतिहास में अपनी विशिष्ट पहचान और आजादी में अपने अनमोल बलिदान के बावजूद आजादी के बाद 1950 तक जिला बना रहे शाहपुरा से उसका जिले का दर्जा छीन लिया गया और तभी से 73 वर्षों तक अपने अस्तित्व को जिन्दा रखने के लिए संघर्ष करने वाले शहर के साथ इस तरह का भेदभाव किसी भी दृष्टिकोण से स्वीकार्य नहीं हैं।ज्ञापन में अवगत कराया की नवगठित शाहपुरा जिले को यथावत् रखने की माँग और कार्यक्रम अब तक पूर्ण रूप से अनुशासित ढंग से शांति के साथ चलता आ रहा है क्योकि आम आवाम की आस्था प्रदेश सरकार में हैं लेकिन यदि सरकार द्वारा लिया गया प्रतिकूल निर्णय वापस नही लिया जाता है तो क्षेत्र में किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति में बिगड़ने वाली कानून व्यवस्था, किसी भी प्रकार की हानि और होने वाले आंदोलन के समस्त जिम्मेदारी राजस्थान सरकार की होगी।