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शाहपुरा में शिक्षा व संस्कृति का संगम- अनुराग बाला पाराशर फाउंडेशन ने किया डिजिटल कक्षा व सरस्वती मंदिर का लोकार्पण

शाहपुरा-मूलचन्द पेसवानी
शाहपुरा में साहित्यकार, कवियित्री एवं लेखिका स्वर्गीय अनुराग बाला पाराशर की स्मृति में गठित अनुराग बाला पाराशर फाउंडेशन द्वारा शुक्रवार को शिक्षा और संस्कृति के संगम का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया गया। फाउंडेशन की ओर से आदर्श विद्या मंदिर माध्यमिक विद्यालय, गांधीपुरी में नवनिर्मित डिजिटल कक्षा कक्ष और सरस्वती मंदिर का लोकार्पण किया गया। दोनों का निर्माण लगभग 6 लाख रुपये की लागत से कराया गया है, जिससे विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ भारतीय संस्कारों का समन्वय सीखने का अवसर मिलेगा।
समारोह का आयोजन शिक्षाविद प्रेमदेवी पाराशर के आतिथ्य में हुआ। इस अवसर पर बतौर अतिथि पूर्व आयुर्वेद उपनिदेशक डॉ. कमलाकांत शर्मा ‘कमल’, एसीबीईओ डॉ. सत्यनारायण कुमावत, विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष कन्हैयालाल वर्मा, सचिव विजय सिंह राणावत, विपिन सनाठ्य, फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. कमलेश पाराशर तथा विद्यालय के प्रधानाचार्य दुर्गालाल जांगिड़ उपस्थित रहे।
समारोह में अनुराग बाला पाराशर फाउंडेशन द्वारा बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने हेतु शाहपुरा ब्लॉक की दो प्रतिभाशाली बालिकाओं को सम्मानित किया गया। प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली रिंकू द्वारका कीर (फुलियाकलां) तथा द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाली माया भेरूलाल गुर्जर (डोहरिया) को फाउंडेशन की ओर से स्मृति चिन्ह, प्रमाण पत्र और नकद राशि प्रदान कर सम्मानित किया गया। फाउंडेशन ने यह पहल समाज में बेटियों की शिक्षा और सशक्तिकरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक प्रेरक संदेश दिया।
कार्यक्रम में पूर्व शिक्षा उपनिदेशक तेजपाल उपाध्याय ने अनुराग बाला पाराशर के जीवन, रचनात्मक कार्यों और साहित्यिक योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अनुराग बाला ने अपने जीवनकाल में न केवल साहित्य की सेवा की, बल्कि समाज में नैतिक मूल्यों को संजोए रखने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कार्य किया। उनकी कविताएं और कहानियां इतनी सशक्त थीं कि उन पर लघु फिल्में तक बन चुकी हैं।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. परमेश्वर कुमावत ने किया। उन्होंने कहा कि आज जब समाज तेजी से आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है, तब संस्कारों और संस्कृति का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। अनुराग बाला का जीवन इसी आदर्श का प्रतीक था। फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. कमलेश पाराशर ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि आज धन्वंतरि जयंती की पूर्व संध्या पर आयोजित यह कार्यक्रम स्वास्थ्य, शिक्षा और संस्कृति दृ तीनों का संगम है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने जीवन में शिक्षा के साथ संस्कारों को भी समान महत्व दें।
कार्यक्रम में मौजूद अतिथियों ने अनुराग बाला पाराशर की स्मृति में किए जा रहे इस प्रकार के कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। डॉ. कमलाकांत शर्मा ‘कमल’ ने कहा कि समाज को संस्कारयुक्त शिक्षा की आवश्यकता है और इस दिशा में अनुराग बाला पाराशर फाउंडेशन का यह प्रयास अनुकरणीय है। डॉ. सत्यनारायण कुमावत ने कहा कि डिजिटल कक्षा जैसी पहल विद्यार्थियों को आधुनिक तकनीकी शिक्षा से जोड़ने का मार्ग प्रशस्त करेगी। वहीं सरस्वती मंदिर का निर्माण बच्चों के मन में ज्ञान और श्रद्धा का भाव उत्पन्न करेगा।
कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षकों और विद्यार्थियों ने भी नई डिजिटल कक्षा का अवलोकन किया। विद्यालय के प्रधानाचार्य दुर्गालाल जांगिड़ ने बताया कि इस डिजिटल कक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों को विषयों की दृश्यात्मक और इंटरएक्टिव जानकारी प्राप्त होगी, जिससे उनकी सीखने की क्षमता में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन द्वारा इस प्रकार का योगदान शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा कदम है, जो क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए वरदान साबित होगा।
कार्यक्रम के अंत में विद्यालय प्रबंध समिति के सचिव विजय सिंह राणावत ने सभी अतिथियों, शिक्षकों और विद्यार्थियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अनुराग बाला पाराशर जैसी विभूतियां समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं, और उनके नाम पर किए जा रहे इस प्रकार के प्रयास उनके सपनों को साकार करने की दिशा में एक सार्थक कदम हैं। इस अवसर पर बड़ी संख्या में शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र-छात्राएं और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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