शाहपुरा, मूलचन्द पेसवानी । शाहपुरा को पुनः जिला घोषित कराने की मांग को लेकर चल रहा संघर्ष एक बार फिर तेज हो गया है। अभिभाषक संस्था शाहपुरा के तत्वाधान में जिला बचाओ संघर्ष समिति द्वारा आज मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार के नाम पांचवां स्मरण पत्र उपखण्ड अधिकारी शाहपुरा को सौंपा गया। इस दौरान समिति के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री को पूर्व में दिए गए आश्वासन की याद दिलाते हुए कहा कि अब और इंतजार नहीं किया जा सकता, शाहपुरा को जिला बनाना सरकार की जिम्मेदारी है। संघर्ष समिति के महासचिव कमलेश मुंडेतिया के नेतृत्व में दिए गए इस स्मरण पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने जयपुर में शाहपुरा विधायक की मौजूदगी में समिति के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता के दौरान शाहपुरा को जिला बनाने का सकारात्मक आश्वासन दिया था। यह आश्वासन जनता के सामने दिया गया था, लेकिन पाँच माह बीत जाने के बावजूद सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। इससे शाहपुरा क्षेत्र के लोगों में गहरा आक्रोश व्याप्त है।
मुंडेतिया ने कहा कि शाहपुरा का जिला दर्जा केवल राजनीतिक निर्णय नहीं, बल्कि यहाँ के जनहित और प्रशासनिक सुविधा से जुड़ा सवाल है। शाहपुरा क्षेत्र में लगभग 250 से अधिक गाँव आते हैं और जनता को छोटी-छोटी सरकारी सेवाओं के लिए भी भीलवाड़ा तक जाना पड़ता है। इससे समय और आर्थिक नुकसान होता है। समिति ने यह भी कहा कि जब राजस्थान सरकार ने 2023 में नये जिलों की घोषणा की थी, तब शाहपुरा को जिला घोषित किया गया था, लेकिन बाद में इसे रद्द कर दिया गया, जो जनता के साथ अन्याय है।
संघर्ष समिति के सदस्य अधिवक्ता मोहम्मद शरीफ, राहुल पारीक, गीत मंडेला, प्रॉपर्टी एसोसिएशन अध्यक्ष अजय मेहता, कपड़ा व्यवसायिक संगठन के अध्यक्ष ओम सिंधी, स्टांप वेंडर संगठन के अध्यक्ष भगवान सिंह यादव, समिति सदस्य उदय लाल बेरवा, सतनारायण पाठक, हाजी उस्मान, मोहम्मद छिपा, दुर्गालाल जोशी, कवि दिनेश “बंटी” शर्मा, मदनलाल कंडारा, छोटू रंगरेज, रामस्वरूप खटीक, सुनील पाराशर, अरुण राव, चरणदास खटीक, किशन कहार, प्रेम सिंह यादव, राजू कायमखानी, केदार गुर्जर सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
स्मरण पत्र के दौरान सभी ने एक स्वर में कहा कि जब तक शाहपुरा को पुनः जिला नहीं बनाया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। समिति के प्रतिनिधियों ने कहा कि मुख्यमंत्री से मिलकर दिए गए वादे की जनता को उम्मीद थी, लेकिन अब धैर्य की सीमा टूट रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार शीघ्र ही निर्णय नहीं लेती है तो बड़े स्तर पर जनआंदोलन किया जाएगा।
जनता में बढ़ रहा असंतोष
शाहपुरा क्षेत्र की जनता का कहना है कि जिला बनने से यहाँ के विकास कार्यों को नई दिशा मिलेगी। वर्तमान में प्रशासनिक स्तर पर कई दिक्कतें आती हैं, जिससे विकास कार्यों की गति रुक जाती है। लोगों का कहना है कि शाहपुरा में सभी आवश्यक संसाधन, भूगोलिक स्थिति और जनसंख्या के आधार पर जिला बनने की पूरी पात्रता है। इसके बावजूद सरकार का निर्णय लंबित रहना दुर्भाग्यपूर्ण है।
अधिवक्ताओं और व्यापारिक संगठनों का समर्थन
इस मांग को अब व्यापारिक और अधिवक्ता संगठनों का भी समर्थन मिलने लगा है। अभिभाषक संस्था शाहपुरा के अध्यक्ष ने कहा कि यह केवल राजनीतिक विषय नहीं बल्कि प्रशासनिक सुविधा और जनता के अधिकार से जुड़ा मुद्दा है। व्यापारी वर्ग ने भी कहा कि जिले का दर्जा मिलने से न केवल व्यवसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि निवेश और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
संघर्ष समिति की चेतावनी
जिला बचाओ संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि शाहपुरा के जनभावनाओं का सम्मान करते हुए इसे शीघ्र जिला घोषित किया जाए। समिति ने कहा कि यदि आने वाले दिनों में सरकार की ओर से कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया तो आंदोलन को राज्यव्यापी स्वरूप दिया जाएगा और धरना-प्रदर्शन के साथ जनजागरण अभियान चलाया जाएगा।
शाहपुरा के विकास का सवाल
समिति का मानना है कि शाहपुरा क्षेत्र ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहां से अजमेर, भीलवाड़ा और जयपुर के बीच की दूरी समान होने के कारण यह एक आदर्श जिला मुख्यालय बन सकता है। इसके अलावा क्षेत्र में शिक्षा, चिकित्सा, कृषि और पर्यटन के क्षेत्र में भी अपार संभावनाएं हैं।
समापन में संघर्ष समिति के महासचिव कमलेश मुंडेतिया ने कहा कि “शाहपुरा की जनता ने जिस विश्वास के साथ संघर्ष समिति का साथ दिया है, वह आंदोलन को शक्ति देता है। हम तब तक संघर्ष जारी रखेंगे जब तक शाहपुरा को जिला घोषित नहीं किया जाता।” इस अवसर पर बड़ी संख्या में शाहपुरा के नागरिक उपस्थित रहे और एक स्वर में “शाहपुरा जिला बनाओ जनता का वादा निभाओ” के नारे लगाए। इससे पूरा परिसर जनआंदोलन के रंग में रंग गया।


