भीलवाड़ा । रायला के निकटवर्ती ईरांस ग्राम पंचायत स्थित श्मशान घाट वर्षों से जर्जर और बदहाल स्थिति में है। इस श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के लिए बने टीन शेड की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि छत और खंभों में दरारें पड़ गई हैं और टीन की चद्दर कई जगह से टूटकर लटकी हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि इस टीन शेड में किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है। पिछले रविवार को इस श्मशान घाट की स्थिति ने ग्रामीणों के सामने गंभीर समस्या पेश की, जब राकेश वैष्णव (27) पुत्र श्यामदास वैष्णव का सड़क हादसा हुआ। राकेश की अल्टो कार की टक्कर में मौके पर ही मृत्यु हो गई, जबकि उनका साथी पिंटू घायल हुआ। घायल पिंटू को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। राकेश के शव को पहले रायला चिकित्सालय की मोर्चरी में रखा गया, और सोमवार को रायला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर व गुलाबपुरा पुलिस टीम द्वारा पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सुपुर्द किया गया।
इसके बाद जब मृतक के परिजन और ग्रामीण अंतिम संस्कार के लिए ईरांस श्मशान पहुंचे, तो उन्हें रास्ते में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। बरसात के कारण रास्ते की हालत अत्यंत खराब थी। कीचड़ भरे रास्तों और नालियों की अनुपस्थिति के कारण शव को श्मशान घाट तक पहुँचाना चुनौतीपूर्ण हो गया। ग्रामीणों ने शव को कंधे पर उठाकर कीचड़ से होते हुए श्मशान घाट तक पहुँचाया, जिसमें बारिश ने भी मुश्किलें बढ़ा दी।
श्मशान घाट की स्थिति और भी चिंताजनक है। मानसी नदी के किनारे स्थित इस श्मशान भूमि पर बैठने या आश्रय की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। शोकाकुल परिजनों और ग्रामीणों को खुले में खड़े रहना पड़ा। ग्रामीणों के अनुसार, यह टीन शेड लगभग 20-25 वर्ष पुराना है और अब पूरी तरह जर्जर हो चुका है। खंभों में दरारें हैं, और अंदर सांप-बिच्छू का डर बना रहता है, जिससे अंतिम संस्कार करने वालों की सुरक्षा को भी खतरा है।
ग्रामीणों ने बताया कि श्मशान घाट के लिए पहले ही भूमि आवंटित की जा चुकी है, लेकिन कार्य अधूरा छोड़ दिया गया। कई बार शिकायत के बावजूद प्रशासन की ओर से इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि वर्तमान स्थिति में किसी भी परिवार को अंतिम संस्कार के दौरान गंभीर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
स्थानीय निवासी रामचरण वैष्णव ने कहा, ष्हम कई बार प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन न तो नया टीन शेड बना और न ही रास्ते को पक्का किया गया। ऐसे हालात में किसी भी परिवार को अंतिम संस्कार करना मुश्किल हो जाता है।ष् उन्होंने कहा कि बरसात के दिनों में कीचड़ और पानी से शव को घाट तक ले जाना बहुत कठिन होता है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द नया टीन शेड बनवाया जाए और श्मशान घाट तक पक्का मार्ग बनाया जाए। इसके साथ ही, आवश्यक सुविधाएं जैसे बैठने की व्यवस्था, छाया और सुरक्षित आवरण की व्यवस्था भी उपलब्ध करवाई जाए, ताकि भविष्य में किसी भी परिवार को इस प्रकार की मुश्किलों का सामना न करना पड़े।
स्थानीय प्रशासन की ओर से अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यदि शीघ्र कार्यवाही नहीं हुई तो भविष्य में इस स्थान पर किसी बड़ा हादसा होने की संभावना बनी रहेगी।
ईरांस श्मशान घाट की यह स्थिति ग्रामीण जीवन और सांस्कृतिक परंपराओं पर भी प्रभाव डाल रही है। अंतिम संस्कार जैसी संवेदनशील प्रक्रिया में ग्रामीणों को सुरक्षा और सुविधा की आवश्यकता होती है, लेकिन वर्तमान हालात में उनका जीवन कठिन और जोखिमपूर्ण हो गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि टीन शेड में जर्जर खंभों और टूटे हुए छत के कारण लोग डरते हैं, और कई बार सांप-बिच्छू जैसी समस्याएं भी सामने आती हैं। इसलिए नए निर्माण और सुरक्षा उपायों की अत्यंत आवश्यकता है।
ग्रामीणों की मांग है कि वहां नया टीन शेड, सुरक्षित और पक्का मार्ग, और आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था तुरंत सुनिश्चित करे। ताकि न केवल मृतक के परिजन को उचित सम्मान मिल सके, बल्कि ग्रामीणों को अंतिम संस्कार के दौरान किसी प्रकार की असुविधा या खतरे का सामना न करना पड़े। ईरांस श्मशान घाट की जर्जर हालत और ग्रामीणों की मुश्किलें प्रशासनिक लापरवाही और देरी को उजागर करती हैं। अब समय आ गया है कि प्रशासन सक्रिय होकर इस संवेदनशील मामले को हल करे और ग्रामीणों की भावनाओं और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखे।


