श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा संस्था ने मनाया आचार्य तुलसी का 28 वा महाप्रयाण दिवस
भीलवाड़ा/स्मार्ट हलचल/तेरापंथ धर्म संघ के 11वे अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी की आज्ञानुवर्ती साध्वी कीर्तिलता ठाणा-4 ने कहा कि आचार्य तुलसी के बारे में कुछ भी कहना सूर्य को दीया दिखाना है। वे युग पुरुष थे। उनका कोई न कोई करिश्माई व्यक्तित्व था। उनके शासन काल के बीस वर्ष हमने भी देखे। आज भी विश्वास नहीं होता कि वे हमारे बीच नहीं हैं।
वे सोमवार को भीलवाड़ा अणुव्रत साधना सदन स्कूल में आचार्य तुलसी के 28 वें महाप्रयाण दिवस पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि मृत्यु शाश्वत सत्य है। संत कबीर की वाणी आचार्य तुलसी पर सटीक बैठती है कि पैदा हुए तो हम रोए, जग हंसे-करनी ऐसी कर जा कि तू हंसे, जग रोए। आचार्य श्री ने अपने चार मंत्री बताए थे। विवेक शिक्षा मंत्री, साहस रक्षा मंत्री, पुरुषार्थ अर्थ मंत्री तथा आत्म चिंतन गृह मंत्री। जब भी कोई समस्या आती तो
इन कर इन चारों पर चिंतन कर काम किया करते थे। वे कहते थे कि जो करे हमारा विरोध, हम समझें उसे विनोद। साध्वी शांतिलता ने कहा कि खुद जलकर संसार को आलोकित करने वाला कोई महापुरुष ही हो सकता है। संघ की जड़ों को निरंतर आपने अथक श्रम एवं संस्कारों का सिंचन देकर विशाल वट वृक्ष बनाया।
साध्वी श्रेष्ठप्रभा ने कहा कि जब तक आचार्य श्री तुलसी हमारे बीच थे तब तक उनके अवदानों की महत्ता लोगों को मालूम नहीं हुई लेकिन आज जब वे हमारे बीच नहीं हैं, तो उनकी महत्ता का एहसास हो रहा है। आज उनके संकल्प, अवदान हमें याद आते हैं। वे एक व्यक्ति नहीं बल्कि संपूर्ण गौरवपूर्ण संस्कृति थे। जो काम सरकारें नहीं कर सकीं, वे आचार्य की वाणी मात्र से हो गए। उन्होंने स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा कि ‘जब मेरा पारमार्थिक शिक्षण संस्था में प्रवेश हुआ तब मुझे हिन्दी बोलना तक नहीं आता था। आचार्य श्री का आशीर्वाद मिला तो काया पलट हो गई।
मुमुक्षु बहिन ने ‘म्हानै पल पल तुलसी री याद सतावै‘ एक सुंदर गीतिका की प्रस्तुति दी। इसके बाद साध्वी शांतिलता, साध्वी पूनम प्रभा और साध्वी श्रेष्ठप्रभा ने आचार्य श्री से देवलोक से सीधे साक्षात्कार कराते हुए एक बहुत ही रोचक प्रस्तुति दी जिसमें दर्शाया गया कि आचार्य श्री ने देवलोक से नौ देवियों के हाथों धर्म संघ को अपना संदेश भेजा।