Homeसीकरश्री श्याम बाग रिसोर्ट विवाद: मुख्यमंत्री तक पहुँचा मामला

श्री श्याम बाग रिसोर्ट विवाद: मुख्यमंत्री तक पहुँचा मामला

 (बजरंग आचार्य)

स्मार्ट हलचल|सादुलपुर के पास लम्बोर छिंपियान गांव में प्रस्तावित श्री श्याम बाग रिसोर्ट का निर्माण कार्य एक बड़े विवाद में उलझ गया है, और अब यह मामला मुख्यमंत्री और मंत्री हरलाल सिंह खर्रा तक पहुँच गया है। राजगढ़ के व्यवसायी राघव सरावगी ने राजस्थान सरकार की MSME योजना के तहत अपनी कृषि भूमि (खसरा नंबर 506/196) पर यह रिसोर्ट बनाने का काम शुरू किया था।
सरावगी के अनुसार, इस योजना के तहत उन्हें निर्माण कार्य के लिए स्टांप ड्यूटी और भूमि रूपांतरण में 75% की छूट मिली हुई है, और 25% सब्सिडी का भी प्रावधान है। उनके पास 16 जनवरी 2030 तक इस छूट के आदेश हैं।
बैंक से ऋण लेने के लिए सरावगी ने 3 मार्च 2025 को अपनी भूमि के रूपांतरण (कन्वर्जन) के लिए नगरपालिका में आवेदन किया था। शुरुआती जाँच के बाद, कनिष्ठ अधिकारी ने रूपांतरण को नियमों के अनुसार बताया और रिपोर्ट भी दे दी।
विवाद की शुरुआत
इसके बाद, नगरपालिका ने 80 फुट की सड़क को अस्वीकार करते हुए 30 जुलाई को रूपांतरण के खिलाफ नोटिस जारी कर दिया। इसके तुरंत बाद, 2 अगस्त को नगरपालिका ने रूपांतरण की पत्रावली को निरस्त करने का आदेश भी दे दिया।
सरावगी ने इस संबंध में नगरपालिका प्रशासक एसडीएम मीनू वर्मा और जिला कलेक्टर से भी मुलाकात की, लेकिन उनका कहना है कि नगरपालिका ने मनमानी जारी रखी।
मुख्यमंत्री का हस्तक्षेप
इसके बाद, राघव सरावगी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री और मंत्री हरलाल सिंह खर्रा से मुलाकात की और उन्हें पूरे मामले की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पत्रावली चूरू जिला कलेक्टर को भेजकर रिपोर्ट माँगी है।
राघव सरावगी ने यह भी बताया कि उन्होंने राजस्थान उच्च न्यायालय के 17 दिसंबर 2021 के एक फैसले का हवाला भी दिया है, जिसमें ऐसे ही एक मामले में उच्च न्यायालय ने संबंधित नगरपालिका को निर्माण कार्य में बाधा न डालने का आदेश दिया था। सरावगी का आरोप है कि राजगढ़ नगरपालिका किसी भी सरकारी आदेश या उच्च न्यायालय के निर्णय को नहीं मान रही है।
नगरपालिका का पक्ष
इस मामले में नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी राकेश अरोड़ा का कहना है कि नगरपालिका नियमानुसार ही नोटिस जारी कर रही है। उन्होंने कहा कि आवेदक का 90-ए का आवेदन भी नियमों के तहत ही रद्द किया गया है।
अब सबकी निगाहें जिला कलेक्टर की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जिससे इस विवाद का भविष्य तय होगा।

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