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सिंधी समाज की महिलाओं ने श्रद्धा और उल्लास से मनाया नंडी सतहँ पर्व,पति और पुत्रों की लंबी उम्र के लिए किया माता शीतला का सामूहिक पूजन

भीलवाड़ा । भीलवाड़ा शहर में गुरुवार को सिंधी समाज की महिलाओं ने सामूहिक रूप से नंडी सतहँ (छोटी सातम) पर्व परंपरा, आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया। यह पर्व सिंधी समाज में विशेष महत्व रखता है, जिसमें महिलाएं अपने पति और पुत्रों की लंबी उम्र और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हुए माता शीतला और जल देवता का पूजन करती हैं। सिंधी समाज के मीडिया प्रभारी मूलचंद बहरवानी ने बताया कि भीलवाड़ा के सिंधु नगर, बापू नगर, शास्त्री नगर, वीर सावरकर चैक, आर.के. कॉलोनी, पुराना भीलवाड़ा और नाथद्वारा सराय क्षेत्र सहित शहर के विभिन्न इलाकों में महिलाओं ने नंदी सतहँ पर्व पूरे विधि-विधान और भक्ति भाव से मनाया।इस पर्व की विशेषता यह रही कि महिलाओं ने पूजन से एक दिन पूर्व रात में ही विशेष पकवान जैसे सिवइयाँ, मीठी कोकी, चेहरी मानी, नानकताई, खोराक, मीठा पकौड़ा, खटो भत, आम, चैपा आदि बनाए। इसके बाद चूल्हे की अग्नि को शांत कर अगली सुबह ठंडा भोजन माता शीतला को भोग स्वरूप अर्पित किया गया। नारियल, अगरबत्ती, पुष्प और अन्य पूजन सामग्री से माता की पूजा की गई। सभी महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सजधज कर समूहों में एकत्रित हुईं और सामूहिक रूप से पूजन किया। इस दौरान महिलाओं ने माता शीतला की कथा का सामूहिक श्रवण कर पूजा अर्चना की। कथा के माध्यम से माता के उपदेश, स्वास्थ्य संरक्षण और घर में सुख-शांति के महत्व को समझाया गया।इस धार्मिक आयोजन में चित्रा लोहानी, इंदु लालवानी, अनामिका बहरवानी, हर्षिता विधानी, रिया भोजवानी, रेखा लखवानी, ज्योति सखरानी, हरि भोजवानी, हर्षिता बहरवानी, रेणु भोजवानी, चाँदनी सखरानी, वर्षा सखरानी, अनिता नेभवानी, रोमा लखवानी, भगवंती भगत, सुनीता तुल्सानी, दिव्या लालवानी और रेखा बहरवानी सहित अनेक महिलाएं शामिल रहीं। सभी ने उत्साह और भक्ति के साथ इस पर्व को उत्सव रूप में मनाया। उल्लेखनीय है कि नंडी सतहँ पर्व न केवल धार्मिक भावना से जुड़ा हुआ है, बल्कि यह सिंधी समाज की पारंपरिक संस्कृति और महिला एकता का भी प्रतीक है। इस पर्व के माध्यम से महिलाएं परिवार की सुख-शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए सामूहिक रूप से प्रार्थना करती हैं। समाज के नागरिकों का कहना है कि ऐसे धार्मिक आयोजन समाज में एकता, सद्भावना और परंपराओं के संरक्षण को बढ़ावा देते हैं। विशेष रूप से युवा पीढ़ी को इन परंपराओं से जोड़ना आवश्यक है ताकि सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाया जा सके। नंडी सतहँ पर्व की इस अनूठी परंपरा में यह भी देखा गया कि आधुनिकता की दौड़ में जहां लोग परंपराओं से दूर हो रहे हैं, वहीं सिंधी समाज की महिलाएं आज भी अपनी सांस्कृतिक पहचान और धार्मिक रीति-रिवाजों को जीवंत बनाए हुए हैं। सामूहिक पूजा के उपरांत महिलाओं ने आपस में पकवानों का आदान-प्रदान किया और एक-दूसरे को पर्व की शुभकामनाएं दीं। सभी ने यह संकल्प लिया कि आने वाले वर्षों में भी यह पर्व इसी प्रकार मिल-जुल कर, परंपराओं का पालन करते हुए मनाया जाएगा।

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