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सिंगोली चारभुजा में कवि सम्मेलन से फूलडोल महोत्सव का रंगारंग आगाज, काव्य प्रस्तुतियों ने खूब बटोरी तालियाँ

शाहपुरा-पेसवानी
मेवाड़ अंचल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल सिंगोली चारभुजा में शुक्रवार देर रात्रि को कवि सम्मेलन के साथ फूलडोल महोत्सव का भव्य शुभारंभ हुआ। यह महोत्सव 30 मार्च तक तीन दिवसीय कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक एवं धार्मिक गतिविधियाँ होंगी। कवि सम्मेलन सूत्रधार नवीन सारथी के संयोजन में शानदार आगाज हुआ। कार्यक्रम का दीप प्रज्वलन मांडलगढ़ के पूर्व विधायक एवं फूलडोल सुझाव समिति के अध्यक्ष प्रदीप कुमार सिंह, प्रशासक राकेश कुमार आर्य, गिरीश विद्रोही, वरिष्ठ कवि अजात शत्रु द्वारा किया गया। संचालन प्रभु लाल सोमानी ने प्रारंभ में किया। सरस्वती वंदना कोमल नाजुक ने प्रस्तुत की, जिसने वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
कवि सम्मेलन में हास्य, व्यंग्य, राष्ट्रभक्ति और सामाजिक संदेशों से परिपूर्ण काव्य प्रस्तुतियाँ हुईं, जिन्होंने उपस्थित श्रोताओं को गुदगुदाने के साथ-साथ सोचने पर भी विवश कर दिया।
कवियों की प्रस्तुति बनी आकर्षण का केन्द्र-
वरिष्ठ कवि अजात शत्रु की पंक्तियाँ- इधर पद्मिनी दर्पण देखे, उधर वो खिलजी मूर्छित हो। जहाँ हुमायूं बहना की लाज बचाने आकर्षित हो, ने श्रोताओं को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया। कवि गिरीश विद्रोही ने अपने सामाजिक व्यंग्य और भक्ति रस से भरी रचना-जागे जागे नंद लाल, लाओ रे माखन मिश्री के थाल। चरित्रहीन नेताओं में नैतिकता आएगी, मरी हुई सोने की चिड़िया फिर जिंदा हो जाएगी, के माध्यम से समाज के मूल्यों पर कटाक्ष किया।
संदीप शौर्य मंदसौर ने राजस्थानी माटी की शौर्यगाथा सुनाते हुए कहा -राजस्थानी माटी के प्रताप ने दिया प्रताप यूँ, कि पूरे देश का प्रताप बढ़ गया, जिससे पांडाल में जोश भर गया। कोमल नाजुक रायबरेली ने अपनी भावनात्मक रचना-मुझे बर्बादियों ने जीस्त के काबिल बनाया है, हुनर जीने का तब मुझको बुजुर्गों ने सिखाया है, से लोगों की भावनाओं को छुआ। पंकज जोशी देवास ने राजनीति और सामाजिक विडंबनाओं पर करारा व्यंग्य प्रस्तुत करते हुए कहा-वह नेता जो नशाबंदी पर भाषण देता है, रोज शाम को लेता है, वो व्यापारी जो अपने आप को भगवान का भक्त बताता है, अपने अधिकारियों के साथ पीता है, खाता है, इन व्यंग्यों ने खूब तालियाँ बटोरीं।
नवीन सारथी चित्तौड़गढ़ ने वीरों की धरती की महिमा गाते हुए कहा-ये बलिदानों की धरती है, वीरों को जन्म दिया करती। मातृभूमि की रक्षा में अपने बेटों का अर्पण किया करती, जिससे माहौल देशभक्ति से भर गया, गोपाल धुरंधर नीमच ने बेटियों और नारी सम्मान पर मार्मिक पंक्तियाँ-सीधा तर्क है, जिस घर बेटी नहीं, वह घर नर्क है, सुनाकर समाज को गहन संदेश दिया। दिनेश बंटी शाहपुरा ने हास्य व्यंग्य के माध्यम से कहा-एक नेता को गुड़ से तोला, तो गुड़ बोला, ये दूसरे पलड़े में किसको धर रहे हो? तुम तो गुड़ और गोबर एक कर रहे हो, जिससे श्रोता ठहाकों में डूब गए।
कवि सम्मेलन में विधायक गोपाल लाल खंडेलवाल, मांडलगढ़ नगर पालिका अध्यक्ष संजय डांगी, भाजपा किसान मोर्चा प्रदेश महामंत्री महाराष्ट्र बिंदु रवि शेठ शर्मा, सिंगोली श्याम सेवा संस्थान के अध्यक्ष भवानी शंकर जोशी, पंचायत समिति सदस्य सत्य नारायण मेवाड़ा, श्याम लाल आचार्य, संदीप सोनी, बजरंग मंत्री, भारत सिंह, शैतान सिंह, देवस्थान विभाग के निरीक्षक भोजराज अग्रवाल, बालूलाल पाराशर सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
फूलडोल महोत्सव के इस रंगारंग कवि सम्मेलन ने श्रोताओं को न केवल हँसाया, गुदगुदाया, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रहित के गंभीर संदेश भी दिए। सिंगोली चारभुजा में आयोजित यह आयोजन स्थानीय संस्कृति और साहित्य को समर्पित एक प्रेरणास्पद प्रयास बनकर सामने आया। महोत्सव के आगामी कार्यक्रमों को लेकर जनमानस में उत्साह चरम पर है।

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