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राम मंदिर के लिए छह पीढ़ियों का तप: माघ मेले में गूंजा गोरक्षपीठ का यश

स्मार्ट हलचल/प्रयागराज। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण किसी एक दिन की घटना नहीं, बल्कि सदियों के संघर्ष का परिणाम है। इस आंदोलन में गोरखनाथ पीठ की छह पीढ़ियों की भूमिका को याद करते हुए माघ मेले के सेक्टर-6 स्थित नेत्र कुंभ शिविर में एक संगोष्ठी आयोजित की गई। ब्लॉसम इंडिया फाउंडेशन और भारत विकास परिषद के तत्वावधान में संपन्न इस कार्यक्रम में साधु-संतों, विद्वानों और विचारकों ने गोरखनाथ पीठ के योगदान को ऐतिहासिक करार दिया। निरंजन पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि गोरखनाथ पीठ न केवल राम मंदिर आंदोलन की धुरी रहा, बल्कि पूरे सनातन धर्म की रक्षा के लिए सदैव संघर्षरत रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक अशोक बेरी ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन को एक नई दिशा देने में गोरखनाथ पीठ की भूमिका निर्णायक रही, और यह कोई संयोग नहीं कि जब अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई, तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वयं गोरखनाथ पीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ थे। भारत विकास परिषद के संगठन मंत्री विक्रांत खंडेलवाल ने कहा कि यह वही पीठ है, जिसकी छह पीढ़ियों ने राम मंदिर के लिए अपना सर्वस्व अर्पित किया। संगोष्ठी के आयोजक एवं ब्लॉसम इंडिया फाउंडेशन के निदेशक शशि प्रकाश सिंह ने कहा कि गोरखनाथ पीठ के महंत दिग्विजयनाथ ने रामलला की मूर्तियों के प्रकट होने के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जबकि उनके शिष्य महंत अवैद्यनाथ ने इस आंदोलन को संपूर्ण राष्ट्र का अभियान बना दिया। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ और दादा गुरु महंत दिग्विजयनाथ के पदचिह्नों पर चलते हुए इस आंदोलन को सड़क से संसद तक पहुंचाया और इसे सफलता के शिखर तक ले गए। उन्होंने सरकार से मांग की कि 22 जनवरी को ‘सनातन स्वाधीनता दिवस’ घोषित किया जाए, क्योंकि यह केवल मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का दिन नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की पुनर्स्थापना का भी प्रतीक है। पूर्व पुलिस महानिरीक्षक के पी सिंह ने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि गोरखनाथ पीठ ने जिस निष्ठा और तपस्या से इस आंदोलन को जीवंत रखा, वह सनातन इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज रहेगा। इस अवसर पर यह भी बताया गया कि शशि प्रकाश सिंह द्वारा गोरखनाथ पीठ की छह पीढ़ियों के संघर्ष पर एक शोधपरक डॉक्यूमेंट्री का निर्माण किया गया है, जिसमें दर्शाया गया है कि भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी पहले गोरखनाथ पीठ ने राम मंदिर के लिए संघर्ष प्रारंभ कर दिया था। इस डॉक्यूमेंट्री में महंत दिग्विजयनाथ द्वारा रामलला के प्राकट्य के समय मौजूद रहने से लेकर, महंत अवैद्यनाथ द्वारा इसे एक जन आंदोलन में बदलने तक की घटनाओं को समाहित किया गया है। साथ ही, इसमें गोरखनाथ पीठ की सामाजिक समरसता और इसके व्यापक प्रभाव को भी दर्शाया गया है। शशि प्रकाश सिंह ने घोषणा की कि वे 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा दिवस की वर्षगांठ पर प्रतिवर्ष इस तरह के आयोजन करेंगे। कार्यक्रम का संचालन प्रख्यात लेखक, कवि और इतिहासकार जितेंद्र कुमार सिंह संजय ने किया। अंत में कार्यक्रम संयोजक शशि प्रकाश सिंह ने सभी प्रतिभागियों और अतिथियों का आभार प्रकट किया।

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