भीलवाड़ा । शहीद सत्यनारायण शर्मा की पुण्यतिथि पर 2 मार्च रविवार को करजालिया में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया।यह जानकारी देते हुए खंड कार्यवाह विनोद जोशी और खंड व्यवस्था प्रमुख विष्णुदत्त ने बताया कि करजालिया मे शहीद सत्यनारायण की पुण्यतिथि पर प्रतिवर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है शिविर का शुभारंभ वरिष्ठ स्वयंसेवक ओमप्रकाश आमेटा द्वारा शहीद की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। शिविर में भीलवाड़ा ब्लड बैंक की मेडिकल टीम के सहयोग से 111 यूनिट रक्त का संग्रह हुआ। इस अवसर पर खंड संघचालक रामगोपाल शर्मा, जिला कार्यवाह कमल किशोर, जिला शारीरिक प्रमुख महावीर ,जिला बौद्धिक प्रमुख सुनील,नानूराम,लक्ष्मण और क्षेत्र के अनेक स्वयंसेवक उपस्थित रहे।
कौन थे सत्यनारायण शर्मा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दैनिक शाखा के माध्यम से हिंदू समाज के संगठन और जागरण का कार्य श्री सत्यनारायण शर्मा के पिता श्री राम गोपाल जी शर्मा सन 1980 से ही पूर्ण समर्पण से करते आ रहे थे ,लेकिन समाज संगठन का यह काम काम निर्बाध नहीं था ।
इसी गांव के कुछ मुस्लिम कट्टर पंथी लोगों को यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक की गतिविधियां बिल्कुल पसंद नहीं आती थी ।और यहां के चंदन तस्कर मुस्लिम परिवार संघ कार्य में बार-बार बाधा डालते थे, स्वयंसेवकों को जान से मारने की धमकी देते थे ।स्वयंसेवकों के परिवार वालों को हर तरह से बहकाने का प्रयास करते थे । साथ में कोर्ट केस और अन्य कार्यवाही में फसाने का कार्य और अनावश्यक लड़ाई दंगा भी करते रहते थे। उन्होंने कई बार स्वयंसेवकों पर हमले कर उनको डराने और मारने का प्रयास किया था। श्री राम गोपाल जी शर्मा और गांव के अन्य स्वयंसेवकों ने 1980 से ही संघर्ष पूर्वक संघ का कार्य निरंतर जारी रखा था।
अब उनके पुत्र सत्यनारायण शर्मा और उनके बड़े भाई प्रकाश चंद्र शर्मा भी इस कार्य में लग गए थे यह उनको कतई सहन नहीं हो रहा था। उन्होंने संघ कार्य को खत्म करने और समाज को डराने के लिए संघ के सबसे सक्रिय स्वयंसेवक श्री सत्यनारायण जी शर्मा को निशाना बनाया। जबकि न तो सत्यनारायण शर्मा की ओर नहीं किसी स्वयंसेवक की उनसे कोई दुश्मनी थी।
श्री सत्यनारायण शर्मा दैनिक शाखा के साथ ही गांव में आयोजित होने वाले सभी धार्मिक सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेते थे उन्होंने उनकी इसी सक्रियता को ध्यान में रखकर उनकी हत्या का षड्यंत्र रचा। गांव में हर मंगलवार को श्री हनुमान जी की जो ज्योत निकाली जाती थी उसमें से सत्यनारायण शर्मा जरूर भाग लेते थे यह उन मुस्लिम कट्टरपंथियों पता था उन्होंने इसी ज्योत जाने वाले एक गांव के ही एक अन्य युवक को श्री सत्यनारायण शर्मा को उसके खुद के खेत पर लाने के लिए तैयार कर लिया। क्योंकि वह भी जोत में सक्रिय रूप से भाग लेता था इसलिए किसी को उसे पर शक भी नहीं हुआ। वह युवक ज्योत निकालने की तैयारी के बहाने सत्यनारायण शर्मा को घर से बुलाकर ले गया और बोला कि कुछ समय की देर है तब तक खेत पर चलकर आते हैं। और यह कहकर वह धोखे से सत्यनारायण शर्मा के स्वयं के खेत पर ही ले गया। दोनों की खेत पास में है। वहां पर कई मुस्लिम कट्टरपंथी पहले से ही घात लगाकर बैठे थे। उन कट्टरपंथियों ने सत्यनारायण शर्मा को चारों ओर से घेरकर बड़ी क्रूरता उनकी हत्या कर दी। सत्यनारायण शर्मा ने बड़ी वीरता से निशस्त्र होते हुए भी उन सब से संघर्ष किया लेकिन अपने से संख्या में कई अधिक और सशस्त्र कट्टरपंथियों से वह अपने प्राण नहीं बचा पाए। कट्टरपंथियों ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दी उनके पार्थिव शरीर पर 80 घाव थे।