Homeसोचने वाली बात/ब्लॉगसामाजिक कुरीतियाँ जीवन के लिए अभिशाप, बन रही गले की फांस

सामाजिक कुरीतियाँ जीवन के लिए अभिशाप, बन रही गले की फांस

मंजू सिंह सोशल एक्टिविस्ट
स्मार्ट हलचल/समाज मात्र एक शब्द नहीं अपितु यह शब्द अपने आप मे बड़ी गहराई लिए हुए है । व्यक्ति जुड़ कर रिश्ते बनते है रिश्तों से परिवार बनता है, परिवार जुडते जुडते एक समाज की संरचना करते है । इसलिए समाज हमारा ही परिवार है ये अलग नहीं है । व्यक्तियों के साथ साथ उनकी अच्छी बुरी सोच भी एक दूसरे से जुड़ जाती है । संवेदनाओं और इंसान का आपस मे बड़ा गहरा रिश्ता है । किन्तु जहां संवेदनाए समाप्त हो जाती है वहाँ कुरीतियाँ जन्म लेती है । आज समाज मे हम अपने चारों ओर देखते है तो यही पाते है की सारा समाज संवेदना हीन हो चुका है । संवेदनाहीन समाज मे अनेकों कुरीतियाँ फैल रही है । जिनकी वजह से आज समाज का विकृत रूप सामने आ रहा है। समाज मे फैली तमाम बुराइयाँ जैसे स्त्री शोषण , कन्या भ्रूण हत्या , भ्रष्टाचार , दहेज, बाल श्रम, छुआछूत, बाल विवाह , ये कुरीतिया समाज को खोखला कर रही हैं ,स्त्री शोषण ,कन्यां भ्रूण हत्या ,भ्रष्टाचार ,व दहेज की समस्याये तो पहले ही मौजूद थी लेकिन अब ये सोशल मीडिया का दुरुपयोग यहां आसानी से उपलब्धता, दिखावे का आर्कषण, फिर रिश्तों का तार तार होना, अवैध संबंध और ज्यादा पनपने लग गए, औरतों द्वारा प्रेमी के साथ मिलकर पति को मौत के घाट उतारना आए दिन रोज रोज किसी ना किसी न्यूज पेपर की खबरे बनती हैं, क्या महिलाएं इतनी मानसिक रोगी हो चुकी और दूसरे पुरुष की बातों में आकर अपने बसे बसाए घर बर्बाद करने लगी, रील का नशा इस कदर हावी है कि अश्लील कंटेंट रील बना रही है, बच्चों को मार रही है, विशेषकर अधिकांश महिलाये कानून और संविधान द्वारा प्रदत अधिकारों का नाजायज रूप से दुरुपयोग कर रही है, घर परिवार वाले उन्हें गलत कार्यों से रोकते हैं तो झूठी अबला बनकर उन्हें केस दर्ज कराने की कोशिश करती है, उनके पति घरवालों को मानसिक रूप से प्रताड़ित होना पड़ता है। ये महिलाएं आख़िर चाहती क्या हैं, क्या इनके घर के बच्चे, मां बाप इनके अश्लील कंटेंट नहीं देखते होंगे, ये उनके सामने कैसे नजर मिलाती होगी, देखने से और सुनने से यही साबित होता है कि वेश्याएं तो ऐसे ही बदनाम हैं, ये जो सती सावित्री बनकर समाज में रहती है और मुखौटा पहने दोहरा, त्रिया चरित्र लिए आजकल इन्होंने हद मचाई हुई है, कोई हनी बनी बन पैसे लूट रही है, कोई क्या कोई क्या, और ऐसी समस्याये खत्म होने की बजाये बढ़ती ही जा रही हैं ,आखिर कब तक इसी तरह होता रहेगा ये सब ,क्या अपना सब का फर्ज नहीं बनता के हम सब इन्हे दूर करने का प्रयास करे इनके खिलाफ आवाज उठाये …… हमारा देश सभ्यता , संस्कृति की मिसाल है क्या हम आंखों को मूंदकर अपने देश की सभ्यता संस्कृति को धूमिल होने दे सकते हैं, बिल्कुल भी नहीं, सोशल मीडिया पर पूरा विश्व देखता है हरकते, क्या प्रेम, संवेदनाओं से ज्यादा जिस्मानी रिश्ते हो गए, क्या औरतों द्वारा पैसे कमाने का यही एक मात्र काम है, अपनी बेटी को इतना तो समझा ही सकते हैं कि आप जो भी कर रहे हैं गलत है। कानून में बदलाव होना जरूरी है, और सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट पर बैन लगना जरूरी है। हम चाहे तो सब कुछ मुमकिन है,कोई भी मुसीबत इंसान के हौसलो से बड़ी नहीं होती,आओ हम सब मिलकर उक्त समस्याओ को दूर करने का प्रयास करे ,सबका सहयोग सबका विकास !

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