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सोलर प्लांट के नाम पर अनुसूचित जाति-जनजाति की 300 बीघा भूमि हड़पी, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से सख्त कार्रवाई की मांग, डगर संगठन ने सौंपा ज्ञापन

भीलवाड़ा-मूलचन्द पेसवानी
भीलवाड़ा जिले में एक बड़ा भूमि घोटाला सामने आया है। दलित-आदिवासी एवं घुमंतू अधिकार अभियान राजस्थान (डगर) ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, नई दिल्ली को एक विस्तृत शिकायत-पत्र सौंपते हुए आरोप लगाया है कि गुलाबपुरा उपखंड क्षेत्र की हुरडा और अंटाली तहसीलों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति समुदायों की करीब 300 बीघा उपजाऊ कृषि भूमि पर अवैध कब्जा कर सोलर प्लांट स्थापित किया गया है।
डगर के संस्थापक भंवर मेघवंशी और प्रदेश संयोजक एडवोकेट तारा चंद वर्मा द्वारा हस्ताक्षरित शिकायत में कहा गया है कि 10 अक्टूबर 2025 को एक समाचार पत्र की प्रकाशित रिपोर्ट ने इस पूरे घोटाले का पर्दाफाश किया है। यह मामला न केवल भूमि अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(1)(पअ) और 3(1)(अ) का स्पष्ट उल्लंघन भी है, जो अनुसूचित समुदायों की जमीन पर जबरन कब्जा करने को गंभीर अपराध मानता है।
शिकायत में बताया गया है कि हुरडा और अंटाली तहसील की जिन जमीनों (खसरा नंबर 3151/351/2, 3154/351/3, 3155/351/4 और 1661/103-105) पर सोलर प्लांट लगाए गए हैं, उन्हें पटवारी, तहसीलदार और एसडीएम स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेज तैयार कर हड़पा गया।
शिकायत के अनुसार, कई अनुसूचित जाति जनजाति किसानों से ₹2 से ₹5 लाख प्रति बीघा के नाममात्र मुआवजे पर धोखे से दस्तखत करवा लिए गए और बाद में उन्हीं की जमीन पर सोलर कंपनियों ने कब्जा कर लिया।
प्रभावित किसान परिवारों में रामनिवास, मूलचंद और पूनमचंद जैसे परिवार शामिल हैं, जो वर्षों से न्याय के लिए संघर्षरत हैं। लेकिन स्थानीय प्रशासन और पुलिस की उदासीनता और मिलीभगत के कारण अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
डगर संगठन ने अपनी शिकायत में आयोग से पांच प्रमुख मांगें रखी हैं। दोषी अधिकारियों पर एससी/एसटी एक्ट और आईपीसी की धाराओं में एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाए। 2009 से अब तक अवैध रूप से खरीदी गई सारी भूमि “बिला-नाम” घोषित कर मूल एससी/एसटी किसानों को वापस सौंपी जाए। भ्रष्टाचार में लिप्त सोलर कंपनियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम एवं एससीध्एसटी कानून के तहत जांच की जाए और अवैध प्लांट हटाए जाएं। पीड़ित परिवारों को बाजार मूल्य के आधार पर मुआवजा और सुरक्षा प्रदान की जाए। आयोग की ओर से उच्च स्तरीय जांच समिति गठित कर 30 दिन में रिपोर्ट पेश की जाए।
डगर द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी ने कहा कि “यह सिर्फ जमीन का विवाद नहीं, बल्कि संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों पर सीधा हमला है। अनुसूचित जाति-जनजाति समुदायों की जमीनें कॉर्पोरेट और सरकारी गठजोड़ द्वारा छीनी जा रही हैं। आयोग को तुरंत हस्तक्षेप कर न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।”
डगर के प्रदेश संयोजक एडवोकेट तारा चंद वर्मा ने कहा कि “एससी/एसटी एक्ट के तहत ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है, लेकिन स्थानीय प्रशासन अपराधियों को बचाने में जुटा है। यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो डगर आंदोलनात्मक रास्ता अपनाएगा।”
डगर संगठन ने स्पष्ट किया है कि अगर राष्ट्रीय आयोग और राज्य सरकार ने 30 दिन के भीतर ठोस कार्रवाई नहीं की, तो संगठन प्रभावित समुदायों के साथ मिलकर राज्यव्यापी आंदोलन और न्याय यात्रा प्रारंभ करेगा।
डगर की ओर से कहा गया है कि यह संघर्ष केवल भीलवाड़ा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि राजस्थान के उन सभी जिलों में फैलाया जाएगा, जहां अनुसूचित समुदायों की जमीनें सोलर कंपनियों, उद्योगपतियों या सरकारी परियोजनाओं के नाम पर छीनी गई हैं।

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