आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में एंग्जायटी यानी चिंता एक आम समस्या बन चुकी है। तनाव, काम का प्रेशर, रिश्तों की उलझनें और भविष्य को लेकर असुरक्षा की भावना जैसे कई कारणों से एंग्जायटी हो सकती है। एंग्जायटी होने पर बिना किसी स्पष्ट कारण के डर या घबराहट जैसा महसूस होता है। इस स्थिति में सांस फूलना, पसीना आना और सिरदर्द जैसी समस्याएं भी होते हैं। लेकिन अगर ये चिंता बहुत ज्यादा हो और लगातार 6 महीने या उससे ज्यादा समय तक बनी रहे, साथ ही आपकी रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करने लगे, तो इसका इलाज जरूरी है। एंग्जायटी की समस्या से निपटने के लिए आप कुछ टिप्स को आजमा सकते हैं।एंग्जायटी को कम करने के कुछ आसान तरीके –
सांसों पर ध्यान दें
जब हम चिंतित होते हैं, हमारी सांसें तेज और उथली हो जाती हैं। यह सबसे पहला और आसान तरीका है खुद को शांत करने का। उदाहरण के लिए, अगर किसी को पब्लिक स्पीच या किसी मीटिंग से पहले घबराहट हो रही है, तो बस पांच मिनट के लिए गहरी और धीमी साँसें लें। ऐसा करना शरीर को तुरंत रिलैक्स करने में मदद करता है
रोजाना हल्की एक्सरसाइज करें
थोड़ी बहुत शारीरिक गतिविधि करने से हमारा मूड और मानसिक स्थिति बहुत बेहतर होती है। इसका मतलब यह नहीं कि आपको जिम जाना पड़े, बल्कि सुबह हल्के चलना, घर के आस-पास 15-20 मिनट वॉक करना या थोड़ी स्ट्रेचिंग करना ही काफी है। जैसे ऑफिस के काम और घर की जिम्मेदारियों के बीच में थोड़ा समय निकालना – यही एंग्जाइटी कम करने का पहला कदम है।
विचार लिखें
कभी-कभी हमारी सबसे बड़ी चिंता हमारे दिमाग में रहती है। इसे डायरी में लिखना बेहद मददगार है। उदाहरण के लिए, अगर काम या घर की जिम्मेदारियों को लेकर मन घबराया हुआ है, तो उसे कागज पर उतारना दिमाग को हल्का करता है और समाधान पर ध्यान केंद्रित करने में आसानी होती है।
समय पर सोएं और नींद का ध्यान रखें
अच्छी नींद एंग्जाइटी को कम करने में बहुत महत्वपूर्ण है।कई लोग देर तक फोन या सोशल मीडिया पर रहते हैं, जिससे नींद पूरी नहीं होती और दिनभर बेचैनी बनी रहती है। कोशिश करें कि रोजाना 7-8 घंटे की नींद पूरी हो।
सोशल मीडिया और नकारात्मक खबरों से ब्रेक लें
हम अक्सर दूसरों की सफलता, लाइफस्टाइल या खबरों के चलते खुद को कम आंकते हैं। ऐसे समय में 1-2 घंटे का सोशल मीडिया ब्रेक लेना मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है।
छोटे छोटे ब्रेक लें
काम के बीच छोटा ब्रेक लेना बहुत जरूरी है। उदाहरण के लिए, अगर आप कंप्यूटर पर लगातार काम कर रही हैं या बैठकर काम कर रही हैं, हर घंटे 5 मिनट खिड़की से बाहर देखें, पानी पिएँ या हल्का स्ट्रेच करें। यह माइंड को ताज़गी देता है और चिंता कम करता है।
जरूरत पड़ने पर प्रोफेशनल मदद लें
अगर चिंता लगातार बनी रहती है, तो किसी मनोवैज्ञानिक या काउंसलर से बात करना बिल्कुल ठीक है। मदद लेना कमजोरी नहीं है – बल्कि यह खुद की देखभाल और समझदारी का हिस्सा है।