Yoon Suk-Yeol: नए राष्ट्रपति को राष्ट्रीय चुनाव आयोग के परिणामों की घोषणा के तुरंत बाद पदभार सौंप दिया जाएगा। इससे पहले 2017 में जब तत्कालीन राष्ट्रपति पार्क ग्यून-हे (Park Geun-hye) को संवैधानिक अदालत ने हटाया था, तब 9 मार्च को फैसले के बाद 9 मई को चुनाव कराए गए थे और अगले ही दिन नए राष्ट्रपति ने शपथ ली थी।
दक्षिण कोरिया की संवैधानिक अदालत ने यून सुक योल के महाभियोग मामले पर फैसला सुनाया। इसमें आठ संवैधानिक न्यायाधीशों ने सर्वसम्मति से माना कि यून सुक योल ने दक्षिण कोरिया के संविधान व कानूनों का गंभीर उल्लंघन किया है। स्थानीय समयानुसार 11 बजकर 22 मिनट पर संवैधानिक न्यायालय ने घोषणा की कि यून सुक योल को दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति के पद पर बर्खास्त कर दिया गया है।
वर्ष 2017 में दक्षिण कोरिया की पूर्व राष्ट्रपति पार्क ग्यून-ह्ये के बाद, यून सुक योल महाभियोग का सामना करने वाले दूसरे दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति बने हैं।
उसी दिन, दक्षिण कोरिया के संवैधानिक न्यायालय के न्यायाधीशों ने घोषणा की कि यून सुक योल द्वारा आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा मार्शल लॉ कानून (the Martial Law Act) का उल्लंघन है। संवैधानिक न्यायालय ने फैसला सुनाया कि यून सुक योल द्वारा आपातकालीन मार्शल लॉ लागू करना व राष्ट्रीय कांग्रेस में सैनिकों को भेजना संविधान का उल्लंघन है। साथ ही उसने फैसला सुनाया कि राजनेताओं की गिरफ्तारी अवैध है।
यून द्वारा मार्शल लॉ की घोषणा और उसके बाद उन पर महाभियोग ने देश की राजनीति में उथल-पुथल पैदा कर दी थी। लोग राष्ट्रपति के फैसले से सकते में थे और इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे।
राष्ट्रपति यून सुक योल ने बीते साल 3 दिसंबर को देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया था और सैंकड़ों सैनिकों और पुलिस अधिकारियों को नेशनल असेंबली भेज दिया था। यून सुक योल ने तर्क दिया कि उन्होंने सिर्फ सदन में व्यवस्था बनाए रखने के लिए ऐसा किया था, लेकिन जांच के दौरान सैन्य अधिकारियों ने बताया कि यून ने उन्हें विपक्षी सांसदों को सदन से बाहर निकालने का आदेश दिया था ताकि वे यून के आदेश के खिलाफ मतदान न कर सकें। हालांकि विपक्षी सांसद किसी तरह सफल रहे और उन्होंने योल के आदेश के खिलाफ मतदान कर उसे रद्द करा दिया।