Homeस्वास्थ्यविश्व किरेटोकोनस दिवस (10 नवम्बर 25) के उपलक्ष्य में विशेष

विश्व किरेटोकोनस दिवस (10 नवम्बर 25) के उपलक्ष्य में विशेष

बार-बार आँखों को मसलने से हो सकता है किरेटोकोनस

किरेटोकोनस से पीड़ित व्यक्तियों में चश्में का तिरछा नम्बर धीरे-धीरे बढ़ता चला जाता है एवं रोगियों को चश्मा लगाने के बाद भी स्पष्ट नहीं दिखाई देता है।

स्मार्ट हलचल|नेशनल किरेटोकोनस फाण्डेशन द्वारा विश्वभर में दिनांक 10 नवम्बर 2025 को ‘विश्व किरेटोकोनस दिवस’ मनाने का मुख्य उद्देश्य किरेटाकोनस नामक रोग के प्रति आमजनता में जागरूकता बढ़ाना है। इस वर्ष 10 नवम्बर को मनाये जाने वाले ‘विश्व किरेटोकोनस दिवस की थीम ‘कोन्स फाॅर ए काॅज़’ है।किरेटोकोनस आँख की पारदर्शी पुतली (काॅर्निया) में होने वाली विशेष प्रकार की बीमारी है, जिसमें काॅर्निया का आकार में उभार (काॅनिकल शेप) आ जाता है। किरेटोकोनस रोग सामान्यतः 14 वर्ष की आयु से लेकर 22 वर्ष की आयु वाले व्यक्तियों को हो सकता है। किरेटोकोनस रोग 3000 में से 1 व्यक्ति को हो सकता है। इस रोग का ठोस कारण अज्ञात है। नेत्र एलर्जी से पीड़ित आँखों को मसलने वाले व्यक्ति, डाउन सिन्ड्रोम से पीड़ित व्यक्ति एवं वंशानुगत किरेटोकोनस से पीड़ित व्यक्तियों की संतानों को यह रोग हो सकता है एवं आँखों को मसलने से बढ़ सकता है। किरेटोकोनस लगभग 90 प्रतिशत व्यक्तियों की दोनों आँखों को प्रभावित करता है एवं यह पुरूष एव महिलाओं को समान रूप से प्रभावित करता है।

किरेटोकोनस से पीड़ित रोगियो में नेत्र एलर्जी होने की सम्भावना अधिक होती है। किरेटोकोनस रोगियों को यथा सम्भव आँखों को रगड़ने (मसलने) से बचना चाहिए तथा साथ ही साथ स्टेराईड आई ड्राप्स का लम्बे समय तक प्रयोग चिकित्सक की देखरेख के बिना नहीं करना चाहिए। किरेटोकोनस से पीड़ित व्यक्तियों को अस्पष्ट दिखाई देता है। इन रोगियों की प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है एवं पढ़ने-लिखने हेतु आँखों पर बहुत जोर डालना पड़ता है। कभी-कभी किरेटोकोनस से पीड़ित व्यक्तियों को तिरछा एवं दो या अधिक प्रतिबिम्ब भी दिखाई दे सकते है। किरेटोकोनस से पीड़ित व्यक्तियों में चश्में का तिरछा नम्बर धीरे-धीरे बढ़ता चला जाता है एवं रोगियों को चश्मा लगाने के बाद भी स्पष्ट नहीं दिखाई देता है, जिसके कारण किरेटोकोनस से पीड़ित व्यक्ति को पढ़ने-लिखने, रोजमर्रा का कार्य करने एवं वाहन चलाने में बहुत परेशानी होने लगती है।

किरेटोकोनस के निदान के लिए काॅनियल टोपोग्राफी नामक टेस्ट किया जाता है। काॅनियल टोपोग्राफी नामक टेस्ट द्वारा किरेटोकोनस बिमारी के बढ़ने का पता लगाया जा सकता है। किरेटोकोनस से पीड़ित व्यक्तियों में किसी भी उपचार द्वारा बीमारी की सम्पूर्ण रोकथाम कर 100 प्रतिशत दृष्टि लौटाना पाना सम्भव नहीं है। इन रोगियों का आर. जी. पी. काॅन्टेक्ट लैंस, काॅर्नियल काॅलिज़न क्राॅस लिकिंग विद राइबोफ्लेविन (सी-3 आर), इम्पलान्टेबल टोरिक काॅन्टेक्ट लैंस (आई.सी.एल.), इन्ट्रास्ट्रोमल काॅर्नियल रिंग सेग्मेन्ट (केरा रिंग्स) अथवा टोरिक इन्ट्राआॅकुलर लैंस प्रत्यारोपण नामक नवीनतम तकनीकों द्वारा उपचार किया जाता है। किरेटोकोनस से पीड़ित रोगीयों में लेसिक लेजर सर्जरी द्वारा चश्मा हटाने का आॅपरेशन नहीं किया जाता है।

किरेटोकोनस की एडवांसड स्टेज में फुल थिकनेस केरेटोप्लास्टिक नामक आॅपरेशन द्वारा उपचार किया जाता है। विश्व किरेटोकोनस दिवस के अवसर पर आईए हम सभी मिलकर किरेटोकोनस नामक रोग को रोकने के लिए जागरूकता बढ़ाते चले। आंख को बार बार ना मसले, चश्में के तिरछा नंबर बढ़ने पर नेत्र चिकित्सक के परामर्श अनुसार काॅर्नियल टोपोग्राफी नामक जांच कराएं। किरेटोकोनस की आंरभिक अवस्था में निदान होने से बिमारी के बढ़ने को रोका जा सकता है।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
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