भीलवाड़ा (जम)स्मार्ट हलचल/जिले के बदनोर थाना क्षेत्र के रामगुफा की घाटी, बदनोर,निवासी किशन पुत्र लक्ष्मण
जो की अपहरण व दुष्कर्म,के आरोप में पिछले काफी समय से जेल में बंद था। विशिष्ट न्यायाधीश (बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम संख्या-
02)भीलवाड़ा की अदालत ने एक पीड़िता को बहला-फुसलाकर दुष्कर्म के
आरोपी किशन को हाल ही में संदेह का लाभ देते हुए दोष मुक्त करार दिया,
आरोपी की तरफ से
बीनू कुमारी टांक ने बहस करते हुए विशिष्ट न्यायाधीश संख्या 2 की अदालत के समक्ष सिक्किम हाईकोर्ट की तमाम दलीलों अन्य कई
दस्तावेज को प्रस्तुत किया. जिस पर माननीय अदालत ने मामले की बारीकी को समझ कर मामले के आरोपी किशन पुत्र लक्ष्मण को दोष मुक्त करार देते संदेह का लाभ पाने हक़दार बताते हुए बरी कर दिया।
वही राज्य सरकार की ओर से पैरवी विशिष्ठ लोक अभियोजक अनिल कुमार शुक्ला ने की ।
बताते चले की पीड़िता की रिपार्ट पर आरक्षी केन्द्र पारोली द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या पर 05/22 धारा 363, 366 भा.द.सं. में मामला पंजीबद्ध कर अनुसंधान आरम्भ किया गया तथा बाद आवश्यक अनुसंधान अभियुक्त किशन के विरूद्ध धारा 363, 366, 376 भारतीय दण्ड संहिता व धारा 5 (एल)/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम विशेष के अंतर्गत दंडनीय अपराध के आरोप में किशन जेल में बंद था।
इस पर हाल ही में माननीय विशेष न्यायाधीश संखया-2 अनिल कुमार गुप्ता ने आरोपी किशन को दोष मुक्त करने का आदेश
दिया हैं ।
अदालत ने आदेश में यह भी कहा:-
अभियुक्त किशन( 21)पुत्र लक्ष्मण, निवासी रामगुफा की घाटी, बदनोर पुलिस थाना बदनोर जिला भीलवाडा अपराध अंतर्गत धारा 363, 366, 376 भारतीय दण्ड संहिता व धारा 5 (एल)/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के अपराध के आरोप में संदेह का लाभ दिया जाकर दोषमुक्त घोषित किया जाता है, चूंकि अभियुक्त न्यायिक अभिरक्षा में है अतः उसका पृथक से रिहाई ओदश जारी किया जावे।
तथा मामले में जप्त किए गये पर्चेजात और माल मशरूका बाद गुजरने मियाद अपील नियमानुसार इस प्रकार नष्ट कर दिये जाये कि पीड़िता या उसके किसी भी परिजन की पहचान प्रकट नहीं हो।
अभियुक्त किशन को आदेशित किया जाता है कि वह अन्तर्गत धारा 437ए दण्ड प्रक्रिया संहिता के प्रावधान के तहत छः माह की अवधि के लिये पचास हजार रूपये की राशि का स्वयं का मुचलका एवं इसी कदर धनराशि की जमानत इस न्यायालय के संतोषप्रद इस आशय की प्रस्तुत कर प्रमाणित करावें कि यदि इस कोर्ट के निर्णय के विरूद्ध अपीलीय कोर्ट में अपील और रिवीजन प्रस्तुत की जाती है तो वह अपीलीय कोर्ट में उपस्थित होता रहेगा।
तथा प्रकरण में जप्तशुदा वाहन बाद गुजरने मियाद अपील वाहन स्वामी को लौटाया जावे।