पेसवानी
स्मार्ट हलचल|जगतगुरु श्री श्रीचंद्र जी महाराज का 531वाँ प्राकट्य उत्सव अमेरिका की पावन धरा पर भक्ति और आस्था के रंग में सराबोर होकर सम्पन्न हुआ। यह विशेष आयोजन एलिकॉट सिटी (मैरीलैंड) में भीलवाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन जी महाराज के सानिध्य में सम्पन्न हुआ। स्वामी जी की गरिमामयी उपस्थिति ने इस पूरे कार्यक्रम को और भी आध्यात्मिक एवं अविस्मरणीय बना दिया।
उदासीन परंपरा भारतीय संत परंपरा की एक महत्वपूर्ण धारा है, जो वैराग्य, सेवा और धर्मप्रचार पर आधारित है। इस परंपरा के संत अपने त्याग, तप और आध्यात्मिक साधना से समाज का मार्गदर्शन करते आए हैं। महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम जी उदासीन परंपरा के अग्रणी संतों में से एक हैं। उन्होंने अपना जीवन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार, संस्कारों की रक्षा और समाज को आध्यात्मिक चेतना से जोड़ने के लिए समर्पित कर रखा है। स्वामी जी का सरल, सहज और प्रेरणादायी व्यक्तित्व उन्हें भक्त समाज में अत्यंत लोकप्रिय बनाता है।
सोमवार को उत्सव का प्रारंभ भगवान श्रीचंद्र जी महाराज की रजत मूर्ति के अभिषेक और विधिवत पूजन से हुआ। स्वामी हंसराम जी ने मंत्रोच्चार के बीच भक्तों के साथ मिलकर पूजा-अर्चना की। इसके पश्चात मंगल आरती के साथ भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ, जिसमें उपस्थित श्रद्धालुओं ने बड़ी श्रद्धा और भक्ति भाव से भाग लिया। पूरा वातावरण भक्ति रस और दिव्यता से ओत-प्रोत हो उठा।
इस भव्य कार्यक्रम का आयोजन विकास और प्रिया मूलचंदानी (बाल्टीमोर एलिकॉट सिटी, मैरीलैंड) द्वारा किया गया। इसमें विजय और रचना राठी, सुकेतु, तन्वी और आदित्य शाह सहित उनके परिजन तथा स्थानीय भारतीय समुदाय के अनेक श्रद्धालु सम्मिलित हुए। आयोजन में भाग लेने वाले भक्तों ने न केवल पूजन-अर्चन में सक्रिय भागीदारी निभाई, बल्कि सेवा और सहयोग की भावना से भंडारे और प्रसाद वितरण की व्यवस्था भी की।
पूजन और आरती के उपरांत प्रसाद वितरण एवं भंडारे का आयोजन हुआ। श्रद्धालुओं ने मिलकर इस महाप्रसाद का लाभ उठाया और सामूहिक भक्ति भावना का अनुभव किया। इस अवसर पर भक्तों ने एक-दूसरे से मिलकर धर्म और संस्कृति की निरंतरता बनाए रखने का संकल्प भी लिया।
इस उत्सव की विशेषता यह रही कि इसका सीधा प्रसारण अमेरिका समयानुसार सायं 5.30 बजे तथा भारत समयानुसार प्रातः 3.30 बजे किया गया। इस प्रसारण के माध्यम से अमेरिका और भारत के हजारों भक्त एक साथ जुड़े और इस दिव्य कार्यक्रम के साक्षी बने। तकनीक के इस युग में भक्ति का यह संगम दोनों देशों को आध्यात्मिक रूप से जोड़ता दिखाई दिया।
महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन जी ने सनातन धर्म और संत परंपरा के विस्तार के लिए अमेरिका के विभिन्न क्षेत्रों में यात्राएँ की हैं। इन यात्राओं के दौरान उन्होंने भगवान श्रीचंद्र जी की मूर्तियों की स्थापना भी की है, जिससे प्रवासी भारतीय समाज को अपने धार्मिक मूल्यों और परंपराओं से जुड़े रहने का अवसर प्राप्त हो रहा है। स्वामी जी के आध्यात्मिक मार्गदर्शन ने भक्तों के बीच गहन आस्था और ऊर्जा का संचार किया है। इस प्राकट्य उत्सव ने प्रवासी भारतीयों को अपनी जड़ों से जोड़ने का कार्य किया। भारत से दूर रहकर भी अमेरिकी भूमि पर जब श्रीचंद्र जी महाराज का नाम गूंजा, तो वहां का वातावरण भारत जैसी आध्यात्मिक अनुभूति कराने लगा। श्रद्धालुओं ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम उन्हें अपनी संस्कृति और धर्म के और निकट ले आते हैं।
उल्लेखनीय है कि श्री श्रीचंद्र जी महाराज का 531वाँ प्राकट्य उत्सव केवल धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और भारतीय परंपरा के वैश्विक स्वरूप का प्रतीक भी बनकर उभरा। महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम जी की उपस्थिति और भक्तों की उत्साहपूर्ण भागीदारी ने इसे अविस्मरणीय बना दिया। अमेरिका में इस प्रकार का आयोजन प्रवासी भारतीय समुदाय के लिए न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करता है, बल्कि सनातन संस्कृति के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।


