Homeभीलवाड़ा"श्रीमद् भागवत मृत्यु को उत्सव बनाने का अनूठा ग्रंथ"--- – संत दिग्विजयराम

“श्रीमद् भागवत मृत्यु को उत्सव बनाने का अनूठा ग्रंथ”— – संत दिग्विजयराम

माण्डलगढ़। स्मार्ट हलचल|राम स्नेही संप्रदाय के संत रमता राम जी के शिष्य भागवत मर्मज्ञ युवा संत दिग्विजयराम ने कहा कि 18 पुराणों में श्रीमद् भागवत ही ऐसा महापुराण हैं जो मृत्यु को भी उत्सव बनाना सिखाता हैं। जिसके माध्यम से राजा परिक्षित को 7 दिवस में ही मोक्ष प्राप्ति हो सकीं । संत दिग्विजयराम ने सोमवार को कास्ट परिवार द्वारा आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के द्वितीय दिवस को व्यासपीठ से श्रीमद् भागवत महापुराण का रसामृतपान करा रहे थे। उन्होंने भागवत के मंगलाचरण में नेमीशारण्य तीर्थ पर सूत जी द्वारा 88 हजार ऋषियों को भागवत श्रवण कराने और ऋषियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर बताते हुए कहा कि भगवान की भक्ति ही जीवन में कल्याण का सही मार्ग हैं और भक्ति भी अहेतु होनी चाहिए। वहीं ईश्वर के प्रति दृढ विश्वास के अभाव में व्यक्ति दुखी होता हैं। उन्होंने कहा कि प्रभु से प्रेम भावना लेकर शरणागति भाव से मंदिर में जाना चाहिए। उन्होंने मतंग ऋषि की शबर कन्या भक्तिमति शबरी जैसी प्रतिक्षा और मीरा जैसी प्रेमा भक्ति को अपनाने का आह्वान किया। इसी दौरान जब व्यासपीठ से मोहन आओ तो सरी,गिरधर आओ तो सरी.. माधव के मंदिर में मीरा एकली खड़ी…मोहन आओ तो सरी… भजन की प्रस्तुति हुई तो श्रद्धालु भक्ति से सराबोर हो गए। उन्होंने कहा कि जीवन में कैसा भी कष्ट हो लेकिन भक्ति छूटनी नहीं चाहिए। जैसा की नरसी भगत, सुदामा, शबरी, मीरा ने भक्ति करके भगवान को प्राप्त कर लिया। उन्होंने कहा कि जीवन में नवदा भक्ति के माध्यम से ही आनंद प्राप्ति संभव हैं। वहीं हमें तार देने वाले तीर्थों पर जाकर स्नान करने से जो लाभ मिलता हैं, उतना ही फल राम नाम से ही संभव हैं। इसलिए नाम आश्रय को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने श्रीमद् भागवत उत्पति का उल्लेख करते हुए कहा कि वेदव्यास द्वारा 17 पुराणों की रचना के बाद भी संतुष्ट नहीं होने पर नारद मुनि के मार्गदर्शन में 18 वें महापुराण के रूप में श्रीमद् भागवत की रचना कर संसार को मोक्ष और मुक्ति का मार्ग प्रशस्त्र करने का अनुठा कार्य किया। नारद मुनि के पूर्व जन्म में दासी पुत्र होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि संतों का सानिध्य करने से ही उन्हें नारद स्वरूप मिल पाया। उन्होंने कुंति प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण की कृपा से ही उत्तरा के गर्भ से राजा परिक्षित का जन्म होने से भागवत में इनका महत्व सभी का कल्याण करने वाला हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति प्रभु से सुख मांगता हैं, लेकिन कुंति ने श्री कृष्ण से संसार का दुख मांगकर हमेशा प्रभु के प्रेमाश्रय में रहने का वरदान मांगा। उन्होंने कहा कि भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था, जिनके समक्ष पहुंचकर चरणा भक्ति मांगने पर पितामह को मोक्ष प्रदान किया। उन्होंने बताया कि कलयुग को पांच स्थान दिए गए हैं, जिनमें जुआ, मदिरा, वासना, कसाई और स्वर्ण प्रमुख हैं, जो भी इनके संपर्क में आता हैं वह जीवन में निराशा ही पाता हैं। उन्होंने सनातन जन्म से जुड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि जाति पाति के भेद से ऊपर उठकर अगर सभी 97 करोड़ हिन्दू एक हो जाए तो हमारे धर्म और संस्कृति की जागरूकता में कोई कमी नहीं रहेगी। इसके साथ ही हमें शास्त्र और शस्त्र को स्वीकार करना होगा, तभी भारतीय संस्कृति संरक्षित रह पाएंगी। तृतीय दिवस के कथा विश्राम पर कास्ट परिवार एवं नगर के श्रद्धालुओं द्वारा व्यासपीठ की आरती की गई।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
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