राजेन्द्र बबलू पोखरना
कोटड़ी|स्मार्ट हलचल|मुख्यालय स्थित बाड़ीया के बालाजी मंदिर सवाईपुर रोड पर आयोजित सत्संग के चौथे दिन प्रवचन करते हुए अशोक भाई ने कहा कि कथा भी माँ स्वरूपी है । मन में तीनों देव विष्णु, ब्रह्मा,महेश समाहित होते है तथा सतोगुण, तमोगुण, रजोगुण भी माँ में निहित है। कथा समीक्षा, पोषण, पालन, कल्याण करने वाली है। कथा स्व दोषो का दर्शन कराती है इसलिए कथा मां का स्वरूप है । सत्संग भाग्य से मिलता है कथा को सुनने के लिए देवगन भी तरसते हैं। तुलसीदास जी ने कहा कि मेरा एक दोष है वो में रामचरितमानस को देना चाहता हूं मेरा हल्कापन रामचरितमानस को दे देता हूं । श्रीमद् भागवत वियोग शास्त्र, गीता योग शास्त्र तथा रामचरितमानस प्रयोगशास्त्र है । संत हमेशा क्रिया करते हैं। मनुष्य कर्म करता है। भगवान लीला करते हैं। उन्होंने कहा कि तप के बल से विष्णु पालन, ब्रह्मा जन्म व शंकर संहार करते हैं । भगवान के हाथों कामदेव की डोर थी हम पर कामदेव सवार रहता है । भगवान भक्तों की भावना के अनुरूप सार्थकता पूर्ण करने पर दर्शन देते हैं भगवान बिना पैर, बिना हाथ, बिना चकसूओं, बिना रसना के रहित है उन्हें किसी भी इन्द्रियों की आवश्यकता नहीं रहती। भगवान की प्राप्ति मनुष्य शरीर में ही निहित है अन्य योनियों में नहीं हो सकती। बिना सत्संग के विवेक नहीं मिल सकता है। मानव जीवन को।सफल बनाना है तो कथा का श्रवण कर अपने जीवन में पालन करना अनिवार्य है। कथा के चौथे दिन बड़ी संख्या में भक्तों ने कथा श्रवण का लाभ लिया। भक्तो की मांग पर कथा का समय गोपाष्टमी 30 अक्टूबर तक प्रतिदिन दोपहर 1 से 4 बजे तक की स्वीकृति दी गई। जिस पर उपस्थित श्रद्धालुओ ने प्रभु के जयकारों से खुशी जाहिर की।


