वक्फ संपत्तियों की लूट: अंबानी से लेकर आम आदमी तक, कैसे हो रही है सामुदायिक ज़मीनों की बंदरबांट
वक्फ बोर्ड और राजनीति की साठगांठ: जयपुर, दिल्ली से लेकर मुंबई तक लूट का नेटवर्क उजागर
अजय सिंह(चिंटू)
जयपुर -स्मार्ट हलचल|वक्फ अमेंडमेंट बिल को लेकर मुस्लिम समुदाय में गुस्सा और नाराजगी का माहौल है, लेकिन इसके साथ ही एक और कड़वी सच्चाई सामने आ रही है—वक्फ संपत्तियों का भारी पैमाने पर दुरुपयोग, भ्रष्टाचार और अवैध कब्जे। इन संपत्तियों को मुस्लिम समुदाय के कल्याण—शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सहायता—के लिए दान किया गया था, लेकिन हकीकत यह है कि आज ज़रूरतमंद स्टूडेंट्स, बेवाओं और बेसहारा लोगों को नजरअंदाज कर दिया गया है, जबकि रसूखदार लोग इन संपत्तियों पर अपने बंगले खड़े कर रहे हैं।
एक इंटरव्यू में सामाजिक कार्यकर्ता सारा इस्माइल ने बताया कि वक्फ संपत्तियों का आज तक सही उपयोग नहीं हो पाया। उनका कहना है, “स्कूल, हॉस्टल, अस्पताल तो दूर, इन जमीनों पर लोगों ने अपना घर बना लिया है, और स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप तक नसीब नहीं होती।”
भ्रष्टाचार और अतिक्रमण का जाल
देश भर में वक्फ संपत्तियाँ अवैध हस्तांतरण, अतिक्रमण और सस्ते पट्टों पर दिए जाने की घटनाओं से जूझ रही हैं। 2012 में कर्नाटक वक्फ बोर्ड की रिपोर्ट में सामने आया कि करीब 27,000 एकड़ वक्फ भूमि का गबन हुआ, जिससे ₹2 लाख करोड़ का नुकसान हुआ।
दिल्ली में वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान पर भ्रष्टाचार, अवैध नियुक्तियाँ और संपत्तियों के दुरुपयोग के गंभीर आरोप लगे, जिसकी शिकायतें स्वयं मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कीं। तेलंगाना के रंगारेड्डी और मेडिपल्ली इलाकों में बड़ी संख्या में वक्फ संपत्ति पर अवैध कब्जा हो चुका है, जिसमें वक्फ बोर्ड की निष्क्रियता सामने आई।
मुंबई में अंबानी के महल जैसा आलीशान घर भी वक्फ की जमीन पर बना बताया गया है। इसी तरह जयपुर का घाटगेट बस स्टैंड वक्फ की संपत्ति है, जिसका केस वक्फ बोर्ड जीत चुका है, लेकिन अब तक अधिग्रहण नहीं किया गया।
राजनीति और वक्फ बोर्ड की साठगांठ
सारा इस्माइल के अनुसार, “एक बार जब किसी को वक्फ बोर्ड की कुर्सी मिल जाती है, तो वो उसे छोड़ने को तैयार नहीं होता। वह कुर्सी का नहीं, जमीन का मालिक बन बैठता है।” उन्होंने बताया कि वक्फ संपत्तियों की इस लूट में वक्फ बोर्ड, राजनेता, अधिकारी और भू-माफिया सब शामिल हैं।
क्या है समाधान?
इस समस्या का समाधान पारदर्शिता, जवाबदेही और तकनीकी निगरानी में है।
वक्फ संपत्तियों की डिजिटल रजिस्ट्री बनाई जाए
सभी लेन-देन पर स्वतंत्र निगरानी निकाय हो
राजनीतिक हस्तक्षेप पर रोक लगे
जिम्मेदार अधिकारियों और नेताओं पर कानूनी कार्रवाई हो
यदि समय रहते सुधार नहीं हुए, तो ये अमूल्य वक्फ संपत्तियाँ हमेशा के लिए हाथ से निकल जाएंगी और मुस्लिम समुदाय का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा।