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कोटडा कागला के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में मात्र दो कक्षा कक्ष में 104 विद्यार्थी डर के साये मैं पढ़ने को मजबूर

कुल तीन कमरो मे से दो मे कक्षा संचालित होती है उनकी भी छत जर्जर

संजय चौरसिया

हरनावदाशाहजी।स्मार्ट हलचल/निकटवर्ती क्षेत्र के झालावाड़ जिले के मनोहरथाना ब्लॉक मे अर्जुनपुरा ग्राम पंचायत के ग्राम कोटडा कागला के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय मात्र तीन कमरों में संचालित है। जिनमें से भी दो कमरों में ही विद्यार्थियों को बैठाया जाता है यह दोनों कमरे भी क्षतिग्रस्त है। स्कूल में पर्याप्त कक्षा-कक्ष के नहीं होने एवं मात्र दो कक्षा कक्ष में ही जो भी क्षतिग्रस्त है 104 बच्चों के सामने डर के साए में पढ़ने की मजबूरी है। जिससे हमेशा हादसे का डर बना रहता है। ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल में नए कक्षा कक्ष बने एवं क्षतिग्रस्त कमरों को भी ठीक कराया जाए।

सरकार यूं तो ग्रामीण क्षेत्र में अच्छी में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के दावे करती है । एवं शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्कूली बच्चों के लिए कई योजनाएं भी चला रखी है। किंतु जब जमीनी हालात के बाद की जाती है तो क्षेत्र कई प्राथमिक एवं मिडिल स्कलों में मूलभूत सविधाओं जिम इस पर्याप्त स्कूल भवन का नहीं होना सबसे बड़ी समस्या है
क्षेत्र के कई सरकारी मध्यम के स्कूल मात्र दो से तीन कमरों मे संचालित है ऐसे में इन स्कूलों में पर्याप्त कक्षा-कक्ष नहीं होने का खामियांजा स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियो को भुगतना पड़ता है । ऐसे ही एक विद्यालय से आज हम आपको रूबरू करवा रहे हैं। मनोहरथाना ब्लॉक के करीब 25 किलोमीटर दूर हरनावदा शाहजी बॉर्डर के समीप अर्जुनपुरा ग्राम पंचायत के कोटडा कागल गांव जहां पर अधिकांश भील समाज की बस्ती है जो गरीबी एवं अशिक्षा के बीच में यहां पर कक्षा आठवीं तक राजकीय विद्यालय संचालित है कहने को यह आठवीं तक स्कूल है एवं पढ़ने के लिए पर्याप्त 9 शिक्षक शिक्षक शिक्षा विभाग द्वारा पढ़ने के लिए लगा भी रखे हैं । पर जब स्कूल भवन की बात आती है तो यह स्कूल मात्र तीन कमरों में संचालित है इनमे से एक कक्षा कक्ष में प्रधानाध्यापक कक्ष के काम में आता है जिसमें स्टाफ एवं स्कूल का कागजी रिकॉर्ड रखा जाता है। शेष दो कमरे में स्कूल में अध्यनरत 104 बच्चो के आठ कक्षाएं इनमें संचालित होती है। यह दो कैमरे भी क्षतिग्रस्त है । इन दो कमरों का जगह-जगह से प्लास्टर उखड़ा हुआ है छत से सरिया नजर आने लगा है बारिश के मौसम में पानी टपकता है डर के साए में यह मासूम नोनीहाल भविष्य की इबारत लिख रहे है। स्कूल के जर्जर भवन को जनप्रतिनिधियों एवं शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को भी अवगत करा रखा है पर पिछले करीब 8 से 10 वर्षों में कभी-भी किसी ने इस स्कूल के जर्जर भवन की दशा सुधारने की कोशिश नहीं की। जिस स्कूल का दिन पर दिन नामांकन भी घटता जा रहा गत वर्ष जहां स्कूल में करीब करीब 140 छात्रों का नामांकन था वही इस वर्ष मात्र 104 छात्र रह गए।

इनका कहना है

विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र योगेंद्र भील ने बताया कि वह कक्षा आठवीं मे पढ़ रहे हैं शुरुआत में जब स्कूल में पढ़ना है तो बिल्डिंग के कुछ स्थिति ठीक थी धीरे-धीरे दोनों कमरे क्षतिग्रस्त हो गए बारिश में पानी टपकता है। ऐसे मैं पढ़ाई में भी व्यवधान उपस्थित होता है। कमरों की मरम्मत होना चाहिए

योगेंद्र भील कक्षा 8

छात्रा पूजा का कहना है कि स्कूल में सिर्फ तीन कमरे हैं एक कमरे में गुरुजी लोग बैठते हैं। वही दो कमरों में आठ कक्षाएं लगती है दोनों कमरे पूरी तरह क्षतिग्रस्त हैं पढ़ने के दौरान कई बार प्लास्टर गिर जाता है । स्कूल में नए कमरों का निर्माण किया जाना चाहिए एवं इन दोनों कमरों को भी ठीक करना चाहिए

पूजा भील कक्षा 8

ग्रामीण मांगीलाल का कहना है कि हमारे गांव में कक्षा आठवीं तक स्कूल है पर स्कूल में पर्याप्त कमरे नहीं जो कमरे हैं वहभी जर्जर हो चले है जो कभी भी हादसा होने का डर बना रहता है इन्हें ठीक करना चाहिए एवं नए कमरों का निर्माण होना चाहिए

ग्रामीण मांगीलाल

ग्रामीण पप्पू लाल का कहना है कि हमने जनप्रतिनिधियों सरपंच एवं अन्य एवं प्रशासनिक अधिकारियों को सबको अवगत कराया पर स्कूल भवन की कोई सुद लेने वाला नहीं है। ऐसे में हमारे बच्चों को पढ़ने में काफी परेशानी आती है दो कमरों में आठ कक्षाएं संचालित की जाती है बच्चों के शोर के कारण ठीक से बच्चों की पढ़ाई भी नहीं हो पाती नए कमरों को बनना चाहिए एवं क्षतिग्रस्त कमरों को ठीक कराया जाना चाहिए जिससे स्कूल के हालात सुधर सके।

पप्पू लाल भील

स्कूल के प्रधानाध्यापक ने जानकारी देते हुए बताया कि स्कूल की 1984 में प्राथमिक स्कूल के रूप में स्थापना हुई थी 2008 में स्कूल को क्रमांक कर कक्षा 8 तक कर दिया गया किंतु यहां पर सुविधाओं को नहीं बढ़ाया गया मात्र तीन कमरे हैं जिसमें एक स्टाफ रूम है। स्कूल का नामांकन वर्तमान में 104 बच्चों कक्षा 1 से 8 तक पढ़ते हैं जिन दो कमरों में बच्चों को बिठाया जाता है वह क्षतिग्रस्त हो चले।
2018 में उनके यहां पर पदस्थापित हुए तब से ही उच्च अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों का अवगत कराते आए क्षतिग्रस्त कमरों को ठीक करने एवं नए कमरों के निर्माण की सख्त आवश्यकता है। जिससे सुचारू कक्षाओं का संचालन हो सके। इस संबंध में क्षेत्र के पीईईओ को कई बार लिखित में दे चुके है।

दुर्गेश कुमार प्रधानाध्यापक

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