Homeसोचने वाली बात/ब्लॉग15 फरवरी सुभद्रा कुमारी चौहान पुण्य तिथि पर -Subhadra Kumari Chauhan

15 फरवरी सुभद्रा कुमारी चौहान पुण्य तिथि पर -Subhadra Kumari Chauhan

15 फरवरी सुभद्रा कुमारी चौहान पुण्य तिथि पर -Subhadra Kumari Chauhan

वीर रस की कवियित्री कथाकार स्वतंत्रता सेनानी सुभद्रा कुमारी चौहान

bc3e9f03 a31a 44a8 9c07 77fe57769250सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”

‌स्मार्ट हलचल/सुभद्राकुमारी चौहान का नाम हिन्दी साहित्य जगत में कौन नहीं जानता है। उनकी अनेक कृतियों ने तो उन्हे अमरत्व प्रदान कर दिया है। “खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी” इस कविता से कौन वाकिफ नहीं हैं। खासकर देशभक्ति से ओतप्रोत वीररस एवं बालमन की अनुभूतियों पर ज्यादा अपनी रचनाओं का रूख रखा! सुभद्राकुमारी चौहान कवियत्री के अलावा कथाकार भी थीं। इनका जन्म सन् 1904 में हुआ था, शिक्षा दीक्षा इलाहाबाद में पूरी हुई। वे जब मात्र पन्द्रह वर्ष की थी, तब उनका विवाह जबलपुर के लॉयर ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ हो गया। सुभद्रा जी का साहित्य साधना की और झुकाव बचपन से ही था। अंग्रेजों की बर्बर हुकूमत के साये में पले बढ़े जीवन में सुभद्रा कुमारी चौहान के मन पर देशभक्ति का जब्बा कूटकूट कर भरा था। और बस वे बचपन से ही गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी भारत भूमि को आजाद कराने वाली गतिविधियों में जुट गईं। इसका सबसे अच्छा माध्यम सर्वप्रथम उन्होंने अपनी साहित्य को बनाया था ,वे कविताओं के माध्यम से लोगों में देशभक्ति और गुलामी की छटपटाहट को प्रसारित करने में जो सफलता पाई। उसके लिये भारतीय स्वतंत्रता का इतिहास सुभद्रा कुमारी चौहान का हमेशा ऋणी रहेगा।

सन् 1921 में सुभद्रा कुमारी चौहान और उनके पति महात्मा गांधी के आव्हान पर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। इसी सिलसिले में सन् 1923 को उन्हें कारावास भी जाना पड़ा। इसके बाद तो वे राष्ट्रीय आंदोलन का एक अटूट हिस्सा ही बन गई। श्रीमती चौहान ने यह भी महसूस किया था कि स्वतंत्रता की लड़ाई काफी लंबी है। आज के लड़ने वाले जब बुढ़े होकर थक जायेंगे तो नयी पीढ़ी को लड़ना होगा। इसलिये उन्होंने बच्चों में राष्ट्रीयता, देशप्रेम, मातृभूमि के प्रति आदर और भारतीय संस्कृति, इतिहास और परंपरा के प्रति गौरव की बात जागने के लिए अपने साहित्य कृतित्व को माध्यम बनाया। उनकी बाल कविता “सभा का खेल ” कुछ ऐसी ही रचना थी। वही “बुन्देले हरबोलों के मुख से हमने सुनी कहानी थी” प्रत्येक भारतीयों के मन मस्तिष्क में क्रांति का शंखनाद कर रही थी। स्वतंत्रता और बगावत का यह महामंत्र लोगों में फूंकने का कार्य बड़ा रंग ला रहा था। वही कारण था कि श्रीमती चौहान ब्रिटिश हुकूमत के आंख की किरकिरी बन गई और फलत: उन्हें कई बार जेल भेजा गया। सुभद्रा जी ने अपने राष्ट्रीय कविताओं के माध्यम से जन मानस को आंदोलित करने में अभूतपूर्व सफलता पाई थी।

सुभद्रा जी यूं तो कविता लिखने में सिद्धहस्त ही थीं लेकिन बच्चों के लिये कविता लिखने में वे बहुत सहज थीं। उनकी कविताओं में बालमन की जो अभिव्यक्ति हैं, वह सभी बच्चों जैसी है। उन्हें बालमन की अनुभूतियों की बड़ी गहरी समझ थी। उन्होंने इस लक्ष्य को स्वयं स्वीकार करते हुये एक कविता कुछ ऐसी लिखी है –

“मैं बचपन को बुला रही थी बोल उठी बिटिया मेरी!

वंदन वन सी फूल उठी, वह छोटी सी कुटिया मेरी ।

“मां ओ” कहकर बुला रही थी, मिट्टी खाकर आई थी।

कुछ मुंह में, कुछ लिये हाथ में, मुझे खिलाने लाई थी।

मैने पूछा यह क्या लाई बोल उठी वह ‘मां ‘काओ’ ।

फूल फूल मैं उठी खुशी से, मैने कहा – तुम्ही खाओ।

बाल मनोविज्ञान की पारखी, सुभद्रा जी की कविताओं में अभिनेयता, बाल सुलभ क्रियाकलाप और कल्पना का अनूठा संगम, उन्हें बहुत ही सरस बना देता था। भाषा की सरलता, गद्य, छंद, सहज कंठस्थ हो जाने की क्षमता और अभिनेयता की विशेषताओं से भरी उनकी कविताएं हिन्दी बाल साहित्य की अक्षय निधि हैं।

सुभद्रा जी जबलपुर नगर , पालिका की सदस्य भी रहीं फिर मध्यप्रदेश विधान सभा की सदस्य भी बनीं। राजनीति में भी काफी प्रख्यात हुई। उनके जीवन की पारी से कुछ और हिन्दी साहित्य और भारत, उपकृत हो पाता कि अकस्मात सड़क दुर्घटना में 15 फरवरी सन् 1948 को काल के क्रूर पंजो ने उन्हे अपना ग्रास बना लिया। सुभद्रा जी के पूरे जीवन की समीक्षा करने पर यह कदापी नहीं समझा जा सकता कि वे पहले साहित्यकार थीं या कि स्वतंत्रता सेनानी। हम भारतवासी ऐसे स्वतंत्रता सेनानी और साहित्यकार के कृतित्व से हमेशा अपने को गौरवान्वित अनुभव करते रहेंगे।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
news paper logo
RELATED ARTICLES