मुकेश खटीक
मंगरोप।सुप्रीम कोर्ट की सख्त हिदायतों और जिला पुलिस अधीक्षक द्वारा चलाए जा रहे लगातार अभियानों के बावजूद मंगरोप क्षेत्र में बजरी माफियाओं के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि अब वे ग्रामीणों के विरोध और कानून दोनों की परवाह किए बिना सरकारी भूमि पर अवैध खनन करने से भी नहीं चूक रहे हैं।ताजा मामला मंगरोप थाना क्षेत्र के दाताजत्ती गांव का है,जहां गांव की 98 बीघा चारागाह भूमि को बजरी माफियाओं ने खोद-खोदकर गहरे गड्ढों में तब्दील कर दिया है।ग्रामीणों का कहना है कि यह भूमि राजस्व रिकॉर्ड में चारागाह के रूप में दर्ज है,जहां वर्षों से गांव के मवेशी चरने जाते हैं।लेकिन पिछले डेढ़ महीने से बजरी माफिया यहां से दिन-रात खनन कर रहे हैं।ग्रामीण भेरूलाल गाडरी ने बताया कि लगातार विरोध के बावजूद बजरी माफिया बेखौफ होकर चारागाह भूमि को खोद रहे हैं,जिससे दर्जनों गहरे गड्ढे बन चुके हैं।कई बार मवेशी उन गड्ढों में गिरकर घायल भी हो चुके हैं।ग्रामीणों ने कई बार मंगरोप थाना पुलिस और मंडपिया चौकी को सूचना दी,लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही माफिया अपने वाहन लेकर फरार हो जाते हैं।ग्रामीणों ने बताया कि 6 अक्टूबर को बड़ी संख्या में गांववाले भीलवाड़ा एसडीएम कार्यालय पहुंचे थे और अवैध खनन की लिखित शिकायत सौंपी थी।उस समय अधिकारियों ने त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया था,लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।इससे गांववासियों में भारी आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही के चलते अब माफियाओं का मनोबल इतना बढ़ चुका है कि वे खुलेआम चारागाह भूमि को उजाड़ रहे हैं।ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि दो दिन के भीतर चारागाह भूमि की सुरक्षा और अवैध खनन पर रोक नहीं लगाई गई तो वे मजबूरन सामूहिक रूप से आंदोलन करने और स्वयं बजरी माफियाओं के विरुद्ध कार्रवाई करने को बाध्य होंगे।ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन तत्काल मौके पर निरीक्षण कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करे,ताकि सरकारी भूमि और गांव की चारागाह को माफियाओं से बचाया जा सके।


