सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने 22 अप्रैल 2024 को कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था और राज्य को तीन महीने के भीतर पूरी होने वाली एक नई चयन प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था. बता दें कि ममता बनर्जी सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी तथा दागी और बेदाग उम्मीदवारों को अलग करने पर जोर दिया था.
दरअसल, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार को एक बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें 2016 में राज्य स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) की ओर से 25,000 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश दिया गया था. यह मामला कथित तौर पर स्कूलों में नौकरियों के लिए पैसे के बदले नौकरी देने से जुड़ा है.
सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने 22 अप्रैल 2024 को कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था और राज्य को तीन महीने के भीतर पूरी होने वाली एक नई चयन प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था. पीठ ने कहा कि उन्हें हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता. अदालत ने कहा कि नियुक्तियां धोखाधड़ी के परिणामस्वरूप हुई हैं और इसलिए ये फर्जी हैं.
तीन महीने के भीतर नई चयन प्रक्रिया पूरी करो
कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन महीने के भीतर नई चयन प्रक्रिया पूरी करनी होगी. जो लोग इस नई प्रक्रिया को पास कर लेंगे, उन्हें 2016 में नियुक्ति के बाद से लिया गया वेतन वापस नहीं करना होगा. लेकिन जो पास नहीं कर पाएंगे, उन्हें वेतन वापस करना होगा. कोर्ट ने विकलांग व्यक्तियों को छूट देते हुए कहा है कि वे अपनी वर्तमान पोस्टिंग पर बने रह सकते हैं.
ममता सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को दी थी चुनौती
आपको बता दें कि ममता बनर्जी सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी तथा दागी और बेदाग उम्मीदवारों को अलग करने पर जोर दिया था. विवाद के केंद्र में राज्य सरकार द्वारा बनाए गए अतिरिक्त पद हैं. 2016 में राज्य स्तरीय चयन परीक्षा में 23 लाख से ज़्यादा उम्मीदवार शामिल हुए थे. रिक्त पदों की संख्या 24,640 थी, लेकिन 25,753 नियुक्ति पत्र जारी किए गए. आरोप है कि इन अतिरिक्त पदों ने अवैध भर्ती के लिए जगह बनाई.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या टिप्पणी की
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, ‘हमने तथ्यों को देखा है. इस मामले के निष्कर्षों के संबंध में पूरी चयन प्रक्रिया में हेरफेर और धोखाधड़ी हुई है. इससे इसकी विश्वसनीयता और वैधता खत्म हो गई है. हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है. धोखाधड़ी से नियुक्त सभी दागी उम्मीदवारों को बर्खास्त किया जाना चाहिए और नियुक्तियां धोखाधड़ी का परिणाम थीं.’