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सिस्टम की नाकामी का प्रतीक बनी खामोर–अमरतीया सड़क, 8 साल से गड्ढों में जनता..

आठ वर्षों से यह सड़क टूटी-फूटी हालत में पड़ी है और आमजन रोज जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं

गुलाबपुरा, बिजयनगर कृषि मंत्री ओर हिंदुस्तान जिंक को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग बना आमजन की गले की फांस..सैकडो राहगीर परेशान

शाहपुरा@शाहपुरा एवं आसींद विधानसभा क्षेत्रों को जोड़ने वाला खामोर–अमरतीया–रामपुरा मार्ग आज विकास का नहीं, बल्कि सरकारी सिस्टम की जमीनी हकीकत का सबसे बड़ा प्रमाण बन चुका है। हिंदुस्तान जिंक से जुड़े सैकड़ों गांवों को जोड़ने वाला तथा किसानों को बिजयनगर कृषि मंडी तक पहुंचाने वाला यह प्रमुख मार्ग लगभग 3 किलोमीटर लंबा है, जिसमें डेढ़ किलोमीटर गुलाबपुरा पीडब्ल्यूडी क्षेत्र और डेढ़ किलोमीटर शाहपुरा पीडब्ल्यूडी क्षेत्र में आता है। आठ वर्षों से यह सड़क टूटी-फूटी हालत में पड़ी है और आमजन रोज जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं,लेकिन जिम्मेदारों की आंखें आज भी बंद हैं।इस सड़क की कहानी सरकारी फाइलों में ‘पूरा’ और जमीन पर ‘बर्बाद’ का जीता-जागता उदाहरण है। वर्ष 2016 में राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड, अजमेर द्वारा “मिसिंग लिंक रोड” अमरतिया से रामपुरा के निर्माण के लिए 98 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई। इसके बाद 52 लाख रुपये का कार्यादेश जारी हुआ,और फरवरी 2017 में वास्तविक निर्माण कार्य पूर्ण घोषित कर दिया गया। ठेकेदार को तीन वर्षों तक सड़क के रखरखाव की जिम्मेदारी भी सौंपी गई, लेकिन विडंबना यह कि सड़क छह माह भी नहीं टिक सकी। कुछ ही महीनों में परत उखड़ने लगी, गड्ढे बन गए, डामर झड़ने लगा और जगह-जगह सड़क धंसती चली गई।इसके बाद न तो रखरखाव हुआ, न मरम्मत, न निर्माण की गुणवत्ता की जांच और न ही किसी जिम्मेदार अफसर ने मौके पर उतरकर हालात देखने की जरूरत समझी। घटिया निर्माण पर शिकायतें उठती रहीं, जनता नेताओं तक गुहार लगाती रही, मगर हर बार कार्रवाई सिर्फ कागज़ों तक सीमित रह गई। समय बीतता गया और सड़क टूटी रह गई। 2023 में विधायक कैलाश मेघवाल का कार्यकाल पूरा हुआ,2025 में वर्तमान विधायक लालाराम बैरवा के भी दो वर्ष का कार्यकाल बीत चुका है,लेकिन इस सड़क की सूरत नहीं बदली।दो अलग-अलग कार्यकाल गुजर गए, पर जनता को सिर्फ आश्वासन ही मिले, सड़क नहीं मिली। हर चुनाव से पहले यही मार्ग जनप्रतिनिधियों के काफिलों का स्वागत करता है, वादों की गूंज सुनता है, लेकिन चुनाव खत्म होते ही इसे फिर उसके हाल पर छोड़ दिया जाता है।इस मार्ग की हालत अब खतरनाक हो चुकी है। विजयनगर मंडी और गुलाबपुरा के लिए केवल दो टैक्सियां इसी टूटे-फूटे रास्ते से चलती हैं,जो गड्ढों, कंकड़-पत्थरों और धूल के गुबार के बीच से गुजरती हैं। किसान अपनी फसल इसी रास्ते मंडी ले जाने को मजबूर हैं,मजदूर हिंदुस्तान जिंक जाने के लिए इसी सड़क से जोखिम उठाते हैं, और गुलाबपुरा स्कूल जाने वाले बच्चे व बुज़ुर्ग रोज हादसे की आशंका के साथ सफर करते हैं। बरसात में पानी से भरे गड्ढे सड़क की पहचान मिटा देते हैं, रात में मोड़ आखिरी पल पर दिखाई देते हैं और दोपहिया वाहन चालकों का गिरना अब आम बात हो चुकी है।जनता का गुस्सा इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि पीडब्ल्यूडी द्वारा कई बार डीएमएफटी के तहत इस सड़क के पुनर्निर्माण का प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन हर बार स्वीकृति नहीं मिली। फाइलें एक मेज से दूसरी मेज तक घूमती रहीं, विभाग जिम्मेदारी टालते रहे, और जनता टूटी सड़क पर 8 साल से धक्के खाती रही।आज खामोर–अमरतीया–रामपुरा मार्ग सिर्फ एक जर्जर सड़क नहीं है, बल्कि वह सवाल बन चुका है जो आम आदमी सिस्टम से पूछ रहा है।98 लाख की स्वीकृति, 52 लाख का भुगतान, तीन साल का मेंटेनेंस अनुबंध,दो विधायकों के कार्यकाल और आठ साल का इंतजार…फिर भी सड़क नहीं बनी।आमजनता द्वारा मांग हैं कि जल्द से जल्द स्वीकृति देकर कार्य शुरू किया जाए।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
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