शाहपुरा-मूलचन्द पेसवानी
शाहपुरा में रविवार को सकल दिगंबर जैन समाज द्वारा छठे तीर्थंकर भगवान पद्मप्रभु के जन्म और तप कल्याणक पर्व को अत्यंत श्रद्धा, उत्साह और धार्मिक उल्लास के साथ मनाया गया। समाज में पूरे दिन भक्ति, ज्ञान और सद्भाव का माहौल बना रहा।
महेंद्र जैन ने बताया कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के पावन अवसर पर शाहपुरा स्थित सभी दिगंबर जैन मंदिरों कृ वेदों का मंदिर, कालाभाटा मंदिर, ऊपर चंदाप्रभु मंदिर, नया मंदिर और नसिंया जी के जैन मंदिर में विशेष धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। प्रातः काल नित्य नियम पूजा-अर्चना के पश्चात 108 कलशों से भगवान पद्मप्रभु का महामंडल अभिषेक और शांतिधारा संपन्न हुई। अभिषेक के बाद सभी श्रद्धालुओं ने मंगल आरती कर भगवान से लोककल्याण और शांति की कामना की।
मंदिरों में आयोजित शास्त्र सभा में नरेन्द्र जैन और हिमांशु जैन ने तीर्थंकर भगवान पद्मप्रभु के जीवन, उपदेश और तप की महिमा पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भगवान पद्मप्रभु का जन्म नगर कोशांबी में क्षत्रिय कुल में हुआ था। उनके पिता श्रीधर धरणराज और माता सुसीमा देवी थीं। भगवान ने फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी के दिन सम्मेद शिखर पर्वत पर मोक्ष प्राप्त किया। वे जैन परंपरा के छठे तीर्थंकर के रूप में पूजनीय हैं। सभा के दौरान वक्ताओं ने कहा कि भगवान पद्मप्रभु का जीवन आत्मसंयम, त्याग और शांति का प्रतीक है। उन्होंने मानवता को यह संदेश दिया कि जब व्यक्ति अपने भीतर की इच्छाओं पर नियंत्रण पा लेता है, तभी सच्चे सुख और मोक्ष का मार्ग खुलता है।
हिमांशु जैन ने कहा, “जब कोई व्यक्ति बोलना छोड़कर सुनाने लगे, तो समझ लो कि तुमने उसे खो दिया।” उन्होंने आगे कहा कि दो तरह की घड़ियाँ होती हैं एक जो सबको समय बताती है और दूसरी जो हर इंसान को उसकी औकात दिखाती है। यह जीवन के गहरे सत्य को समझाने वाला संदेश था, जिसे सुनकर उपस्थित सभी श्रद्धालु प्रभावित हुए।
पूरे आयोजन में महिलाओं और युवाओं की सहभागिता विशेष रही। महिला मंडल की सदस्याओं रेखा जैन, रेणू जैन, लाडदेवी, कल्पना जैन, अंजना जैन, ज्योति जैन, नीलम जैन और अनिता जैन ने मिलकर पूजा-अर्चना में भाग लिया और भक्ति गीतों के माध्यम से वातावरण को भक्तिमय बना दिया। कार्यक्रम में समाज के वरिष्ठजनों आनंद सेठी, अशोक जैन, महेंद्र जैन, राजा बाबू, मनन जैन, मानचंद जैन, नाथूलाल गदिया, प्रभाचंद जैन, प्रितेश जैन, मुकेश जैन, अल्पेश जैन सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
रविवार को पूरे दिन मंदिरों में श्रद्धालुओं की आवाजाही बनी रही। भगवान पद्मप्रभु के जन्म कल्याणक के अवसर पर विशेष सजावट की गई थी। मंदिर प्रांगण पुष्पों और दीपों से सुसज्जित था। भक्ति संगीत और “जय जय पद्मप्रभु भगवान” के गूंजते जयकारों से वातावरण आध्यात्मिकता से भर गया। आयोजन के अंत में सामूहिक आरती के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर सभी ने यह संकल्प लिया कि वे भगवान पद्मप्रभु के उपदेशों का अनुसरण करते हुए सत्य, अहिंसा और संयम के मार्ग पर चलेंगे।


