बुर्ज से गिर रहे पत्थर,जीर्ण-शीर्ण अवस्था में बावड़ी,जिम्मेदारों का नहीं ध्यान
बानसूर ।स्मार्ट हलचल/पृथ्वीराज चौहान के वंशजों द्वारा सोलहवीं व सत्रहवीं सदी में सामरिक दृष्टि से बनवाया गया बानसूर का किला भलें ही कभी राजसी वैभव का गवाह रहा हों लेकिन अब यह प्रशासन की अनदेखी का शिकार हो रहा हैं और अपनी बदहाली खुद बयां कर रहा है। किला स्थानीय प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलतें अपना मूल स्वरूप लगातार खोता जा रहा हैं। किले के बुर्ज व दीवारें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं एंव जगह-जगह कटीली झाड़ियां व गंदगी का आलम हैं। बारिश के दिनों मे किले के बुर्ज में से पत्थर निकलकर नीचें गिरते हैं जिससे किले का स्वरुप बिगड़ता जा रहा हैं। क़िले में स्थित प्राचीन बावड़ी जल संरक्षण का एक अनोखा उदाहरण प्रस्तुत करती है लेकिन अब यह देख-रेख के अभाव में जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। नगर पालिका चैयरमेन प्रतिनिधि सज्जन मिश्रा ने बताया कि पूर्ववर्ती सरकार के अंतरिम बजट में किले के जीणोद्धार के लिए 1 करोड़ 94 लाख रुपए की घोषणा की गई थी। जल्द हीं किले का जीर्णोधार करवाया जाएगा। किले कों देखनें पहलें काफी संख्या में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों सें पर्यटक आते थें लेकिन अब यह जर्जर अवस्था में हैं औंर बुर्ज से गिरनें वालें पत्थरों से आस पास बनें मकानों पर अनहोनी की आशंका बनी रहती हैं। स्थानीय प्रशासन, जनप्रतिनिधि व पुरातत्व विभाग की अनदेखी के चलतें पूर्वजों की धरोहर इस क़िले का विकास नहीं हों पा रहा हैं। अगर प्रशासन इस ओंर ध्यान दे तों यह किला फिर से चमक सकता हैं। इससें रोजगार के अवसरों में बढ़ावा होगा। यही सें ताल्लुक रखनें वालें धर्मेंद्र सिंह राठौड़ पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष रहे बावजूद इसके किले की हालत में सुधार नहीं आया। किले में स्थित मनसा माता मंदिर का जनसहयोग से जीर्णोद्धार करवाया गया। यही की विधायक शकुंतला रावत पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में देवस्थान मंत्री रही बावजूद इसके मंदिर विकास के लिए कोई बड़ा काम नहीं करवा सकी।