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मध्यप्रदेश में टेक्सटाइल उद्योगों के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध है: राजेश राठौड,Textile industries in Madhya Pradesh


मध्यप्रदेश में टेक्सटाइल उद्योगों के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध है: राजेश राठौड

मेवाड़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री द्वारा उद्यमियों के लिए इन्वेस्टर ऑउटरीच सेमीनार आयोजित

(पंकज पोरवाल)

भीलवाड़ा।स्मार्ट हलचल/औद्योगिक विकास के लिए मूलभूत आवश्यकताएं जमीन, पावर एवं पानी मध्यप्रदेश में प्रचुरता से उपलब्ध है। पिछले तीन वर्षो में राज्य में 9040 एकड़ भूमि पर 27 नये औद्योगिक क्षेत्र विकसित किये गये है। इसके अतिरिक्त धार में पीएम मित्रा टेक्सटाइल पार्क की स्थापना का कार्य तेजी से चल रहा है। मध्यप्रदेश में 29 हजार मेगावॉट पावर उपलब्ध है और एक हजार मिलियन क्यूबिक मीटर से अधिक पानी उद्योगों के लिए आरक्षित किया गया है। राज्य में विद्युत की दरें अन्य राज्यों के मुकाबले काफी कम है। महाराष्ट्र में 8.70 रुपये प्रति यूनिट, कर्नाटक में 7.40, गुजरात 7.20 के मुकाबले हमारे यहां विद्युत दर 6.90 रुपये प्रति युनिट है। धार में पीएम मित्रा टेक्सटाइल पार्क में विद्युत 4.50 रुपये प्रति युनिट से ही उपलब्ध करायी जाएगी। मध्यप्रदेश में टेक्सटाइल उद्योग को औद्योगिक विकास के लिए थ्रस्ट सेक्टर ही नही प्रमुख सेक्टर माना गया है। भीलवाड़ा टेक्सटाइल उद्योग का बड़ा केन्द्र है एवं यहां की औद्योगिक इकाईयों का विस्तार चित्तौडगढ जिले में भी है। चित्तौड़ से समीपवर्ती नीमच, मंदसौर, रतलाम में टेक्सटाइल एवं रेडीमेड गारमेन्ट कलस्टर विकसित किये गये है। इस तरह मध्यप्रदेश में राजस्थान से समीपवर्ती क्षेत्र में टेक्सटाइल उद्योगों के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध है। यह बात मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम के कार्यकारी निदेशक राजेश राठौड ने आज मेवाड़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री में उद्यमियों को इन्वेस्टर ऑउटरीच सेमीनार को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने बताया कि रेडीमेड गारमेन्ट एएवं अपेरेल सेक्टर का भी तेजी से विकास हो रहा है। बच्चों के लिएए रेडीमेड गारमेन्ट निर्माण में मध्यप्रदेश पहला स्थान रखता है। इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर में नये रेडीमेड कलस्टर विकसित किये जा रहे है। रेडीमेड गारमेंट के लिए प्रशिक्षित श्रमिक उपलब्ध है। राज्य में इस क्षेत्र में 60 से 80 प्रतिशत महिला श्रमिक कार्यरत है। अन्य सेक्टर के लिए दो प्लास्टिक पार्क एवं एक लेदर एवं फुटवियर पार्क भी स्थापित किये गये है। टेक्सटाइल एवं अपेरेल सेक्टर के लिए विशेष वित्तीय सहायता योजना भी घोषित की है। आप मध्य प्रदेश में भूमि लिजिए, कार्य प्रारम्भ कर दीजिए, तीन वर्ष तक या उत्पादन चालू होने तक आपको किसी भी विभाग के पास क्लिरेंस के लिए जाने की आवश्यकता नहीं है। राज्य में वित्तीय सहायता योजनाओं के तहत 40 प्रतिशत तक पूंजीगत अनुदान एवं 5-7 प्रतिशत तक ब्याज अनुदान सात वर्ष के लिए दिया जा रहा है। निर्यात की दृष्टि से राज्य में 6 इण्डलेण्ड कंटेनर डिपो स्थापित है, जो कि सभी प्रमुख बन्दरगाहों से रेल मार्ग से जुडे है। औद्योगिक विकास की दृष्टि से दिल्ली-नागपुर, दिल्ली-मुंबई, वाराणसी-मुंबई हाईवे के साथ इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित किये जा रहे है। कार्यक्रम के दौरान मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम के मैनेजर सरस सुहाने एवं अन्य अधिकारी प्रखर मिश्रा, नितिन श्रीवास्तव भी उपस्थित थे। चैम्बर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ आरसी लोढा, संयुक्त सचिव सुमित जागेटिया, कोषाध्यक्ष एस के सुराना ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में विनोद मेहता, अतुल यादव, साबिर मोहम्मद, ललित जैन, पी आर तोतला, आर पी बल्दवा, पी माहेश्वरी, हेमन्त मानसिंहका, एस के जैन सहित कई उद्यमी उपस्थित थे।

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