Homeभीलवाड़ामध्यप्रदेश में टेक्सटाइल उद्योगों के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध: एनके शर्मा़

मध्यप्रदेश में टेक्सटाइल उद्योगों के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध: एनके शर्मा़

मध्यप्रदेश में टेक्सटाइल उद्योगों के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध: एनके शर्मा़

मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम के सलाहकार शर्मा ने मेवाड चैम्बर में उद्यमियों से की सम्पर्क वार्ता

पंकज पोरवाल

स्मार्ट हलचल,भीलवाड़ा। मध्यप्रदेश में टेक्सटाइल उद्योग को औद्योगिक विकास के लिए थ्रस्ट सेक्टर ही नही प्रमुख सेक्टर माना गया है। भीलवाड़ा टेक्सटाइल उद्योग का बड़ा केन्द्र है एवं यहां की औद्योगिक इकाईयों का विस्तार चित्तौडगढ जिले में भी है। चित्तौड़ से समीपवर्ती नीमच में भीलवाड़ा के कुछ टेक्सटाइल उद्यमियों ने कार्य प्रारम्भ किया है। औद्योगिक भूमि की उपलब्धता के लिए इससे आगे मंदसौर जिले में चार स्थानों पर 150 से 200 हेक्टर के औद्योगिक क्षेत्र विकास किये जा रहे है। यहां पर विकसित एवं अविकसित सभी तरह की भूमि उपलब्ध है। टेक्सटाइल उद्योगों के लिए मध्यप्रदेश को पीएम मित्रा योजना के तहत टेक्सटाइल पार्क आंवटित किया गया है, जो कि रतलाम से 50 किमी दूर धार जिले के भैंसोला में 1563 एकड भूमि पर विकसित किया जा रहा है। यहां स्पिनिंग जैसे बड़े उद्योगों के लिए भी पर्याप्त भूमि उपलब्ध होगी। इससे 15-20 किमी के दायरे में तिलगारा एवं छाया दो स्थानों पर भी औद्योगिक क्षेत्र विकसित किये जा रहे है।

हमने पूरे राज्य में 125000 एकड का लैण्ड बैंक चिन्हित किया है। इस तरह मध्यप्रदेश में राजस्थान से समीपवर्ती क्षेत्र में टेक्सटाइल उद्योगों के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध है। यह बात मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम के सलाहकार एनके शर्मा ने आज मेवाड़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री में उद्यमियों से सम्पर्क वार्ता के दौरान कही। उन्होंने बताया कि रेडीमेड गारमेन्ट एवं अपेरेल सेक्टर का भी तेजी से विकास हो रहा है। बच्चों के लिए रेडीमेड गारमेंट निर्माण में मध्यप्रदेश पहला स्थान रखता है। इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर में नये रेडीमेड कलस्टर विकसित किये जा रहे है। रेडीमेड गारमेन्ट के लिए प्रशिक्षित श्रमिक उपलब्ध है। राज्य में इस क्षेत्र में 60 से 80 प्रतिशत महिला श्रमिक कार्यरत है। टेक्सटाइल एवं अपेरेल सेक्टर के लिए विशेष वित्तीय सहायता योजना भी घोषित की है। आप मध्यप्रदेश मे भूमि लिजिए, कार्य प्रारम्भ कर दीजिए, तीन वर्ष तक या उत्पादन चालू होने तक आपको किसी भी विभाग के पास क्लिरेन्स के लिए जाने की आवश्यकता नही है। राज्य में अविकसित भूमि वहां की कृषि भूमि की दरों के आधार पर दी जा सकती है, सड़क आदि के निर्माण में भी लागत मूल्य ही लिया जाता है।

इसमें कोई लाभ नही जोड़ा जाता है। औद्योगिक क्षेत्रों के विकास के लिए राज्य सरकार निगम को 40 प्रतिशत भाग देती है, यह हम उद्योगों के हित में लागत में कम की जाती है। औद्योगिक विकास योजनाओं में घौषित विभिन्न तरह के लाभ राज्य कर या जीएसटी से जुड़े हुए नही है। अगर किसी वर्ष में उत्पादन या बिक्री कम होने से कर कम जमा होने पर भी योजनाओं के तहत अनुदान में किसी तरह की कमी नही की जाएगी। कार्यक्रम के दौरान मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम के चीफ जनरल मेनेजर अनिल अरोड़ा एवं अन्य अधिकारी पी.सिंह, आनन्द टेम्बाहरे, शशांक ने भी विभिन्न विषयों पर प्रस्तुतिकरण दिया। चैम्बर के मानद महासचिव आरके जैन ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में पूर्वाध्यक्ष डॉ पीएम बेसवाल, सचिन राठी, सुमित जागेटिया, वीके मानसिंगका, अतुल शर्मा, संजय डाड, अतुल सोमानी, दिलीप गोयल सहित कई उद्यमी उपस्थित थे।

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