श्यामसुंदर सोनी
भगवानपुरा । जिले के भगवानपुरा ग्राम में तीन दिवसीय संगीतमय नानी बाई के मायरे का भगवान की आरती के बाद शुभारंभ हुआ कथा संयोजक ने बताया की भगवानपुरा के वीर हनुमान मित्र मण्डल के गोपाल सेन शिव सिंह गहलोत सत्यनारायण खटीक ने भगवान और व्यासपीठ का पूजन किया इसके बाद आरती हुई फिर कथा का शुभारंभ हुआ ।
व्यासपीठ से बोलते हुए राष्ट्रीय कथा वाचिका बाल व्यास सुश्री दीपा दाधीच ने बताया कि ठाकुर जी ने नरसी मेहता और सभी संतो को नगर अंजार पहुंचा दिया नगर अंजार पहुंचने पर श्रीरंग जी ने नरसी मेहता की कोई आवा भगत नहीं ली जब पता लगा नरसी मेहता संतो के साथ नानी बाई का मायरा भरने पधारे हैं तो श्रीरंग जी ने बहुत पुरानी दुकान रहने के लिए दे दी जिसके ऊपर ना छत थी ना दिवारे थी संतो ने कहा नरसी मेहता हमको आए समय बीत गया फिर भी ना हमारे लिए कोई पानी लाया ना कोई भोजन लाया नरसी जी भूख लग रही है ठंड लग रही है नरसी मेहता की दुकान के छप्पर को नीचे गिराया उसमें आग लगा दी आग लगने पर ठंड भी भाग गई और धुए से मच्छर भाग गए नानी बाई अपनी सहेलियों के साथ अपने पिता नरसी मेहता से मिलने आई तो नानी बाई ने नरसी मेहता और सभी संतो की तिलक किया नरसी मेहता ने कहा कि हमारे इतने से तिलक से काम नहीं चलेगा हमारे पानी बहुत चाहिए तू तो बेटा छोटा सा पानी का कलश लाई है यह सुनते ही नानी बाई की सहेलियां जोर जोर से हंसने लगी नरसी मेहता ने कहा तू या मेरा स्वागत करने आई है या मुझे लजाने आइ हे नरसी मेहता संतो के साथ नानी बाई के ससुराल गए नानी बाई की दादी सास ने नरसी मेहता के तिलक किया और कहा हमें कुछ नेग दो नरसी मेहता ने कहा कि हमारे पास पैसे हैं तो आप हमे टूटी टपरी मैं नहीं रोकते नरसी मेहता ने कहा में स्नान कराओ नरसी मेहता के लिए पानी लाया गया ठंड का समय था पानी बहुत ठंडा था नरसी मेहता बोले थोड़ा पानी गरम करो नरसी मेहता की बात सुनकर नानी बाई की सास गरम हो गई और कहां कभी ठंडा कभी गरम अपने भगवान को बुलाओ वही तुम्हें ठंडा गर्म पानी देंगे नरसी मेहता ने भगवान की आराधना की नरसी मेहता ने भगवान को पुकारा और मूसलाधार बरसात होने लगी नरसी मेहता ने संतों के साथ खूब स्नान किया नरसी मेहता ने श्रीरंग जी से कहा भूख लग रही है श्रीरंजीनी नरसी मेहता और संतो को बहुत पुरानी बांसी खिचड़ी परोसी नरसी मेहता ने कहा कि हे प्रभु यह तो बांसी खिचड़ी है इसको कैसे खाऊं और दूसरी पंगत में पांच पकवान परोसे जा रहे हैं ठाकुर जी ने कहा नरसी मेहता तू भोग तो लगा खिचड़ी में तुलसी डाली और भगवान को भोग अर्पण किया तो बहुत पुरानी खिचड़ी 56 भोग मैं बदल गई नरसी मेहता और सभी संतो ने बड़े प्रेम से भोजन किया श्री रंग जी ने नरसी मेहता के कान में धीरे से कहा आप के डेरे पर गिरधर आए हैं नरसी मेहता संतो सहित अपने डेरे पर आए इधर नानी बाई के ससुराल वाले नानी बाई को ताने मारने लगे और कहने लगे तेरे पिताजी हमको लजाने आ गए मायरे में कुछ भी नहीं लाए नानी बाई दुखी होकर पिताजी से मिलने गई पिताजी और बेटी का प्यार उमर दया पिताजी मुझे ताने मिल रहे हैं आप कुछ भी लेकर नहीं आए बेटा तू दुखी मत हो मायरा का एक और पत्र लिखवा कर ला नानी बाई अपने ससुराल गई और मायरे का एक और लिखवा के लाइ पत्र नरसी मेहता को दिया और अपने ससुराल चली गई डेरे में ठाकुर जी को नहीं देखकर नरसी मेहता ठाकुर जी को याद करने लगे ठाकुर जी राधा रुक्मण के साथ मायरा लेकर नगर अनजान पहुंचे नरसी मेहता से मिले नरसी मेहता ठाकुर जी पर नाराज हो गए नरसी मेहता को ठाकुरजी ने मनाया और कहा चलो नानी बाई के मायरा भरना है नरसी मेहता के साथ भगवान स्वयं नानी बाई के घर गए सभी के लिए आसन लगाया धरती माता ने सोचा भगवान के लिए आसन लगाना है धरती माता नो गज ऊपर उठी और भगवान को आसन लगाया भगवान ने नानी बाई को चुनरी पहनाई भगवान ने पूरे परिवार वालों को मायरा पहनाया है ठाकुर जी ने नानी बाई के 56 करोड़ का मायरा भरा और सभी गांव वालों को मायरा लुटाया अंत में ठाकुर जी और व्यासपीठ की आरती की गई बाद में प्रसाद वितरित किया गया । इस अवसर पर बाल व्यास दीपा दाधीच न आओ मारा नटवर नागरिया बरस बरस मारा इंदर राजा सरवरिया री तीर खड़ी या नानी नीर बहावे है कंचन वाली काया रे सैलानी में तो पावणा जीनी जीनी उडे रे गुलाल कई भजन प्रस्तुत किए इस अवसर पर भगवानपुरा के कई गणमान्य नागरिक माताएं बहने व हजारों भक्त उपस्थित थे । वही राधिका ग्रुप उदलियास के प्रकाश पारीक ने संजीव जाकियो का चितरण किया ।